मैं परेड में शामिल सभी अधिकारियों और नाविकों को उनकी मौजूदगी, स्मार्ट ड्रील तथा गति में सटीकता के लिए बधाई देना चाहूंगा। आज सवेरे की ऊर्जा देने वाली परेड और आपका आचरण भारतीय नौसेना के प्रतिष्ठित तकनीकी प्रशिक्षण केन्द्र के प्रशिक्षण के उच्च मानक को अभिव्यक्त करते हैं।
मेरे लिए आईएनएस शिवाजी को राष्ट्रपति का कलर प्रदान करना गौरव का क्षण है। यह प्रतिष्ठान एचएमआईएस शिवाजी के रूप में 1945 में कमीशन किया गया। तब से यह अत्याधुनिक प्रशिक्षण सुविधाओं के साथ भारतीय नौसेना का प्रतिष्ठित तकनीकी प्रशिक्षण संस्थान के रूप में विकसित हुआ है। संस्थान ने मरीन इंजीनियरिंग के सभी पहलुओं में बदलती हुई प्रौद्योगिकी के साथ अपनी गति बनाए रखी है।
मुझे यह जानकर प्रसन्नता हुई है कि इस महान संस्थान में अभी तक नौसेना, तटरक्षक तथा मित्र देशों के दो लाख से अधिक अधिकारी और नाविक मरीन इंजीनियरिंग की सभी शाखाओं में प्रशिक्षित किए गए हैं।
जैसा कि आप जानते हैं कि राष्ट्रपति का कलर शांति और युद्ध काल में देश की असाधारण सेवा को मानते हुए सैन्य इकाई को दिया जाने वाला ऊंचे सम्मानों में एक है। आईएनएस शिवाजी ने अनेक वर्षों तक देश की सेवा कर स्वयं को प्रतिष्ठित बनाया है। आईएनएस शिवाजी की पेशेवर उत्कृष्टता का रिकॉर्ड गौरवशाली है। इसने प्रतिष्ठा के साथ अपने दायित्वों का निर्वहन किया है। देश आपके समर्पण तथा कर्तव्यपरायणता के लिए आपका नमन करता है। हमें आपकी उपलब्धियों पर गर्व है और भारतीय नौसेना में आपके शानदार योगदान की सराहना करते हैं।
आज इस अवसर पर आईये हम सब उनको याद करें, जिन्होंने इस उत्कृष्ट संस्था को बनाने के लिए दशकों तक अथक प्रयास किए। यह संस्थान हमेशा उत्कृष्ट प्रयास करने के हमारे कर्तव्य को याद दिलाएगा, ताकि भारतीय नौसेना अधिक ऊंचाइयों की ओर बढ़े और गौरव प्राप्त करे।
आईएनएस शिवाजी ने उत्कृष्टता के 75 वर्ष पूरे किए हैं। आइये, हम सब अब तक की यात्रा पर आत्मनिरीक्षण करें और भविष्य की ओर भी देखें। स्वायत्त जहाजों के निर्माण के लिए टेक्नोलॉजी छलांग की तरह होती है। निर्णय लेने और युद्ध लड़ने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन तैनात की जाती है। मरीन इंजीनियरों का प्रशिक्षण इस तरह होना चाहिए कि वे विकसित हो रही टेक्नोलॉजी के साथ काम करें और अपने मूल इंजीनियरिंग पेशे में सक्षम बने रहें। मुझे विश्वास है कि आईएनएस शिवाजी इसके पोर्टलों से पासआउट करने वाले सभी प्रशिक्षुओं को भविष्य में कौशल संपन्न प्रशिक्षण देगा।
एक देश के समुद्री हित सामान्यतः देश की अर्थव्यवस्था और लोगों की खुशहाली से भी जुड़े होते हैं। मुझे बताया गया है कि मात्रा की दृष्टि से लगभग 90 प्रतिशत हमारा व्यापार समुद्री मार्ग से होता है। यह भारतीय नौसेना की भूमिका न केवल राष्ट्रीय सुरक्षा में बढ़ाता है, बल्कि आर्थिक सुरक्षा में भी और व्यापक दृष्टि से राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में भी। नौसेना भारत की समुद्री शक्ति का प्रमुख है। यह देश के सैन्य और नागरिक दोनों दृष्टि से समुद्री हितों का अभिभावक है। देश को हमारी समुद्री सीमा की रक्षा, व्यापार मार्गों की रक्षा और नागरिक आपात स्थिति में सहायता के प्रति भारतीय नौसेना के संकल्प पर गर्व है।
पूरे विश्व को एक परिवार मानते हुए और वसुधैव कुटुम्बकम की भावना से आगे बढ़ते हुए भारत निरंतर रूप से अपने वैश्विक उत्तरदायित्वों को पूरा कर रहा है। मैं यह जानकर प्रसन्न हूं कि हाल में मेडागास्कर में चक्रवाती तूफान डियाने से प्रभावित आबादी को मानवीय सहायता तथा आपदा राहत प्रदान करने के लिए भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन वनीला लान्च किया। भारत और मेडागास्कर भारतीय समुद्र क्षेत्र के माध्यम से जुड़े हुए हैं। मुझे 2018 में मेडागास्कर जाने का सम्मान मिला। मुझे यह विशेष खुशी है कि मालागासे के भाइयों और बहनों को बचाने के लिए सबसे पहले कदम उठाने वाला देश भारत था।
अग्रणी शक्ति के रूप में भारत अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा, व्यापार तथा वाणिज्य के संबंध में वैश्विक भूमिका निभा रहा है। अंतर्राष्ट्रीय़ व्यवस्था में भारत का कद बढ़ता जा रहा है और इसके अनेक कारणों में सशस्त्र बलों की क्षमता और शौर्य शामिल है। आज विश्व की भौगोलिक राजनीतिक स्थिति और भारत-प्रशांत क्षेत्र में अधिक सतर्कता की जरूरत है। मुझे ज्ञात है कि नौसेना ने हिंद महासागर क्षेत्र में मिशन आधारित तैनाती की है। निरंतर तैनाती और हित के क्षेत्रों में उपस्थिति के लिए मरीन इंजीनियरों का उच्च गुणवत्तासंपन्न प्रशिक्षण महत्वपूर्ण है। भविष्य में पारम्परिक से परमाणु तथा इलेक्ट्रिक तथा हाईब्रिड संचालन प्रणालियों में विविधता दिखेगी। रखरखाव की धारणाओं में बदलाव आएगा और प्लेटफॉर्मों की संचालन उपलब्धता की आवश्यकता बढ़ेगी। आईएनएस शिवाजी को भविष्य की चुनौतियों का सामना करने के लिए सभी प्रशिक्षुओं को आवश्यक कौशल से लैस होने का प्रशिक्षण देना होगा।
आईएनएस शिवाजी का आदर्श वाक्य ‘कर्मासु कौशलम’ है। इसका अर्थ का कार्य में कुशलता। वास्तव में यह अनुकूल आदर्श वाक्य है। मुझे विश्वास है कि आईएनएस शिवाजी पेशेवर कुशलता और दक्षता के साथ उत्तरदायित्वों को पूरा करते हुए प्रतिष्ठा और कार्य में उत्कृष्ट बना रहेगा।
मैं एक बार फिर इस गौरवशाली अवसर पर भारतीय नौसेना और आईएनएस शिवाजी की सराहना करता हूं और सभी पुरूषों और महिलाओं से निस्वार्थ भाव और समर्पण के साथ देश की सेवा करने का आग्रह करता हूं। मैं आपके गौरवशाली भविष्य की कामना करता हूं और भारत के प्रत्येक नागरिक की ओर से शुभकामनाएं देता हूं।
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