Thursday, February 13, 2020

आध्यत्म ज्ञान के द्वारा ही संशय निवारण:-महात्मा सुधर्मा नंद



सण्डीला/हरदोई:-(अयोध्या टाइम्स)मानव उत्थान सेवा समिति श्री हंस योग आश्रम हरदोई के विकास खण्ड सण्डीला के घूमना में चल रहे दो दिवसीय सदभावना संत सम्मेलन व सत्संग कार्यक्रम बुधवार शाम सम्पन्न हुआ। यह कार्यक्रम उन्नाव से सुधर्मा नंद जी व हरदोई आश्रम से आए महात्मा सुदासानन्द की  अध्यक्षता में सम्पन्न हुआ।
कार्यक्रम में आये शिवम गुप्ता जी ने बताया कि मानव उत्थान सेवा समिति द्वारा दिनाक 9 फरवरी को पूर्वी पंजाबी आश्रम दिल्ली में संस्था के द्वारा मिशन मेडिसिन का आरंभ हुआ  मिशन मेडिसिन जो की मानव उत्थान सेवा समिति के तत्वावधान में चलाया जा रहा है जिसका मुख्य उद्देश्य यह है कि वह गरीब परिवार जो कि बीमारी से ग्रसित रहते है। वह किसी कारणवश अपनी दवाई नही करवा पा रहे है। उनके लिए मिशन मेडिसिन टीम बड़े बड़े अस्पतालों व सेक्टर मॉल,ऑफिस, सोसायटी आदि में  इसके बॉक्स लगवाती है। और इसके बाद उस बॉक्स में लोग दवाई को डाल देते है। जो उनके पास ज्यादा होती है। जब दवाइयों से बॉक्स भर जाता है। तब बॉक्स उठा करके अच्छे डॉक्टरों के माध्यम से व उनके सलाह से उन गरीब व्यक्तियों के पास एक कैम्प लगाकर उन तक पहुचाई जाती है। जैसा आप लोग देखते है अगर हम लोग बीमार होते है तो हम सब लोग मेडिकल स्टोर पर जाते है। और मेडिकल स्टोर से  दवाई 4 से 6 खुराक या पूरा दवाई का पत्ता ले आते है। और हम एक से दो खुराक में ठीक हो जाते है। बाकी हमारी दवाइया बच जाती है। बाकी दवाई न प्रयोग होते हुए हम फेक देते है। अगर हम इन्हीं दवाईओं को मिशन मेडिसिन के बॉक्स में डाल दे या फिर अपने घर मे एक लिफाफे में रखकर भी टीम को दे सकते है।तो उन जरूरतमंद गरीब लोगों का भला हो सकता है। और यह नेक काम आप सभी के सहयोग से ही सम्भव है । कार्यक्रम में उन्नाव से आये महात्मा सुधर्मा नंद जी ने बताया। "बड़े भाग्य पाइयो सत्संगा। बिनहि प्रयास होत भवभंगा।।" सत्संग व्यक्ति को बड़े ही भाग्य से प्राप्त होता है जब भगवान की जीव पर विशेष कृपा होती है।तभी भगवान सत्संग के माध्यम से जीव को अपने समीप लाते हैं मानस में एक जगह और उल्लेख है। "आजु धन्य मैं धन्य अति जद्यपि सब बिधि हीन। निज निज जानि राम मोहि सन्त समागम दींन।। कि जब भगवान कृपा करके किसी जीव को अपनाते हैं तब अध्यात्म के माध्यम से एक रूप करते हैं। तो सबसे पहले साधक को संतों का समागम प्राप्त कराते हैं। संत तुलसीदास जी ने कहा है इस संसार में दो चीजें बड़ी ही दुर्लभ है संत समागम हरि कथा तुलसी दुर्लभ दोय अथार्त संतों का समागम और हरि की कथा यह दोनों ही बड़े ही दुर्लभ होते हैं यह उन्हीं जीवो को प्राप्त होते हैं जो अति जिज्ञासा अपने हृदय में लिए हुए परमात्मा की ओर आगे बढ़ते हैं कहने का भाव यह है कि जहां पर सत्संग हो और ज्ञान की चर्चा हो अध्यात्मिक जानने की धार्मिक चर्चा हो यह बड़ी ही महत्वपूर्ण चीजें हैं अलग-अलग लोगों के अलग-अलग प्रश्न होते हैं पर जिसका मन निर्मल व सत्संग से प्रेम करते हैं उनका समाधान स्वतः ही हो जाता है हमारे मन की शंकाये स्वता ही दूर हो जाती हैं जब हमें अध्यात्म आदि सतगुरु महाराज का सत्संग सुनने  को मिलता है तो सत्संग व्यक्ति के आंतरिक विवेक को जागृत करता है। इसके बाद में महात्मा सुदासानन्द जी ने बताया । कि हम लोग हर परिवार में सद्भावना को लाना चाहते है विश्व की आत्माओं के लिए भगवान से  प्रार्थना करते है कि धर्म की जय हो,अधर्म का नाश हो,प्राणियों में सदभावना हो जब सदभावना होगी तभी मन की जो नकारात्मक सोच है वो खत्म होगी तब सादभावना को जगाने के लिए हम लोगो को जगाने के लिए भाई को भाई व बहन को बहन समझाना पड़ेगा और  उन्होंने कहा कि हिन्दू मुश्लिम सिख ईसाई होने से पहले हम मानव है कहते है कि कलियुग केवल नाम आधारा सुमिरि सुमिरि नर उतरन्हि पारा कि कलियुग केवल एक नाम से अटका हुआ है उसके नाम का सुमिरन करने से मनुष्य भवसागर से पार उतर सकता है वो है परमात्मा का ध्यान हमें जिस परमपिता परमात्मा ने बनाया है, प्रकट किया, वह हमारा एकमात्र पिता है, एकमात्र हमारा ही नहीं बल्कि सारे संसार का पिता है। इसलिए उसकाे जानना है, उसकी भक्ति करना हमारा परम कर्तव्य है। बच्चा अपने बाप की उँगली पकड़ कर मेले में जा रहा है, मेले का आनंद ले रहा है, क्यों? क्योंकि उसका पिता उसके साथ है। अब अगर वह उँगली छूट जाती है, ताे बच्चे का क्या हाल हाे जायेगा ? राेते - राेते वह बेहाल हाे जायेगा, अनाथ हाे जायेगा । मेले का आनंद नहीं ले सकता है। इसी प्रकार जिन लाेगाें ने अपनी सुरति काे परमपिता के साथ जाेड़ दिया वे ताे "तेन त्यक्तेन भुजीथा: " की भावना से, त्याग की भावना से संसार का उपयोग करते हुए आनंद से संसार में जीवन निर्वाह कर सकते हैं। आज दुनिया के लोगो को अपने जीवन के धेय्य का पता नही,न उसकी तरफ ही विचार ही करते है अगर जीवन के सच्चे धेय्य की तरफ कुछ भी ध्यान होता तो व्यक्ति माला फेरने,तीर्थ घूमने और पूजा पाठ तक ही नही रहता यह सोचते ही नही कि माला फेरने का क्या लाभ  है  भगवद्भक्तों आज मानव अपने मूल तत्व को भूल गया है व मनुष्य आपस मे भेदभाव को मनाने में लगा हुआ है तो आपस मे मतभेद को छोड़कर हमे अपना मानव धर्म को जानना जरूरी है तभी सद्गुरु महाराज जी कहते है कि  हिंदू मुश्लिम सिख ईसाई सत्संग में सब आओ भाई आज इसी के प्रतीक को लेकर चलना होगा। इस मौके पर इस मौके पर नन्द राम जिला प्रधान, रामसहाय, कमलेश, ओम प्रकाश, शत्रु हन, जगमोहन,मुकेश सिहं, राहुल, गौरव, अमन, सूर्या,महिलाओं में शान्ती सिहं , राधिका, रोशनी, अंजली सहित तमाम श्रोतागण मौजूद रहे।


 

 



 

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