सम्मेलन का आयोजन पूर्वोत्तर विकास परिषद्, असम सरकार और टाटा ट्रस्ट के साथ मिलकर नीति आयोग कर रहा है। यूएनडीपी तथा आरआईएस सम्मेलन में सहयोग कर रहे हैं। सम्मेलन का उद्धाटन नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अमिताभ कांत के संबोधन के साथ हुआ । बाद में नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार तथा असम के वित्त,शिक्षा और स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हेमंत बिस्वा सरमा तथा भारत में संयुक्त राष्ट्र की रेजिडेंट संयोजक सुश्री रेनाटा लोक डेसालियन ने भी सम्मेलन को संबोधित किया।
पूर्वोत्तर राज्यों की भागीदारी, सहयोग और विकास पर आधारित यह तीन दिवसीय सम्मेलन 26 फरवरी तक चलेगा जिसमें पूर्वोत्तर राज्यों, केन्द्रीय मंत्रालयों, शिक्षण संस्थानों, सामाजिक संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।
श्री अमिताभ कांत ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि भारत और विशेषकर पूर्वोत्तर क्षेत्र अपार चुनौतियों और संभावनाओं से भरा हुआ है। इसके लिए ऐसे समाधान तलाशने की आवश्यकता है जो व्यापक बदलाव लाने वाले हों और प्रौद्योगिकी पर आधारित विकास का मार्ग प्रशस्त करते हों।
डा. राजीव कुमार ने पूर्वोत्तर क्षेत्र को राष्ट्रीय विकास एजेंडे के साथ जोड़ने पर जोर दिया और कहा कि सतत विकास लक्ष्यों के स्थानीयकरण के लिए राज्यों और क्षेत्र विशेष की प्राथमिकताओं की पहचान करना जरूरी होगा।
सुश्री रेनाटा ने कहा कि नीति आयोग के सतत विकास लक्ष्य सूचकांक में पूर्वोत्तर के कई राज्य शीर्ष राज्यों की श्रेणी में हैं। यह क्षेत्र दक्षिण पूर्व एशिया के लिए भारत का प्रवेश द्वार है। यहां व्यापार और वाणिज्य की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी संबोधित किया।
अरूणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने कहा “आने वाले दिनों में हम सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के प्रति अपने संकल्प को और मजबूत बनाने के लिए नीति आयोग के साथ मिलकर काम करेंगे। हमने मुख्यमंत्री डैशबोर्ड में ऐसे 145 संकेतकों को शामिल किया है जिनके आधार पर पिछले दो वर्षों से राज्य में हो रही प्रगति की निगरानी की जा रही है।
मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथांग ने कहा “मेरा मानना है कि केंद्र सरकार से वित्तीय मदद के साथ-साथ पूर्वोत्तर राज्यों में हो रही प्रगति की निगरानी से सतत विकास लक्ष्यों को निश्चित रूप से हासिल किया जा सकता है।‘’
सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेम सिंह तमांग ने कहा “ इस सम्मेलन से हमें एक ऐसा क्षेत्रीय मंच मिल गया है जिसके माध्यम से हम एक दूसरे के साथ ही देश के अन्य हिस्सों से भी काफी कुछ सीख सकते हैं। सिक्किम जैसे राज्य के लिए तथा अपने प्राकृतिक संसाधनों को कैसे सहेजा जाए इस नजरिए से सतत विकास काफी मायने रखता है।
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री बिप्लब कुमार देव ने सम्मेलन में सतत विकास लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए शुरु की गई मौजूदा योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से अपने राज्य की प्रगति का विश्लेषण प्रस्तुत किया।
असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने कहा “देश के लिए दक्षिण पूर्व एशिया के प्रवेश द्वार के रूप में गुवाहाटी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।नीति आयोग की मदद से हम इस क्षेत्र और यहां के लोगों की समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रयास जारी रखेंगे।
पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेन्द्र सिंह ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि जब देश पांच हजार अरब डालर की अर्थव्यव्था बन जाएगा तब पूर्वोत्तर इसका एक महत्वपूर्ण घटक होगा।
सम्मेलन में पूर्वोत्तर में सतत विकास लक्ष्य पर चार महत्वपूर्ण रिपोर्ट जारी की गई। उद्घाटन सत्र के बाद सम्मेलन में आगे सतत विकास लक्ष्यों का स्थानीयकरण, आर्थिक समृद्धि और सतत आजीविका, जलवायु के अनुकूल कृषि, स्वास्थ्य और पोषण आदि विषयों पर तकनीकी सत्र होंगे।
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