यह योजना 01 दिसम्बर, 2018 से प्रभावी है। पात्रता के संबंध में लाभार्थियों की पहचान के लिए समय सीमा तिथि 01 फरवरी, 2019 थी। लाभार्थियों की पहचान का पूर्ण दायित्व राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों की सरकारों पर है। योजना के लिए एक विशेष वेब-पोर्टल www.pmkisan.gov.in प्रारंभ किया गया है। लाभार्थियों को वित्तीय लाभ पीएम-किसान वेब-पोर्टल पर उनके द्वारा तैयार और अपलोड किए गए आंकड़ों के आधार पर जारी किए जाते हैं।
इस योजना के तहत प्रारंभ में पूरे देश में 2 हेक्टेयर तक की कृषि योग्य भूमि रखने वाले सभी छोटे और सीमांत किसानों के परिवारों को आय सहायता प्रदान की गई। बाद में 01 जून 2019 से इसके दायरे को विस्तारित करते हुए देश के सभी खेतीहर किसान परिवारों को इसमें शामिल किया गया। हालाकि पिछले मूल्यांकन वर्ष में, आयकर अदा करने वाले प्रभावशाली पेशेवर किसानों जैसे चिकित्सकों, अभियंताओं, अधिवक्ताओं, सनदी लेखाकारों और प्रति माह कम से कम 10,000 रुपये के पेंशनभोगियों (एमटीएस/चतुर्थ श्रेणी/ समूह घ कर्मचारी को छोड़कर) को इस योजना से बाहर रखा गया है। पूर्वोत्तर राज्यों के लिए विशेष प्रावधान किए गए हैं, जहां भूमि स्वामित्व के अधिकार समुदाय आधारित हैं, वन निवासी और झारखंड, जिनके पास भूमि के अद्यतन रिकॉर्ड और भूमि हस्तांतरण पर प्रतिबंध नहीं है।
नामांकन के लिए, किसान को राज्य सरकार द्वारा नामित स्थानीय पटवारी/राजस्व अधिकारी/नोडल अधिकारी (पीएम-किसान) से संपर्क करना होगा। किसान पोर्टल में फारमर्स कॉर्नर के माध्यम से अपना स्व-पंजीकरण भी करा सकते हैं। पोर्टल में फारमर्स कॉर्नर के माध्यम से किसान अपने आधार डेटाबेस कार्ड के अनुसार पीएम-किसान डेटाबेस में अपने नाम में सुधार कर सकते हैं। पोर्टल में फारमर्स कॉर्नर के माध्यम से किसान अपने भुगतान की स्थिति भी जान सकते हैं। लाभार्थियों के ग्राम-वार विवरण भी फारमर्स कॉर्नर पर उपलब्ध हैं।
कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) को भी शुल्क के भुगतान पर योजना के लिए किसानों के पंजीकरण के लिए अधिकृत किया गया है। फारमर्स कॉर्नर पर दी गई उपरोक्त सुविधाएं सीएससी के माध्यम से भी उपलब्ध हैं। कृषि जनगणना 2015-16 के आधार पर, इस योजना के तहत लाभान्वित होने वाले कुल लाभार्थियों की संख्या 14 करोड़ है। पीएम-किसान पोर्टल में राज्य नोडल अधिकारी (एसएनओ) द्वारा पंजीकृत लाभार्थी 4 माह की अवधि से अपने लाभ के हकदार हैं। केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने स्थिति सत्यापन के लिए 24 घंटे 7 दिन कार्य करने वाली एक स्वचालित आईवीआरएस आधारित हेल्पलाइन का भी शुभारंभ किया है। किसान अपने आवेदन की स्थिति जानने के लिए 1800-11-5526 या 155261 डायल कर सकते हैं। इसके अलावा, किसान अब ईमेल pmkisan-ict@gov.in पर पीएम किसान टीम से संपर्क कर सकते हैं। राज्य सरकारें किसानों के लिए समय-समय पर शिविरों का भी आयोजन कर रही हैं ताकि उनके आवेदन विवरणों में सुधार किया जा सके। 1 दिसंबर, 2019 को या उसके बाद मिलने वाली सभी किस्तों का भुगतान लाभार्थियों को केवल आधार प्रमाणीकृत बैंक डेटा के आधार पर ही किया जा रहा है ताकि वास्तविक लाभार्थियों को सुनिश्चित करने के साथ-साथ दोहरे भुगतान से बचा जा सके। असम और मेघालय के अलावा केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख को 31 मार्च 2020 तक इस आवश्यकता से छूट दी गई है।
केंद्र सरकार अब तक 50850 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि जारी कर चुकी है। कृषि जनगणना 2015-16 के अनुमानों के आधार पर, योजना के अंतर्गत आने वाले लाभार्थियों की कुल संख्या लगभग 14 करोड़ है। 20 फरवरी, 2020 तक, राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश सरकारों द्वारा पीएम-किसान वेब पोर्टल पर अपलोड किए गए लाभार्थियों के आंकड़ों के आधार पर, 8.46 करोड़ किसान परिवारों को लाभ दिया गया है। राज्यवार विवरण नीचे दिया गया है:
20-02-2020 को पीएम-किसान के लाभार्थी | ||
राज्य/केन्द्र शासित प्रदेश | किसानों/परिवारों की संख्या | |
अंडमान व निकोबार द्वीप समूह | 16,521 | |
आंध्र प्रदेश | 51,17,791 | |
बिहार | 53,60,396 | |
चंडीगढ़ | 423 | |
छत्तीसगढ़ | 18,80,822 | |
दादरा और नगर हवेली | 10,462 | |
दमन और दीव | 3,466 | |
दिल्ली | 12,896 | |
गोवा | 7,248 | |
गुजरात | 48,75,048 | |
हरियाणा | 14,55,118 | |
हिमाचल प्रदेश | 8,72,175 | |
9,34,299 | ||
झारखंड | 14,36,023 | |
कर्नाटक | 49,12,445 | |
केरल | 27,73,306 | |
लक्षद्वीप | - | |
मध्य प्रदेश | 55,19,575 | |
महाराष्ट्र | 84,59,187 | |
ओडिशा | 36,28,657 | |
पुडुचेरी | 9,736 | |
पंजाब | 22,40,189 | |
राजस्थान | 52,04,520 | |
तमिलनाडु | 35,34,527 | |
तेलंगाना | 34,81,656 | |
उत्तर प्रदेश | 1,87,64,926 | |
उत्तराखंड | 7,01,855 | |
पश्चिम बंगाल | -- | |
कुल (1) | 8,12,13,267 | |
पूर्वोत्तर के राज्य | ||
अरुणाचल प्रदेश | 50,823 | |
असम | 27,04,200 | |
मणिपुर | 1,73,789 | |
मेघालय | 70,236 | |
मिजोरम | 67,540 | |
नगालैंड | 1,70,334 | |
सिक्किम | 1,372 | |
त्रिपुरा | 1,96,767 | |
कुल (2) | 34,35,061 | |
कुल योग (1+2) | 8,46,48,328 | |
इस योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए एक व्यापक निगरानी तंत्र बनाया गया है। केंद्र के स्तर पर योजना में आवश्यक संशोधन के लिए केंद्रीय वित्त, कृषि और भूमि संसाधन मंत्रियों से युक्त एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया गया है। व्यय विभाग (डीईए), कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग (डीएसी एंड एफडब्ल्यू), भूमि संसाधन और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिवों के साथ कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में राष्ट्रीय स्तर पर एक समीक्षा समिति समय-समय पर सदस्यों के रूप में योजना के कार्यान्वयन की समीक्षा और निगरानी करती है। संयुक्त सचिव स्तर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तहत केन्द्रीय परियोजना निगरानी इकाई (पीएमयू) इस योजना के कार्यान्वयन और प्रचार आदि की निगरानी करती है। राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों के स्तर पर, नोडल विभाग और पीएमयू योजना के कार्यान्वयन की निरंतर निगरानी करते हैं, जबकि राज्य और जिला स्तर की निगरानी समितियों का भी गठन किया गया है।
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