Wednesday, February 12, 2020

उसकी आश

आसमां से चाँद उठाकर जमी पर रखा है।

आशाओं का एक बांध बनाकर रखा है।।

 

उसका आना मेरे जीवन में नामुमकिन है। 

हमने ना जाने क्यों हाथ बढ़ाकर रखा है।।

 

उसने   मुझको   कभी   भी   पलट  कर  ना  देखा।

हमने ना जाने क्यों उसका अरमान बनाकर रखा है।।

 

ना जाने अब भी कौन सी आश बाकी है।

इंतजार मे दरवाजो पर आँख लगाये रखा है।।

 

उम्मीदों  के  सारे  दरख़्त जमीनोंदोज हुए है।

फिर भी एक छोटा सा पौधा बचाकर रखा है।।

 

उसके जीवन मे आने की आश अब भी बाकी है।

दिल मे उम्मीदों का आखिरी दिया जलाकर रखा है।।

 

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