Saturday, February 29, 2020

पिगमेंटरी डिसऑर्डर पर शोध को बढ़ावा देने के लिए 3.6 करोड़ रुपये का अनुदान

पिगमेंटरी डिसऑर्डर यानी वर्णक विकारों की समस्या को समझने के लिए किए जा रहे अध्ययन को वेलकम ट्रस्ट/ डीबीटी इंडिया गठबंधन के जरिये जबरदस्‍त शॉट मिलने की उम्मीद है। यह गठबंधन जैव प्रौद्योगिकी के लिए फरीदाबाद स्थित क्षेत्रीय केंद्र के सहायक प्रोफेसर डॉ. राजेन्द्र के. मोतीयानी पर एक इंटरमीडिएट फेलोशिप पुरस्कार प्रदान करता है। इस पुरस्कार में पांच वर्षों की अवधि के लिए 3.60 करोड़ रुपये का अनुदान शामिल है।


शारीरिक वर्णकता एक महत्वपूर्ण रक्षा तंत्र है जिसके द्वारा त्वचा को हानिकारक यूवी विकिरणों से बचाया जाता है। अकुशल वर्णकता त्वचा के कैंसर का कारण बनता हैजो दुनिया भर में कैंसर से जुड़ी मौतों के प्रमुख कारणों में से एक है। इसके अलावा, वर्णक विकार (हाइपो और हाइपर पिगमेंटरी दोनों) एक सामाजिक कलंक माना जाता है और इसलिए वह लंबी अवधि के लिए मनोवैज्ञानिक आघात पहुंचाता है और रोगियों के मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित करता है। वर्तमान चिकित्सीय रणनीतियां वर्णक विकारों को दूर करने में कुशल नहीं हैं।


इस पुरस्कार के तहत शुरू की जाने वाली यह अनुसंधान परियोजना का उद्देश्‍यलक्ष्य करने योग्य उन नोवल मॉलिक्‍यूलर पदार्थों की पहचान करना होगा जो वर्णक प्रक्रिया को संचालित करने के लिए महत्‍वपूर्ण हैं। इसके अलावा, शोधकर्ता वर्णक विकारों के उपचार के लिए वाणिज्यिक तौर पर उपलब्ध दवाओं का नए सिरे से उपयोग करने की कोशिश भी करेंगे। आगे चलकर इस परियोजना से समाज को दोतरफा लाभ- यूवी-प्रेरित त्वचा के कैंसर से सुरक्षा और वर्णक विकारों के लिए संभावित उपचार का विकल्प- होने की उम्मीद है।


वर्णकता जीवविज्ञान क्षेत्र में अब तक मुख्‍य तौर पर मेलेनिन संश्लेषण को विनियमित करने वाले एंजाइमों को समझने और उनके बायोजेनेसिसएवं परिपक्वता में शामिल मेलेनोसोम प्रोटीन पर ध्‍यान केंद्रित किया गया है। हालांकि, मेलेनोसोम बायोजेनेसिस और मेलेनिन संश्लेषण जटिल प्रक्रिया है और संभवत: अन्य कोशिकीय अंगइस प्रक्रिया को संचालित करते हैं।


डॉ. मोतियानी और उनकी टीम द्वारा अलग-अलग वर्णक मीलेनोसाइट पर इससे पहले किए गए अध्ययन से पता चला था कि एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम (ईआर) और माइटोकॉन्ड्रियावर्णकता के महत्वपूर्ण संचालक हैं। इस नई परियोजना का उद्देश्य वर्णकता में एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम और माइटोकॉन्ड्रिया सिग्‍नलिंग पाथवे की भूमिका को चित्रित करना और प्रमुख एंडोप्लाज्मिक रेटिकुलम और माइटोकॉड्रियल प्रोटीन की पहचान करना है जो वर्णकता को नियंत्रित करते हैं। बाद में वे इन सिग्नलिंग कैस्केड को एफडीए द्वारा मंजूर दवाओं से लक्ष्‍य करेंगे ताकि यह पता चल सके कि किसी ज्ञात दवा का इस्‍तेमाल वर्णक विकारों को कम करने के लिए किया जा सकता है। (विज्ञान समाचार)


(प्रमुख शब्‍द : माइटोकॉन्ड्रिया, यूवी विकिरण, त्वचा कैंसर, वर्णक विकार, कलंक, मनोवैज्ञानिक आघात, चिकित्सीय रणनीति)



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