Friday, February 21, 2020

भारत और नॉर्वे ने नीली अर्थव्यवस्था (समुद्री संसाधन) पर साझेदारी  मजबूत की



भारत के भू-विज्ञान मंत्री डॉ. हर्षवर्धन और नॉर्वे के जलवायु एवं पर्यावरण मंत्री श्री स्वेइनंग रोटेवैट्न ने आज सतत विकास के लिए नीली अर्थव्यवस्था पर भारत-नॉर्वे कार्यबल की शुरूआत की। दोनों देशों ने एकीकृत महासागर प्रबंधन और अनुसंधान पर एक नए सहयोग की भी शुरुआत की।


दोनों देशों के बीच संयुक्त पहल के तहत समुद्री कचरे को निपटाने के लिए कई परियोजनाएं पहले से ही चल रही हैं। दोनों सरकारों ने आज एक आशय पत्र पर हस्ताक्षर किए जिसमें पुष्टि की गई कि वे एकीकृत महासागर प्रबंधन और अनुसंधान पर सहयोग के लिए एक नई रूपरेखा विकसित करेंगे। इस आशय पत्र पर हस्ताक्षर प्रधानमंत्री के ईएसी के सदस्य सचिव श्री रतन पी. वाटल, भारत में नॉर्वे के राजदूत श्री हैंस जैकब फ्राइडएनलुंड, नॉर्वे के जलवायु एवं पर्यावरण मंत्रालय में उप-महानिदेशक श्री नीना रोर, भारत के भू-विज्ञान मंत्रालय में सचिव श्री एम. राजीवन और प्रधानमंत्री के ईएसी में वरिष्ठ सलाहकार डॉ सुमित्रा मिश्रा की उपस्थिति में किये गये।


डॉ हर्षवर्धन ने हस्ताक्षर समारोह में कहा कि महासागरीय संसाधनों का स्थायी प्रबंधन दोनों देशों के लिए पारस्परिक हित और चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि नॉर्वे और भारत द्वारा एक नई पहल की शुरुआत इस बात का संकेत है कि दोनों देशों के बीच सहयोग और भी मजबूत हो रहा है और इससे भारत-नॉर्वे महासागर सहयोग द्विपक्षीय संबंधों में एक महत्वपूर्ण स्तंभ बन गया है।


इस अवसर पर नॉर्वे के मंत्री रोटेवट्न ने कहा कि महासागरीय क्षेत्र में नॉर्वे-भारत का सहयोग नीली अर्थव्यवस्था में हमारी साझा रुचि और समुद्री संसाधनों के टिकाऊ उपयोग पर आधारित है और यह हमारे समुद्र के बारे में वैज्ञानिक जानकारी को आगे बढ़ाने वाला है। नॉर्वे और भारत सरकारी स्तर पर एकीकृत महासागर प्रबंधन सुनिश्चित करने के तरीकों पर काम कर रहे हैं। इसी समय, नॉर्वे की कंपनियां और निजी संस्थान अपने भारतीय समकक्षों के साथ अवसरों की तलाश कर रहे हैं और यह नॉर्वे के लिए भारत को और महत्वपूर्ण भागीदार बनाता है।


सतत विकास के लिए नीली अर्थव्यवस्था पर भारत-नॉर्वे कार्यबल को जनवरी, 2019 में भारत दौरे पर आई नॉर्वे की प्रधानमंत्री सुश्री एर्ना सोलबर्ग और प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने संयुक्त रूप से लॉन्च किया। इस कार्यबल का उद्देश्य दोनों देशों के बीच संयुक्त पहलों को विकसित करना और उनका पालन करना है। 18 फरवरी, 2020 की बैठक कार्यबल की तीसरी बैठक है।


नीली अर्थव्यवस्था पर भारत-नॉर्वे के संयुक्त कार्यबल की ताकत दोनों देशों के प्रासंगिक हितधारकों को उच्च स्तर पर गतिशील करने और मंत्रालयों एवं एजेंसियों के बीच जारी प्रतिबद्धता एवं प्रगति को सुनिश्चित करने की क्षमता है।



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