Monday, February 3, 2020

भारत ने समानता एवं साझा, लेकिन भिन्न जिम्‍मेदारियों के सिद्धांतों के अनुसार पेरिस समझौते के तहत अपने राष्‍ट्रीय निर्धारित अंशदान (एनडीसी) के अनुरूप सतत विकास पथ पर चलने के लिए अथक प्रयास किए हैं : आर्थिक समीक्षा 

केन्‍द्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री श्रीमती निर्मला सीतारमण ने आज संसद में आर्थिक समीक्षा, 2019-20 पेश की। आर्थिक समीक्षा में विकास से जुड़ी अनिवार्यताओं पर फोकस करते हुए जलवायु परिवर्तन के मुद्दों से निपटने के लिए भारत के समग्र दृष्टिकोण पर विशेष बल दिया गया है।


आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत ने समानता एवं साझा, लेकिन भिन्न जिम्‍मेदारियों के सिद्धांतों के अनुसार पेरिस समझौते के तहत अपने राष्‍ट्रीय निर्धारित अंशदान (एनडीसी) के अनुरूप एक ऐसे विकास पथ पर चलने के लिए अथक प्रयास किए हैं जो सतत विकास का मार्ग प्रशस्‍त करता है और विभिन्‍न योजनाओं में निवेश कर पर्यावरण का संरक्षण करता है।


आर्थिक समीक्षा में यह भी कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन के प्रभावों में कमी से जुड़ी भारत की रणनीतियों में स्‍वच्‍छ एवं बेहतर ऊर्जा प्रणाली, ऊर्जा दक्षता में वृद्धि करने, सुदृढ़ शहरी अवसंरचना, सुरक्षित व स्‍मार्ट तथा टिकाऊ हरित परिवहन नेटवर्क और नियोजित वनीकरण के साथ-साथ सभी सेक्‍टरों में समग्र भागीदारी पर बल दिया गया है।


सतत विकास एवं जलवायु परिवर्तन के लिए भारत की नीतियों की दिशा में प्रगति


आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि भारत अपने एनडीसी को प्राप्‍त करने के पथ पर अग्रसर है। आर्थिक समीक्षा ने भारत के नवीकरणीय ऊर्जा सेक्‍टर में उल्‍लेखनीय छलांग पर भी प्रकाश डाला है जिसके तहत विश्‍व के एक सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा विस्‍तार कार्यक्रम के तहत 175 गीगावाट नवीकरणीय ऊर्जा के लक्ष्‍य में से 83 गीगावाट लक्ष्‍य की प्राप्ति की जा रही है।


इसके अलावा, शत-प्रतिशत ठोस अपशिष्‍ट का वैज्ञानिक प्रबंधन सुनिश्चित करने और पर्यावरण में समग्र सुधार के लिए शहरी भारत को खुले में शौच मुक्‍त (ओडीएफ) करने के दो उद्देश्‍यों के साथ स्‍वच्‍छ भारत मिशन (शहरी) को वर्ष 2014 में लॉन्‍च किया गया था। 35 राज्‍यों/केन्‍द्र शासित प्रदेशों के सभी शहरी क्षेत्र ओडीएफ हो गए हैं और अपशिष्‍ट की प्रोसेसिंग का स्‍तर लगभग 18 प्रतिशत से बढ़कर 60 प्रतिशत के स्‍तर पर पहुंच गया है।


आर्थिक समीक्षा में एनडीसी के अनुरूप ‘जलवायु परिवर्तन पर राष्‍ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी)’ में संशोधन करने से संबंधि‍त भारत के निर्णय पर प्रकाश डाला गया है, ताकि इसे और भी अधिक व्‍यापक बनाया जा सके। आर्थिक समीक्षा में विभिन्‍न योजनाओं जैसे कि एलईडी बल्‍ब के वितरण से जुड़ी उजाला स्‍कीम की भूरि-भूरि प्रशंसा की गई है जो 360 मिलियन का आंकड़ा पार कर गया है। इसी तरह आर्थिक समीक्षा में स्‍ट्रीट लाइटिंग कार्यक्रम को मिली उल्‍लेखनीय सफलता की भी सराहना की गई है जिसके तहत 10 मिलियन पारंपरिक स्‍ट्रीटलाइट के स्‍थान पर एलईडी स्‍ट्रीटलाइटें लगाई गई हैं और जिससे 43 मिलियन टन कार्बन-डाई-ऑक्‍साइड के उत्‍सर्जन की बचत करने में मदद मिली है।


अंतर्राष्‍ट्रीय स्‍तर पर भारत की पहल


सौर क्षेत्र में, अंतर्राष्‍ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) सदस्‍य देशों की 30 फेलोशिप को संस्‍थागत रूप देकर ‘समर्थवान’, भारत के एक्जिम बैंक से 2 अरब अमेरिकी डॉलर का ऋण एवं फ्रांस की एजेंसे फ्रांकेइस डे डेवलपमेंट (एएफडी) से 1.5 अरब अमेरिकी डॉलर की राशि पाकर ‘सुविधाप्रदाता’, सौर जोखिम अपशमन पहल जैसे कदमों को बढ़ावा देकर ‘इन्‍क्‍यूबेटर’ और 1000 मेगावाट की कुल मांग तथा 2,70,000 सोलर पंपों के लिए विभिन्‍न साधनों को विकसित कर ‘त्‍वरक’ की भूमिका निभा रहा है।


भारत ने संयुक्‍त राष्‍ट्र के महासचिव के जलवायु कार्रवाई शिखर सम्‍मेलन के दौरान अलग से आपदा सक्षम अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) को सितम्‍बर, 2019 में लॉन्‍च किया। सीडीआरआई का उद्देश्‍य जलवायु एवं आपदा जोखिमों से निपटने के लिए नई एवं मौजूदा अवसंरचना प्रणालियों की सुदृढ़ता को बढ़ावा देना है, ताकि आपदाओं से अवसंरचना या बुनियादी ढांचागत सुविधाओं को होने वाले नुकसान में कमी की जा सके।


भारत ने 2-13 सितम्‍बर, 2019 के दौरान ‍मरुस्‍थलीकरण से निपटने के लिए संयुक्‍त राष्‍ट्र सम्‍मेलन (यूएनसीसीडी) की कॉन्‍फ्रेंस ऑफ पार्टीज (सीओपी 14) के 14वें सत्र की मेजबानी की। सीओपी 14 के दौरान ‘नई दिल्‍ली घोषणा पत्र : भूमि में निवेश करना और अवसरों को उन्‍मुक्‍त करना’ को अपनाया गया। भारत ने संवर्धि‍त दक्षिण-दक्षिण सहयोग के लिए भी सहायता देने की घोषणा की। भूजल के प्रबंधन के लिए वैश्विक जल कार्रवाई एजेंडे का भी शुभारंभ किया गया।


वित्तीय प्रणाली को निरंतरता के साथ जोड़ने के लिए भारत के प्रयास


आर्थिक समीक्षा में कहा गया है कि चीन के बाद भारत में ही दूसरा सबसे बड़ा उभरता ग्रीन बॉन्‍ड बाजार है। भारतीय स्‍टेट बैंक ने 650 मिलियन अमेरिकी डॉलर के सर्टिफाइड क्‍लाइमेट बॉन्‍ड के साथ बाजार में प्रवेश किया था। भारत वर्ष 2019 में सतत वित्त पर अंतर्राष्‍ट्रीय प्‍लेटफॉर्म (आईपीएसएफ) से भी जुड़ गया, ताकि पर्यावरणीय दृष्टि से सतत निवेश का स्‍तर बढ़ाया जा सके।


आर्थिक समीक्षा में जलवायु वित्त में कमी से जुड़े मुद्दे पर भी चिंता जताई गई है। हरित जलवायु कोष की प्रथम प्रतिपूर्ति (2020-2023) के तहत अब तक 28 देशों ने इस कोष की प्रतिपूर्ति के लिए 9.7 अरब अमेरिकी डॉलर की राशि देने का वादा किया है, जो आरंभिक संसाधन प्राप्ति (आईआरएम) से मात्रा की दृष्टि से कम है। आर्थिक समीक्षा में उम्‍मीद जताई गई है कि भारत विकसित देशों से इस कार्य में अगुवाई करने का दृढ़तापूर्वक आह्वान करते हुए आगे भी अपने समुचित दात्यिवों का निर्वहन करेगा।



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