दैनिक अयोध्या टाइम्स संवाददाता,रामपुर- कांग्रेस किसान पश्चिमी उत्तर प्रदेश जिला अध्यक्ष हाजी नाजिश खान ने महामहिम राज्यपाल उत्तर प्रदेश पत्र भेजकर जिला रामपुर की कारागार में व्याप्त भ्रष्टाचार एवं बंदियों ओर उनसे मिलने आनेवाले परिजनों से अवैध वसूली के संदर्भ में महामहिम आपको अवगत कराना है। कि रामपुर जिला कारागार में मुलाकात करने वालों को गेट में घुसने से पहले ही अवैध सुविधा शुल्क देना पड़ता है। जेल गेट पर तैनात संतरी अंदर तभी जाने देते हैं।जब उन्हें हर मुलाकाती से 20 से 50 रुपये प्राप्त हो जाते हैं। दिनदहाड़े चल रह इस खेल की जानकारी भले ही अधिकारियों को न हो, लेकिन यह खेल लंबे समय से चला आ रहा है। नंबर लगने से लेकर मुलाकात तक लोगों से जमकर वसूली की जाती है।जिला कारागार में बंदियों से उनके परिचित या रिश्तेदार अगर मुलाकात करने आते हैं। तो प्रक्रिया के तहत उन्हें मुलाकाती पर्ची से लेकर सभी कर्म पूरे करने होते हैं। इसके बाद बाकायदा उन्हें लाइन लगवाकर अंदर जाने की इजाजत मिलती है। जहां अंदर जाने से पहले गेट पर तैनात संतरी मुलाकातियों से अंदर जाने की एवज में अवैध सुविधा शुल्क वसूलते हैं। 20 से 50 रुपये तक हर मुलाकाती से लिया जाता है। ऐसे में अगर कोई यह शुल्क देने से मना करे तो लाइन में घंटों के हिसाब से लगाया जाता है। इससे परेशान होकर मजबूरी में मुलाकातियों को संतरियों की बात माननी पड़ती है। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह सब खेल अधिकारियों में संज्ञान में नहीं हैं। ऐसा नहीं हो सकता।यह खेल सभी की शह पर हो रहा है, लेकिन आपसी सांठगांठ की वजह से कोई भी अधिकारी कार्रवाई को तैयार नहीं होता। इस तरह से मुलाकातियों की जेबों पर दिन दहाड़े डाका डाला जा रहा है।100 रुपये मुलाकाती अंदर का है चार्ज मुलाकाती अगर किसी बंदी से मिलता है तो उसे 100 रुपये देने होते हैं। उसकी मुख्य वजह है कि अंदर तैनात जेलकर्मी मुलाकात करने वाले से बैरक में पहुंचने से पहले ही 100 रुपये की वसूली करते हैं। ऐसा न करने वाले बंदियों को बैरकों में सताया जाता है। इससे मजबूरीवश खुद बंदी अपने मुलाकाती से अंदर दिए जाने वाले रुपये मांग लेता है।न्यायालय के आदेश पर जेल जाने वाले बंदियों से पांच हजार रुपये मशक्कत के नाम पर बेरीक़ो के हिसाब से लिये जाते है पहले जेल जेल के अंदर आठ सो रुपये मशक्कत के नाम पर लिए जाते थे अब नए कारागार अधीक्षक के नियम बदल गए है उन्होंने सीधा 5 हज़ार रुपये पर कैदी मशक्कत कर दी है।जेल में मिलने वाले खाने का स्तर इतना खराब है कि रोटियां तो कैदी वहा जलाया करते है उसके खाते तक नही है क्योंकि घटिया गुणवत्ता होने के कारण उसे बमुश्किल ही खाया जाता है साथ ही मिलने वाली दाल में सिर्फ़ पानी ही नज़र आता है रसूकदार लोगों का खाना बाहर से आता है जिसका चार्ज जेलर साहब को अलग से दिया जाता है जेल में उगने वाली सब्जियां व अन्य वस्तुओं को बाहर महंगे दामों में बेच दिया जाता है।बेरिक में भी पट्टे का किराया देना पड़ता है उसकी वसूली नंबरदार ओर राइटर करते है फिर सीधा जेल प्रशासन को उसके रुपये भी जमा करने पड़ते है महामहिम से अनुरोध है कि किसी स्वतंत्र एजेंसी द्वारा बंदियों के कारागार में हो रहे शोषण एवं उनसे की जा रही समस्त अवैध वसूली करने वालो अधिकारियों एवं कर्मचारियों की जांच कराकर कानूनी कार्यवाही करने की माग की।
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