जीडीपी वृद्धि को निवेशकों और नीति निर्माताओं द्वारा फैसला लेने में महत्वपूर्ण पहलु बताते हुए आर्थिक समीक्षा में हाल की उस चर्चा को रेखांकित किया गया है कि 2011 में अनुमान की प्रविधि की समीक्षा के बाद भारत के जीडीपी का सही अनुमान लगाया गया है या नहीं। समीक्षा में मौजूदा प्रासंगिक सामग्री और अर्थशात्रीय विधियों का लाभ उठाते हुए साक्ष्य की सावधानीपूर्वक जांच की गई, ताकि यह अध्ययन किया जा सके कि क्या भारत की मौजूदा जीडीपी वृद्धि अनुमानित वृद्धि से अधिक है। इसमें बताया गया कि सावधानीपूर्वक किये गए सांख्यिकीय और आर्थिक विश्लेषण के आधार पर भारत की जीडीपी वृद्धि के गलत अनुमान का कोई साक्ष्य नहीं मिलता है।
समीक्षा में भारत के सांख्यिकीय अवसंरचना में सुधार के लिए निवेश की जरूरत पर बल दिया गया है। इसमें यह भी बताया गया है कि भारत ने कई सामाजिक विकास संकेतकों में महत्वपूर्ण सुधार दर्ज किया है।
समीक्षा में विभिन्न प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से अलग देशों की चर्चा की गई है। इसमें कहा गया है कि अन्य कारकों के असर को अलग करने और जीडीपी वृद्धि अनुमान पर प्रविधि समीक्षा के असर को दरकिनार करते हुए संबंधित देशों की तुलना बड़ी सावधानी के साथ करनी होगी।
समीक्षा में बताया गया है कि भारत ने निवेश बढ़ाने के लिए एफडीआई नियमों में राहत, कॉरपोरेट दरों में कटौती, महंगाई पर अंकुश, अवसंरचना के निर्माण में तेजी, व्यवसाय शुरू करने को आसान बनाने या कर सुधार जैसे कई कदम उठाए हैं। इसमें कहा गया है कि निवेशक यहां कई अवसर देख रहे हैं, क्योंकि भारत दुनिया की सबसे तेजी बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इसमें यह भी कहा गया है कि देश के जीडीपी के स्तर और वृद्धि दर से कई महत्वपूर्ण नीतिगत पहलों की जानकारी मिलती है।
समीक्षा में सूक्ष्म स्तरीय साक्ष्य की विस्तार से चर्चा की गई है, जिसमें भारत के 504 जिलों में औपचारिक क्षेत्र में नए प्रतिष्ठानों के गठन का पता चला। समीक्षा में बताया गया है कि सूक्ष्म साक्ष्य से पता चलता है कि नए प्रतिष्ठानों के गठन में 10 प्रतिशत की वृद्धि से जिला स्तर पर 108 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर्ज की गई।
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