।बघौली क्षेत्र के अन्नदाता की गेहूं की फसल इस समय बाली निकलने पर है जिसे अन्ना मवेशियों के समूह से बचा पाना मुश्किल हो गया है अन्नदाता ओं के रात रात भर जागने के बावजूद यह झुंड के झुंड फसलों को बर्बाद कर रहे हैं इस समय फसल को हानि पहुंचने से किसान संकट में आ गया है
जिससे यह 40 से 50 मवेशियों के झुंड के झुंड अलग अलग हैं जोकि जिस खेत में घुसते हैं पूरा समूह का समूह घुसता है और उस में खड़ी फसल को पूरी तरह से नेस्तनाबूद कर देते हैं पहले इनके द्वारा फसल को चरने से विशेष नुकसान नहीं था लेकिन इस समय गेहूं की फसल में बाली निकलने वाली है जिससे अब इनके चरने से किसान संकट में आ गया है फसल को बचाने के लिए पूरी रात रात भर लोग खेतों पर चिल्लाते रहते हैं लेकिन यह अन्ना मवेशी अपना पेट भरने के लिए मौका पाते ही किसी ना किसी खेत को टारगेट करके पूरी तरह से खड़ी फसल नेस्तनाबूद कर देते हैं
सरकार द्वारा जगह-जगह खोले गए निराश्रित गौ आश्रय स्थल भी कारगर साबित नहीं हो पा रहे हैं गौ आश्रय स्थल के आसपास भी यही स्थिति बनी हुई है सबसे बड़ी समस्या आज किसान के सामने अन्ना मवेशी बनकर के खड़े हो गए हैं जोकि किसानों की ही देन है सरकार द्वारा इसके लिए कदम उठाए जा रहे हैं जो बेअसर साबित होते जा रहे हैं
ऐसे संकट से गुजर रहा अन्नदाता रात रात भर जाग कर सरकार को कोस रहा है जिसका प्रभाव आने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में साफ दिखाई पड़ेगा और तो और अन्ना मवेशियों की संख्या दिन पर दिन बढ़ती जा रही है जिससे भविष्य में यह संकट और भी गहराता जा रहा है
जबकि गायों की दशा को आश्रय स्थल से लेकर के सड़कों पर आए दिन दुर्घटना ग्रस्त होकर तड़प तड़प कर मर रही हैं तथा खेतों में सुरक्षा के लिए लगाए गए तारों में कट जाने से भी तड़प तड़प कर मर रही हैं जहां किसानों के द्वारा उनके खेतों में हानि पहुंचाते समय बल्लम आदि के द्वारा भी उन्हें चोट पहुंचाई जाती है जिससे आज गायों के दुर्दिन हो गए हैं और तो और जगह-जगह तड़प तड़प कर मर रही गाय और अन्नदाता भी संकट में तथा आने वाले विधानसभा चुनाव में सरकार को भी इसका खामियाजा उठाना पड़ सकता है सरकार को चाहिए कि जल्द से जल्द कोई ठोस कदम उठाएं जिससे इस समस्या का निदान हो सके।
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