नागपुर के जिला अधिकारी की अध्यक्षता में पिछले साल 30 अक्टूबर, 2019 को पहली बैठक हुई थी। बैठक के बाद एपीडा, नेशनल रिसर्च सेंटर फॉर साइट्रस (एनआरसी), नागपुर, नागपुर जिले के कृषि विभाग, वनामती नागपुर, महाराष्ट्र राज्य कृषि विपणन बोर्ड (एमएसएएमबी), डॉ. पंजाबराव देशमुख कृषि विद्यापीठ को मिलाकर हितधारकों की एक क्लस्टर विकास समिति गठित की गई।
नागपुर ऑरेंज क्लस्टर पर 5 दिसंबर, 2019 को वनामती, नागपुर में एक क्रेता-विक्रेता सम्मेलन-सह-प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया था। नागपुर जिले के लगभग 150 किसानों, किसान उत्पादक कंपनियों और सात निर्यातकों ने प्रशिक्षण कार्यक्रम में भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में किसानों और निर्यातकों के बीच तकनीकी सत्रों का संचालन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का मुख्य फोकस मध्य-पूर्व के देशों में नागपुर नारंगी के निर्यात को बढ़ावा देना और मध्य-पूर्व में नागपुर नारंगी का ब्रांड स्थापित करना है। सभी निर्यातकों को यह भी बताया गया कि निर्यात करते समय नागपुर संतरे के प्रत्येक फल तथा क्रैटों की लेबलिंग करना महत्वपूर्ण है।
पिछले साल 6 दिसंबर को एपीडा, एमसीडीसी, राज्य कृषि विभाग और निर्यातकों के साथ नागपुर एवं अमरावती जिलों के वारुद, काटोल, कलामेश्वर के संतरा उत्पादक क्षेत्रों का दौरा किया गया था। इसके बाद निर्यातकों ने नागपुर नारंगी के निर्यात के लिए रूचि दिखाई। इच्छुक निर्यातकों ने इस साल जनवरी के महीने में फिर से उसी नारंगी उत्पादक क्षेत्रों का दौरा किया। एक निर्यातक ने वारुद तालुका के किसानों से सीधे तौर पर संतरे खरीदे और उन्हें नवी मुंबई के वाशी में एपीडा द्वारा वित्त-पोषित वीएचटी केन्द्र में लाया। वीएचटी पैक हाउस में संतरे को वर्गीकृत और क्रमबद्ध किया जाता है। निर्यातक द्वारा 10 किलोग्राम प्रति टोकरा ले जाने के लिए नए प्लास्टिक के बक्से तैयार और विकसित किए गए थे।
नारंगी का अंतर्राष्ट्रीय व्यापार 2018 में 10183 मिलियन अमरीकी डॉलर था। भारत ने 2018-19 में 8781 हजार टन नारंगी (नारंगी में मंदारिन, क्लेमेंटाइन शामिल हैं) का उत्पादन किया।
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