Thursday, February 6, 2020

शजर -पेड

 

*शजर की चाह थी कि परिंदों को आसरा दे ।*

*फिजा ने कुछ और ही दिखाया है नजारा  ।।*

 

*जईफ हुआ शजर,जज्ब भी लुप्त हुआ है।*

*इसका आसरा देने का जज्बा अभी जवां है ।।*

 

*कुछ इस कदर खस ने इसे हर तरफ घेरा है।*

*सूरज की धूप से भी इसका अंतर्मन तपा है।।*

 

*गर्दिशे दौरां का असर कुछ इस कदर हुआ है।*

*इसके अपने बजूद ने इसका साथ छोड़ा है।।*

 

*दामनगिर भी इसे खाक में मिलाने को है।*

*कुल्फ़त ऐसी है इसकी,जमीं ने दरकिनार किया है।।*

 

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