Monday, February 3, 2020

सरकार एमएसएमई क्षेत्र को मदद देने को प्रतिबद्ध

सरकार सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) को मदद देने को प्रतिबद्ध है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था का एक प्रमुख क्षेत्र है जो उद्यमिता को प्रोत्साहन देता है और कम लागत पर रोजगार के अवसर सृजित करता है।


केंद्रीय वित्त एवं कॉर्पोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा पेश की। आर्थिक समीक्षा में एमएसएमई को बेहतर ऋण प्रवाह, तकनीकी उन्नयन, व्यवसाय शुरु करने में आसानी और बाजार तक उनकी पहुंच सुनिश्चित करने में मदद के लिए उठाए गए सभी कदमों का विस्तृत विश्लेषण दिया गया है।


प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने इस क्षेत्र में तेज वृद्धि के लिए 2 नवंबर, 2018 को महत्वपूर्ण सुधारों की घोषणा की। सरकार की ये पहलें और उनकी स्थिति निम्न प्रकार है।


(1)सिद्धांत: एक करोड़ रुपये तक के ऋण ऑन-लाइन पोर्टल के जरिए 59 मिनट के अंदर मंजूर किए जाते हैं। कुल 49,330 करोड़ रुपये के 1,59,422 ऋण प्रदान किए गए हैं। इनमें से 37,106 करोड़ रुपये के ऋण का वितरण अक्टूबर 2019 तक कर दिया गया है।


(2) जीएसटी में पंजीकृत सभी एमएसएमई को एक करोड़ रुपये तक के इंक्रीमेंटल ऋण पर ब्याज में 2 प्रतिशत आर्थिक मदद दी जाती है। सिडबी ने नवंबर 2018 से लेकर मार्च 2019 तक 43 बैंकों/एनबीएफसी से प्राप्त 18 करोड़ रुपये के दावे को निपटाया है।   


(3) 500 करोड़ रुपये से अधिक के कारोबार वाली सभी कंपनियों को टीआरईडीएस पोर्टल से जुड़ना अनिवार्य है ताकि उद्यमी बैंक से ऋण ले सकें।अब तक 329 कंपनियों ने टीआरईडीएस पोर्टल पर खुद को पंजीकृत कराया है।


(4) सभी केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों (सीपीएसयू) को अपनी कुल खरीद का कम से कम 25 प्रतिशत एमएसएमई से खरीदना होगा। सीपीएसयू ने 59,903 एमएसएमई से 15,936.39 करोड़ रुपये मूल्य के सामान और सेवाएं खरीदी हैं।


(5) सीपीएसयू के लिए एमएसएमई से 25 प्रतिशत की आवश्यक खरीद में से 3 प्रतिशत की खरीद महिला उद्यमियों से करना आरक्षित है। वर्ष 2019-20 के दौरान 1471 महिला एमएसएमई से कुल 242.12 करोड़ रुपये की खरीदारी हुई।


(6)सभी सीपीएसयू को जीईएम पोर्टल से खरीदारी करना अनिवार्य है। जीईएम पोर्टल पर 258 सीपीएसयू/सीपीएसवी कंपनियां और 57,351 एमएसएमई कंपनियां पंजीकृत हैं।


(7) 6000 करोड़ रुपये की लागत से 20 प्रौद्योगिकी केंद्र और 100 एक्सटेंशन सेंटर की स्थापना की जानी है। इन नप्रौद्योगिकी और एक्सटेंशन केंद्रों के लिए 99.30 करोड़ रुपये जारी किए जा चुके हैं। वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 10 और एक्सटेंशन केंद्र खोलने की योजना है।


(8) फार्मा क्लस्टर की स्थापना की लागत का 70 प्रतिशत हिस्सा सरकार वहन करेगी। चार शहरों सोलन, इंदौर, औरंगाबाद और पुणे को फार्मा क्लस्टर की स्थापना और साझा सुविधा स्थलों के विकास के लिए चुना गया है।


(9) 8 श्रम कानूनों और 10 केंद्रीय नियमन के तहत साल में एक बार रिटर्न फाइल करना है।


(10) इंस्पेक्टर द्वारा प्रतिष्ठानों के दौरा को लेकर फैसला कम्प्यूटरीकृत रैंडम आवंटन के लिए जरिए किया जाएगा। 3080 इंस्पेक्शन कराए गए हैं और इनकी सभी रिपोर्ट श्रम सुविधा पोर्टल पर अपलोड की गई हैं।   



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