ओडिशा में एफआरए (एफआरए में ओडिशा की यात्रा) पर लघु वृत्तचित्र और ओडिशा का एफआरए एटलस को जारी किया गया। उद्घाटन सत्र के बाद तकनीकी सत्र में जनजातीय विकास परिप्रेक्ष्य, जनजातीय भूमि का अलगाव, वन धन विकास केन्द्र तथा जनजातीय विकास अन्वेषण पर चर्चा की गई।
श्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि 1000 जल स्रोत कार्यक्रम का उद्देश्य देश के कठिन और दुर्गम ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे जनजातीय सुमदाय के लिए सुरक्षित और पर्याप्त जल तक पहुंच में सुधार करना है। यह प्राकृतिक जल स्रोतों के इर्द-गिर्द एकीकृत समाधान है। इसमें पाइप पेय जल सप्लाई के लिए अवसंरचना का प्रावधान, सिंचाई जल का प्रावधान, सामुदायिक नेतृत्व वाले संपूर्ण स्वच्छता कार्यक्रम तथा घर के पीछे बागानों के लिए जल का प्रावधान और जनजातीय लोगों के लिए सतत आजीविका अवसर का सृजन शामिल हैं। उन्होंने आशा व्यक्त की कि विचार-विमर्श से आए सुझावों का उपयोग परियोजना विस्तार के लिए किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि जीआईएस आधारित जल स्रोत एटलस पर ऑनलाइन पोर्टल विकसित किया गया है ताकि ऑनलाइन प्लेटफार्म से सहज रूप में इन आंकड़ों को प्राप्त किया जा सके। स्प्रिंग एटलस पर 170 जल स्रोत अपलोड किए गए हैं।
श्री मुंडा ने कहा कि क्षमता सृजन पहल का उद्देश्य स्थानीय सरकार के स्तर पर जनजातीय प्रतिनिधियों को उनकी निर्णय क्षमता में वृद्धि करके सशक्त बनाना है। जनजातीय विकास से संबंधित अन्य विषयों में इसका फोकस जनजातीय आबादी की रक्षा और उनके अधिकारों को प्रोत्साहन और कल्याण के संवैधानिक तथा कानूनी प्रावधानों पर है। यह कार्यक्रम नियोजन, क्रियान्वयन तथा सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों की निगरानी में जनजातीय प्रतिनिधियों की बढ़ती भागीदारी सुनिश्चित करेगा। विकास प्रक्रिया में उनकी बेहतर भागीदारी से जनजातीय कार्यक्रमों की बेहतर प्राथमिकता सुनिश्चित होगी।
जल स्रोत भूजल के प्राकृतिक स्रोत हैं और भारत सहित पूरे विश्व के पर्वतीय क्षेत्रों में इनका इस्तेमाल किया गया है। लेकिन मध्य और पूर्वी भारत के 75 प्रतिशत जनजातीय आबादी वाले क्षेत्र में जल स्रोतों को मान्यता नहीं दी गई है और उनका उपयोग कम किया गया है। इस कार्यक्रम से जनजातीय क्षेत्रों में जल की प्राकृतिक कमी की समस्या से निपटने में बारहमासी जल स्रोत की क्षमता बढ़ाने में मदद मिलेगी। इस पहल के अंतर्गत ओडिशा के तीन जिलों- कालाहांडी, कंधमाल तथा गजपति- के ग्रामीण क्षेत्र से 70 जनजातीय युवाओं को बिना जूते के जलविज्ञानी के रूप में प्रशिक्षित किया गया है। इन युवाओं को जल स्रोतों की पहचान और मैपिंग के लिए पारंपरिक और वैज्ञानिक ज्ञान तथा अपनी आबादी वाले क्षेत्रों में पुनर्जीवन तथा संरक्षण कार्यक्रम को सम्मिलित करके प्रशिक्षित किया गया है।
जनजातीय कार्य मंत्रालय द्वारा स्थानीय प्रशासन में निर्वाचित जनजातीय प्रतिनिधियों के लिए क्षमता सृजन कार्यक्रम लॉन्च किया गया है। इसका उद्देश्य क्षमता सृजन पहल का उद्देश्य स्थानीय सरकार के स्तर पर जनजातीय प्रतिनिधियों को उनकी निर्णय क्षमता में वृद्धि करके सशक्त बनाना है। जनजातीय विकास से संबंधित अन्य विषयों में इसका फोकस जनजातीय आबादी की रक्षा और उनके अधिकारों को प्रोत्साहन और कल्याण के संवैधानिक तथा कानूनी प्रावधानों पर है। यह कार्यक्रम नियोजन, क्रियान्वयन तथा सरकारी नीतियों और कार्यक्रमों की निगरानी में जनजातीय प्रतिनिधियों की बढ़ती भागीदारी सुनिश्चित करेगा। विकास प्रक्रिया में उनकी बेहतर भागीदारी से जनजातीय कार्यक्रमों की बेहतर प्राथमिकता सुनिश्चित होगी।
स्थानीय स्तर पर विकास कार्यक्रमों में प्रत्यक्ष रूप से भागीदारी करने वाले जनप्रतिनिधियों के क्षमता सृजन से समुदायों तथा क्षेत्रों के बीच विकास के अंतर को पाटने में काफी मदद मिलेगी। इससे विभिन्न विकास और कल्याणकारी कार्यक्रमों को कारगर तथा बेहतर तरीके से लागू करने में मदद मिलेगी और परिणामों में सुधार होगा।
इस कार्यक्रम को लॉन्च करने से पहले मंत्रालय ने पिछले कुछ महीनों में विभिन्न हितधारकों से विचार-विमर्श किया। जनजातीय निर्वाचित प्रतिनिधियों के क्षमता सृजन के लिए मॉड्यूल विकास पर पिछले वर्ष 23 दिसम्बर को नई दिल्ली में कार्यशाला आयोजित की गई। इसमें राज्य जनजातीय अनुसंधान और विकास संस्थानों, राज्य ग्रामीण विकास संस्थानों, प्रशासनिक प्रशिक्षण संस्थानों, स्थानीय स्वशासन संस्थान, केरल तथा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के राष्ट्रीय जन सहयोग और बाल विकास संस्थान के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
क्षमता सृजन कार्यक्रम की उचित रूप रेखा बनाने के बारे में जनजातीय जन प्रतिनिधियों, सिविल सोसाइटी संगठनों तथा वन विभाग के अधिकारियों सहित विभिन्न हितधाकरों के बीच संवाद हुआ।
क्षमता सृजन कार्यक्रम के लिए मॉड्यूल इस उद्देश्य के लिए संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम के अनुरूप विकसित किया गया है। प्रशिक्षण के लिए इस मॉड्यूल का स्थानीय भाषाओं में अनुवाद किया जाएगा। जनजातीय समुदायों के बीच के सहायक क्षमता सृजन प्रक्रिया में शामिल किए जाएंगे ताकि स्थानीय भाषा में बेहतर तरीके से सूचना दी जा सके। क्षमता सृजन के तौर तरीकों में ऑडियो विजुअल उपकरण, रोल प्ले और कार्यशाला को शामिल किया जाएगा। क्षमता सृजन कार्यक्रम, बेहतर कवरेज तथा तेजी से क्रियान्वयन के लिए सोपान रूप मे लागू किया जाएगा। कार्यक्रम मास्टर प्रशिक्षकों के प्रशिक्षण से प्रारंभ होगा और उसके बाद सहायकों को प्रशिक्षित किया जाएगा। कार्यक्रम को जनजातीय निर्वाचित प्रतिनिधियों के क्षमता सृजन के लिए विषयों को प्राथमिकता देकर विषय संबंधी तरीके से लागू किया जाएगा। कार्यक्रम राज्य सरकारों द्वारा एसआईआरडी और पीआर तथा टीआरआई के माध्यम से लागू किया जाएगा।
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