पूर्वोत्तर क्षेत्र में एसडीजी : स्थानीयकरण और उपलब्धि के मार्ग पर आयोजित पहले सत्र की अध्यक्षता असम सरकार के पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय में सचिव डॉ. इंद्रजीत सिंह ने की। मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव और अरुणाचल प्रदेश, असम, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नागालैंड, सिक्किम और त्रिपुरा सरकारों के अन्य वरिष्ठ अधिकारी सत्र में दल के सदस्य थे। देश में एसडीजी के स्थानीयकरण की मौजूदा वास्तविकता की पृष्ठभूमि में, पूर्वोत्तर राज्य के प्रयासों और उपलब्धियों को सामने रखा गया। सत्र एसडीजी और संबंधित लक्ष्यों को पूर्वोत्तर क्षेत्र के संदर्भ में प्राप्त करने के संबंध में भविष्य की कार्य योजना के साझा परिप्रेक्ष्य के साथ सम्पन्न हुआ।
ड्राइवर्स ऑफ इकोनॉमिक प्रॉस्पेरिटी एंड सस्टेनेबल लाइवलीहुड विषय पर दूसरा सत्र असम सरकार में अपर सचिव, वित्त श्री राजीव बोरा की अध्यक्षता में हुआ। इसमें केन्द्र और राज्य सरकार के प्रतिनिधियों के साथ-साथ शिक्षाविद, वित्तीय संस्थानों और निजी क्षेत्र के प्रतिनिधि शामिल हुए।
इस सत्र में एमएसएमई, कृषि-प्रसंस्करण और हस्तशिल्प क्षेत्रों की संभावनाओं पर ध्यान केंद्रित किया गया ताकि एक्ट ईस्ट पॉलिसी में व्यक्त भारत की निर्यात महत्वाकांक्षाओं के साथ रखा जा सके।
जलवायु अनुकूल कृषि विषय पर तीसरे सत्र की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य प्रोफेसर रमेश चंद ने की। इस सत्र में उच्च-गौण-इनपुट-कृषि और दीर्घकालिक कृषि उत्पादकता के पर्यावरणीय प्रभाव की चुनौतियों को सामने लाया गया। जलवायु अनुकूल कृषि में प्रौद्योगिकी आधारित हस्तक्षेपों का विश्लेषण इस क्षेत्र में इनकी व्यापक अनुकूलनशीलता या प्रतिरूपात्मकता का मूल्यांकन करने के लिए किया गया था। व्यवहार्य संभावनाओं का पता लगाने के लिए ज्ञान के विकास, क्षमता निर्माण और संस्थागत भागीदारी की संभावनाओं का मूल्यांकन किया गया।
पोषण सुरक्षा और स्वास्थ्य तथा सभी के कल्याण विषय पर पहले दिन के अंतिम तकनीकी सत्र की अध्यक्षता नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी. के. पॉल ने की। इस सत्र में क्षेत्र में स्वास्थ्य की स्थिति और विभिन्न कमजोर समूहों, जैसे महिलाओं और बच्चों, दिव्यांग और एचआईवी / एड्स के पीड़ितों के साथ रहने वाले लोगों के सामने आने वाले मुद्दों की विस्तार से जानकारी ली गई। डॉ. वी. के. पॉल ने राज्यों से एक मजबूत प्राथमिक स्वास्थ्य प्रणाली विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करने और निजी क्षेत्र को माध्यमिक और तृतीय देखभाल में शामिल करने की रणनीतियों की पहचान करने का आग्रह किया।
पूर्वोत्तर दीर्घकालिक विकास लक्ष्य (एसडीजी) सम्मेलन - 2020 के तीसरे दिन 'शिक्षा, कौशल, विकास और उद्यमिता', 'संचार सम्पर्क और बुनियादी ढांचा विकास, 'पूर्वोत्तर में असमानता और बहिष्कार का समाधान' तथा अंतिम सत्र ‘वे फॉरवर्ड एंड वेलेडिक्टरी’ विषयों पर तकनीकी सत्र होंगे।
पूर्वोत्तर दीर्घकालिक विकास लक्ष्य (एसडीजी) सम्मेलन - 2020 की शुरुआत 24 फरवरी, 2020 को गुवाहाटी स्थित असम प्रशासनिक स्टॉफ कॉलेज में हुई। तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन नीति आयोग ने पूर्वोत्तर परिषद, असम सरकार और टाटा ट्रस्ट के सहयोग से किया है। सम्मेलन को यूएनडीपी और आरआईएस का समर्थन प्राप्त है।
नीति आयोग को राष्ट्रीय और उप-राष्ट्रीय स्तर पर एसडीजी को अपनाने और उसकी निगरानी करने का अधिकार प्राप्त है। 2030 तक एसडीजी हासिल करने के लिए इस दशक की कार्रवाई में पूर्वोत्तर क्षेत्र की प्रगति महत्वपूर्ण है और यह सम्मेलन नीति आयोग के उप-राष्ट्रीय स्तर पर साझेदारी को बढ़ावा देने के लगातार किए जा रहे प्रयासों का हिस्सा है। एसडीजी स्थानीयकरण के संदर्भ में, क्षेत्र के राज्यों ने अपनी विकास योजना और दृष्टि दस्तावेजों में एजेंडा 2030 रूप-रेखा को जोड़ने में काफी प्रगति की है।
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