सपनो के पंख लगाकर
उडता फिरू जहाँ तहाँ
कोई कैसे देखे सुनहले दिन
कोसते रहते सपनो को कहाँ कहाँ।
जब भी कोई सपना देखू
लगता है प्यारी प्यारी
खो जाता हूँ उन सपनो में
भले ही पूरे न हो सारी।
खट्टे मीठे अनुभवो का
एहसास है ये सपने हमारी
कुछ तो गौर करना होता
जब दस्तक दे यह प्यारी प्यारी।
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