केवीआईसी के अध्यक्ष को बधाई देते हुए श्री नितिन गडकरी ने कहा, “मधुमक्खी पालन देखने में आसान लगता है लेकिन उसमें अनेक पेचीदा दिक्कतें हैं जिन्हें केवल एक मधुमक्खी पालक ही समझ सकता है। चलती-फिरती मधुवाटिका मधुमक्खियों को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने, उनके रखरखाव के साथ मधुमक्खी पालन को आसान बनाएगी। इसके अलावा इससे मधुमक्खियों को भयंकर गर्मी में भी बनाए रखने में मदद मिलेगी।”
प्रधानमंत्री की संकल्पना से जुड़े, केवीआईसी के शहद मिशन की 2017 में शुरूआत की गई थी और इसमें मधुमक्खी पालकों को प्रशिक्षण, मधुमक्खी पालने के बक्सों का वितरण किया जा रहा है और ग्रामीण शिक्षित लेकिन बेरोजगार युवकों को उनके दरवाजे पर मधुमक्खी पालने से जुड़े कार्यों के जरिये अतिरिक्त आमदनी कराने में मदद की जा रही है। मधुमक्खियों को पालने का काम कठिन और मानसिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण है जैसे मधुमक्खी पालन के बक्सों को युक्तिपूर्ण अवस्था में रखना ताकि उन्हें फूलों से पर्याप्त पराग मिल सके, गर्मी के दौरान मधुमक्खियों की परवरिश करना और मधुमक्खियों की पोषण जरूरतों को पूरा करने के लिए परिस्थितियों के अनुसार उनके बक्सों को एक जगह से दूसरी जगह पर ले जाना। खादी ग्रामोद्योग निरंतर नये तरीके निकाल रहा है ताकि इस प्रक्रिया को और आसान तथा सरल बनाया जा सके।
चलती-फिरती मधुवाटिका के फायदों को उजागर करते हुए, श्री वी. के. सक्सेना ने कहा, “चलती-फिरती मधुवाटिका मधुमक्खी पालकों के सामने आने वाली चुनौतियों को दूर करने के लिए एक समग्र दृष्टिकोण है। इसे मधुमक्खी पालन में लगने वाली मेहनत और मधुमक्खियों की परवरिश लागत को कम करना तथा मधुमक्खी पालने के बक्सों में उनका पालन पोषण तथा भारत में जीवित मधुमक्खियों की कालोनी बनाना है। यह नई सोच का एक उदाहरण है जिसे केवीआईसी ने भारत के अधिकतम लोगों को लाभ पहुंचाने और उनके दरवाजे पर आजीविका का साधन पैदा करने के लिए अपनाया है।
चलती-फिरती मधुवाटिका एक प्लेटफॉर्म है जो बिना किसी कठिनाई के मधुमक्खी पालने वाले 20 बक्सों को ले जा सकती है। चलती-फिरती मधुवाटिका के दोनों तरफ लगे दो विशाल पहिये और अलग दरवाजों के साथ 4 अलग कक्ष, जिनमें मधुमक्खी पालन के 5 बक्से हैं जिनमें से प्रत्येक जीवित मधुमक्खियों की कालोनियों के साथ छेड़छाड़ किए बिना प्लेटफॉर्म को यथावत रखने में मदद करता है। चलती-फिरती मधुवाटिका को एक सौर पैनल प्रणाली से भी जोड़ा गया है जो 35 डिग्री सेंटीग्रेड या उससे अधिक तापमान पहुंचने पर कक्ष के भीतर एक पंखे को स्वत: चालू कर देता है। इतना ही नहीं, चलती-फिरती मधुवाटिका में चीनी की ड्रिप भी है जो गर्मियों के मौसम में मधुमक्खियों तक भोजन पहुंचाने में मदद करती है। चलती-फिरती मधुवाटिका एक जुड़ी हुई वस्तु (अटैचमेंट) की तरह है जिसे किसी ट्रैक्टर या ट्रॉली के साथ आसानी से जोड़ा जा सकता है और किसी भी उपयुक्त स्थान तक खींचकर ले जाया जा सकता है। खासतौर से, गर्मियों में, मधुमक्खी पालक आमतौर पर उनके पालन के लिए देसी तरीका अपनाते हैं और इस प्रक्रिया में अनेक मधुमक्खियां मर जाती हैं। मधुमक्खियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाने, सौर पैनल की मदद से कूलिंग और चीनी के ड्रिप की मदद से मधुमक्खियों के जीवन के लिए जोखिम नहीं रहेगा, उनके बक्सों और कॉलोनियों को होने वाला नुकसान रूक सकेगा गुणवत्तापूर्ण शहद उत्पादन में मदद मिलेगी।
प्रमुख परियोजना के रूप में चलती-फिरती मधुवाटिका को स्थानीय मधुमक्खी पालकों और केवीआईसी की देखरेख में दिल्ली सीमा के नजदीक सरसों के खेतों के नजदीक रखा जाएगा और सफलता के बाद इस संकल्पना को भारत भर में बड़े पैमाने पर लगाया जा सकेगा।
No comments:
Post a Comment