महाशिवरात्रि के अवसर पर कोयंबटूर में ईशा योग केन्द्र में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारत एकमात्र ऐसा देश है जो ‘वसुधैव कुटुंबकम’- सम्पूर्ण विश्व एक परिवार है- में यकीन करता है।
श्री नायडू ने कहा कि पुराने ऋषियों, मुनियों ने अपने विवेक और ज्ञान के माध्यम से इस धरती के वासियों का मार्गदर्शन किया और उन्हें प्रबुद्ध किया। उन्होंने इस प्राचीन विवेक और ज्ञान भावी पीढ़ियों को हस्तांतरित किए जाने की जरूरत पर बल दिया।
देशभर में फैले 12 ज्योतिर्लिंगों का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह दर्शाता है कि भारत पुरातन समय से ही एकल सांस्कृतिक इकाई रहा है।
आधुनिक समय में भगवान शिव की प्रासांगिकता पर जोर देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज के दौर के जीवनशैली और रोजमर्रा के काम का अधिकतम दबाव हमारे जीवन को बहुत तनावपूर्ण बना रहा है जिससे अवसाद, क्रोध और असहनशीलता हो रही है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज के प्रतिस्पर्धी विश्व में लोग तेजी से योग का रुख कर रहे हैं, क्योंकि यह केवल उनकी सेहत को ही बेहतर नहीं बनाता बल्कि उन्हें आत्मिक शान्ति भी प्रदान करता है। श्री नायडू ने कहा कि यह शरीर और मस्तिष्क के बीच समरूपता के माध्यम से आत्मनियंत्रण प्राप्त करने में सहायता करता है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि योग कला और विज्ञान है और उसे किसी भी राजनीतिक अथवा धार्मिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए।
दुनिया को बचाने के लिए विष पान करने वाले भगवान शिव को ‘नीलकंठ’ बताते हुए श्री नायडू ने युवाओं से आधुनिक समाज को प्रभावित कर रही भ्रष्टाचार, जातिवाद, निरक्षरता और गरीबी की बुराइयों से निपटने की अपील की।
प्रकृति, पर्वतों और पशुओं से भगवान शिव के प्रेम और निकटता का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने प्रत्येक व्यक्ति से प्रकृति से प्रेम करने और उसके साथ जीने का आह्वान किया।
प्रकृति के प्रति सम्मान को भारतीय संस्कृति की विशेषता बताते हुए उपराष्ट्रपति ने टिकाऊ विकास पद्धतियों को अपनाने का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, “हमें शोषक बने बगैर प्रकृति से लाभ लेने चाहिए।”
श्री नायडू ने ‘रैली फॉर रिवर’ और ‘कावेरी कॉलिंग’ जैसी महान पहलों के लिए सदगुरू जग्गी वासुदेव जी की सराहना की। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सदगुरू हमें हमारे प्राचीन ऋषियों मुनियों की याद दिलाते हैं।
श्री नायडू ने कहा, “उनमें जटिल अवधारणाओं की व्याख्या करने की दुर्लभ योग्यता है। वह ऐसे गुरू हैं जो आशा, शान्ति और सकारात्मक चिंतन का संदेश देने के लिए लोगों तक पहुंच बनाते हैं।
उपराष्ट्रपति ने जनता से जीवन के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाने और हिंसा एवं विनाशकारी प्रवृत्तियों को त्यागने का अह्वान किया। उन्होंने महाशिवरात्रि के अवसर पर लोगों से विश्व में शान्ति, सदभाव और समृद्धि लाने का आह्वान किया।
इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने सदगुरू जग्गी वासुदेव जी द्वारा रचित ‘डेथ-एन इनसाइड स्टोरी’ पुस्तक का विमोचन किया और भगवान शिव पर लाइट एंड साउंड शो का भी अवलोकन किया।
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल श्री बंडारू दत्तात्रेय, पुडुचेरी के मुख्यमंत्री श्री वी. नारायणस्वामी, केंद्रीय जल शक्ति मंत्री श्री गजेन्द्र सिंह शेखावत, केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्री अश्वनी चौबे, तमिलनाडु के पशुपालन मंत्री श्री उडुमलाई के राधाकृष्णन, तमिलनाडु के नगरपालिका प्रशासन और ग्रामीण विकास मंत्री श्री एस पी वेलुमणि, सद्गुरु जग्गी वासुदेव तथा देश और दुनिया भर से आए श्रद्धालु उपस्थित थे।
No comments:
Post a Comment