श्री सिन्हा ने कहा कि एसएआरएएस कोयला उत्पादन, उत्पादकता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए नवाचार एकीकरण और अनुसंधान में कंपनी की मदद करेगा और इसे सक्षम बनायेगा। कंपनी ने आईआईटी (बीएचयू) के सहयोग से एक समर्पित अनुसधान एवं विकास केंद्र की स्थापना की है और इस कदम को सुविधाजनक बनाने के लिए 60 मिलियन रूपये की मूल्य की 6 विभिन्न डोमेन परियोजनाओं की शुरुआत की है।
इसके अलावा, एसएआरएएस कंपनी के परिचालन क्षेत्र के आस-पास स्थानीय युवाओं के कौशल विकास की गुणवत्ता और रोजगार पर ध्यान देने के साथ-साथ अनुसंधान विकास को तकनीकी सहायता सुनिश्चित करने के लिए उत्कृष्टता केंद्र स्थापित करने में भी मदद करेगा। संसाधनों के अधिकतम उपयोग के लिए सामान्य तकनीकी मंचों के साथ परिचालन दक्षता और सभी पहलुओं को एकीकृत करने के लिए कंपनी के मौजूदा बुनियादी तकनीकी ढांचे में लगातार सुधार करना भी इस केन्द्र की स्थापना का उद्देश्य है।
एनसीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री प्रभात कुमार सिन्हा को कोयला क्षेत्र में उत्पादकता, काम की गुणवत्ता और अन्य अनगिनत योगदानों में अपने महत्वपूर्ण योगदान के लिए इस सेमिनार में विश्व विज्ञान उत्पादकता में एक फैलो के रूप में भी चुना गया था। भारत के कोयला उत्पादन में एनसीएल का 15 प्रतिशत और देश की तापीय बिजली उत्पादन में 10 प्रतिशत योगदान है जो भारत सरकार की इस मिनिरत्न कंपनी द्वारा उत्पादित कोयले से पूरा किया जाता है। कंपनी हर साल 100 मिलियन टन से अधिक कोयला का उत्पादन करती है। चालू वित्त वर्ष में इसने 107 मिलियन टन कोयले का उत्पादन करने की योजना बनाई है। श्री पी.के. सिन्हा ने यह जानकारी इस सेमीनार में उपस्थित नीति निर्माताओं, देश के थींक टेंक के समक्ष दी। इनकी प्रस्तुति में कोयला, विद्युत, इस्पात, एमएसएमई क्षेत्रों पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया गया।
तेजी से बदलती प्रौद्योगिकी संचालित दुनिया के साथ, किसी उच्च प्रतिस्पर्धी माहौल में एक सफल संगठन के लिए नवाचार व्यापार रणनीति का एक अनिवार्य हिस्सा है और भविष्य की प्रगति की गति की पहचान करने में भी महत्वपूर्ण है। खनन क्षेत्र की वर्तमान और भविष्य की चुनौतियों के साथ अग्रिम तैयारी सुनिश्चित करने के लिए, एनसीएल एक विशिष्ट अवधारणा/मॉडल एसएआरएएस सपोर्ट के साथ सामने आ गया है और इसने प्रयोगशाला से औद्योगिक धरातल की ओर पंख फैलाये हैं।
एसएआरएएस में चार स्तंभ हैं- (i) खानों में उत्पादन, उत्पादकता और सुरक्षा बढ़ाने के लिए नवाचार और अनुसंधान का एकीकरण, इसके लिए कंपनी ने आईआईटी (बीएचयू) के सहयोग से एक समर्पित अनुसंधान और विकास केंद्र की स्थापना की है जिसने पहले ही 6 विविध डोमेन परियोजनाएं शुरू की हैं, जिनकी लागत 60 मिलियन रूपये है। (ii) कंपनी के परिचालन क्षेत्र में स्थानीय युवाओं के कौशल विकास की गुणवत्ता और रोजगार पर जोर देते हुए तकनीकी सहायता और अनुसंधान और विकास सुनिश्चित करने के लिए उत्कृष्टता केन्द्र की स्थापना, इस तरह की अन्य पहल में एनसीएल के पास एनसीएल-आईआईटी (बीएचयू) इन्क्यूवेशन केन्द्र है, जहां 21 नवोदित स्टार्टअप्स का पोषण हो रहा है। (iii) चालन दक्षता के लिए कंपनी के मौजूदा तकनीकी बुनियादी ढांचे में निरंतर सुधार, जहां इसकी प्रशिक्षण सुविधा और मेगा मरम्मत कार्यशालाओं का उन्नयन होगा और (iv) संसाधनों के अधिकतम उपयोग के लिए सामान्य तकनीकी प्लेटफार्म के साथ एसएआरएएस के तहत सभी पहलों को एकीकृत करना।
No comments:
Post a Comment