Saturday, February 8, 2020

प्रधानमंत्री ने असम के कोकराझार में बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने के समारोह में शिरकत की

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज एक भावनापूर्ण अपील के जरिए हिंसा के मार्ग पर चलने वालों का आह्वान किया कि वे बोडो काडर की तरह अपने हथियार डालकर मुख्यधारा में लौट आएं प्रधानमंत्री ने आज असम के कोकराझार में बोडो शांति समझौते पर हस्ताक्षर होने के समारोह में शिरकत की। 27 जनवरी, 2020 को ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर होने के बाद प्रधानमंत्री की यह पूर्वोत्तर की पहली यात्रा है। प्रधानमंत्री ने कहा, “चाहे पूर्वोत्तर हो या नक्सल क्षेत्र या जम्मू कश्मीर, यहां के जो लोग हथियारों और हिंसा में विश्वास करते हैं, मैं उनसे आग्रह करता हूँ कि वे बोडो युवाओं से सीख और प्रेरणा लें तथा मुख्यधारा में वापस लौट आएं। वापस आएं और जीवन का उत्सव शुरू करें।” अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने उपेन्द्र नाथ ब्रह्मा और रूपनाथ ब्रह्मा जैसे बोडो नेताओं के योगदान को याद किया।


बोडो समझौता – सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास की छाया


प्रधानमंत्री ने बोडो समझौते में सकारात्मक भूमिका निभाने के लिए ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन (एबीएसयू), नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैण्ड (एनडीएफबी), बीटीसी के प्रमुख और असम के राज्यपाल श्री हगरामा माहीलारे की सराहना की।


प्रधानमंत्री ने कहा, “आज का दिन असम सहित पूरे पूर्वोत्तर के लिए 21वीं सदी में एक नई शुरूआत, एक नए सवेरे का, एक नई प्रेरणा का स्वागत करने का अवसर है। आज का दिन यह संकल्प लेने का दिन है कि विकास और विश्वास हमारा मुख्य आधार बना रहेगा और हम इसे और मजबूत बनाएंगे। हिंसा का अंधेरा हमें फिर से ना घेर ले। आईये, हम शांतिपूर्ण असम और एक नए दृढ़ भारत का स्वागत करें।”


उन्होंने कहा कि बोडो समझौता इसलिए बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि इसी वर्ष महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाई जा रही है।


उन्होंने कहा, “गांधी जी कहा करते थे कि जो भी अहिंसा के नतीजे होंगे, उन्हें सब स्वीकार करेंगे।”


बोडो समझौते के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे क्षेत्र की पूरी जनता को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि समझौते के तहत बोडो क्षेत्रीय परिषद (बीटीसी) की शक्तियों को बढ़ाया गया है और मजबूत किया गया है।


उन्होंने कहा कि इस समझौते में प्रत्येक व्यक्ति विजेता है, शांति विजेता है और मानवता विजेता है।


बोडो क्षेत्रीय जिलों (बीटीएडी) के सीमा निर्धारण के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा।


प्रधानमंत्री ने बीटीएडी के कोकराझार, चिरांग, बक्सा और उदलगुरी के लिए 1500 करोड़ रुपये के पैकेज की घोषणा की।


उन्होंने कहा कि इससे बोडो संस्कृति, क्षेत्र और शिक्षा का सर्वांगीण विकास होगा।


बीटीसी और असम सरकार की बढ़ी हुई जिम्मेदारी के बारे में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि विकास का लक्ष्य केवल सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के माध्यम से ही पूरा हो सकता है।


प्रधानमंत्री ने कहा, ‘आज बोडो क्षेत्र में नई आशाओं, नए सपनों और नई भावनाओं का संचार हुआ है, आप सभी की जिम्मेदारी बढ़ गई है। मुझे विश्वास है कि बोडो क्षेत्रीय परिषद यहां उपस्थित सभी समाजों को साथ लेकर विकास के एक नए मॉडल को विकसित करेगा। यह असम और भारत, एक श्रेष्ठ भारत की भावना को मजबूत बनाएगा।’


प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार असम समझौते के खंड 6 को लागू करना चाहती है और इसके लिए समिति की रिपोर्ट आने का इंतजार कर रही है।


पूर्वोत्तर की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए नया दृष्टिकोण


प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने पूर्वोत्तर की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए एक नया दृष्टिकोण अपनाया है।


उन्होंने कहा कि ऐसा दृष्टिकोण अपनाना क्षेत्र की आकांक्षाओं और भावनात्मक मुद्दों को गहराई से समझने के बाद ही संभव हो सकता है।


प्रधानमंत्री ने कहा, ‘सभी संबंधित व्यक्तियों के साथ विचार-विमर्श और परिचर्चा के माध्यम से समाधान ढूंढे गए हैं। हमने सभी लोगों को अपना माना और किसी को भी बाहरी नहीं समझा। हम लोगों ने उन लोगों के साथ बातचीत की और उन्हें यह महसूस कराया कि वे भी हमारे अपने हैं। इससे उग्रवाद को कम करने में सहायता मिली। पहले पूर्वोत्तर क्षेत्र में उग्रवाद के कारण हजार से अधिक हत्याएं होती थीं, परन्तु आज मोटे तौर पर स्थिति सामान्य और शांतिपूर्ण है।’


पूर्वोत्तर देश का विकास इंजन है


प्रधानमंत्री ने कहा, ‘पिछले 3-4 वर्षों के दौरान पूर्वोत्तर में सड़कों का निर्माण हुआ है जिनकी कुल लम्बाई 3000 किलोमीटर से अधिक है। नए राष्ट्रीय राजमार्गों को मंजूरी दी गई है। पूर्वोत्तर के पूरे रेल नेटवर्क को बड़ी लाइन में बदला गया है। शिक्षा, कौशल और खेल के नए संस्थाओं के जरिए पूर्वोत्तर के युवाओं को सशक्त बनाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। इसके अलावा दिल्ली और बेंगलुरु में पूर्वोत्तर राज्यों के छात्रों के लिए नए छात्रावासों का निर्माण किया गया है।’


प्रधानमंत्री ने कहा कि अवसंरचना का मतलब मोर्टार और सीमेंट का संयोजन नहीं है। इसका एक मानवीय पक्ष भी है। इससे लोग महसूस करते है कि कोई व्यक्ति है जो उनकी देखभाल करता है।


प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा, ‘जब दशकों से लटकी पड़ी बोगीबिल जैसी परियोजनाएं पूरी होती हैं और लाखों लोगों को क्नेक्टिविटी मिलती है तो उनका सरकार में विश्वास बढ़ता है। इस सर्वांगीण विकास ने अलगाव को जुड़ाव में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जब जुड़ाव होता है तब प्रगति समान रूप से प्रत्येक व्यक्ति तक पहुंचती है और लोग साथ काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं। जब लोग साथ काम करने के लिए तैयार हो जाते हैं तो बड़े से बड़े मामलों का भी समाधान हो जाता है।’



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