डॉ. जितेन्द्र सिंह अपने डेढ़ घंटे के दौरे के दौरान विभिन्न काउंटर और स्टॉल पर गए लेकिन उन्होंने विशेष रूप से जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों के प्रतिभागियों द्वारा लगाए गए प्रत्येक स्टॉल का निरीक्षण किया। बातचीत के दौरान उन्होंने विभिन्न वस्तुओं के लिए ग्राहक और ग्राहकों की प्राथमिकताओं के बारे में काफी उत्सुकता से पूछताछ की।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने जम्मू-कश्मीर के कालीन एवं शॉल के प्रदर्शन के लिए लगाए गए स्टॉलों से गुजरते हुए आयोजकों को बिक्री को बढ़ावा देने और प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए कुछ सुझाव भी दिए। इसी तरह उन्होंने मणिपुर और असम जैसे पूर्वोत्त्र राज्यों द्वारा लगाए गए स्टालों पर भी रुके और आगंतुकों द्वारा मांगी गई पसंदीदा वस्तुओं के बारे में पूछताछ की।
बांस के स्टॉल पर प्रदर्शित बांस की वस्तुओं को देखते हुए डॉ. जितेन्द्र सिंह ने गुवाहाटी के पास गन्ना एवं बांस प्रौद्योगिकी केंद्र (सीबीटीसी) के बारे में जानकारी साझा की। साथ ही उन्होंने मूल्यवर्धन, नवाचार एवं सृजन संबंधी जानकारी लेने के लिए कारीगरों को उस केंद्र पर आमंत्रित किया।
खाद्य श्रेणी में डॉ. जितेन्द्र सिंह विभिन्न व्यंजनों का जायका लिया। उदाहरण के लिए, उन्होंने कश्मीरी वाजवान, लखनवी ठंडाई, दिल्ली की चाट, केरल मालाबार के व्यंजन, राजस्थानी रोटी और तमिलनाडु वडा का स्वाद लिया। इसके अलावा उन्होंने लखनवी बिरयानी का स्वाद लेने के आग्रह को भी स्वीकार किया।
डॉ. जितेन्द्र सिंह ने उत्तर प्रदेश के ‘घराना’ कारीगरों द्वारा लगाए गए हस्तशिल्प स्टालों में भी रुचि दिखाई। साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि लखनवी, मणिपुरी और कश्मीरी कारीगरी को मिलाकर तैयार उत्पाद सबसे अच्छा कैसे हो सकता है।
बाद में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ‘हुनर हाट’ ने भारत के हरेक क्षेत्र की भावना का अनुभव करने के लिए एक अनूठा अवसर प्रदान किया जिसमें भोजन से लेकर वस्त्र तक शामिल हैं। उन्होंने कहा कि यह युवा उद्यमियों को रचनात्मकता के साथ-साथ आजीविका का विकल्प तलाशने का अवसर भी प्रदान करता है। उन्होंने इस पहल के लिए अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय और विशेष रूप से मंत्री श्री मुख्तार अब्बास नकवी को बधाई दी।
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