विशेष सचिव (स्वास्थ्य) ने बताया कि सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों को स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा विभिन्न परामर्श और दिशा-निर्देश जारी किये जा चुके है। तैयारी की स्थिति की नियमित निगरानी उच्च स्तर पर की जा रही है। उन्होंने निम्नलिखित के बारे में सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों की तैयारी की स्थिति की समीक्षा की।
· हवाई अड्डे - राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने बताया कि सभी चिन्हित हवाई अड्डों पर थर्मल और रोगसूचक जांच शुरू की गई है। थर्मल स्क्रीनिंग सेंसर चालू हैं और ऐसे कुछ और उपकरण खरीदे जा रहे हैं। हवाई अड्डों पर अन्य स्टाफ सदस्यों के आव्रजन को संवेदनशील बनाया गया है और समर्पित एंबुलेंस हवाई अड्डों पर तैनात की गई है। चौबीसों घंटे सेवा के लिए मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ की तैनाती भी की जा रही है। स्व-घोषणा फॉर्म उपलब्ध हैं और सभी हवाई अड्डों के प्रमुख स्थानों पर चेतावनी संकेतक लगाए जा रहे हैं। सात केंद्रीय टीमों ने संबंधित राज्यों का दौरा किया तथा तैयारियों को और मजबूत बनाने में मदद की।
· अस्पताल- राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने बताया कि किसी भी स्थिति का सामना करने के लिए आइसोलेशन वार्डों की पहचान की गई है। व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण और मास्क सभी राज्यों/केन्द्र शासित प्रदेशों में पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं। राज्यों को नियमित रूप से व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण, मास्क आदि की आवश्यकता का आकलन और पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जरूरी खरीदारी करने की आवश्यकता है। इन हवाई अड्डों के लिए तृतीयक अस्पतालों की भी पहचान की गई है और संदिग्ध मामलों में लिए गये नमूनों को एनआईवी, पुणे भेजा जा रहा है।
· नेपाल के सीमावर्ती राज्यों ने बताया कि भू-चौकियों पर पर्याप्त कदम उठाए गए हैं और सीमावर्ती क्षेत्रों के गांवों में लोगों से मुलाकात और बैठकें आयोजित की गई हैं। स्थानीय भाषा में चेतावनी संकेतक, माइक और अन्य मीडिया चैनलों के माध्यम से जागरूकता बढ़ायी जा रही है। ग्राम पंचायतों द्वारा नोवेल कोरोनावायरस की रोकथाम और प्रबंधन के संबंध में राज्य सरकारों की ओर से लक्षणों, सावधानियों और उपायों के बारे में उठाये गये कदमों के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए प्रयास किये जा रहे है।
श्री संजीव कुमार ने कहा कि राज्यों को स्थानीय मीडिया के माध्यम से लोगों में जागरूकता पैदा करने के लिए सक्रिय निवारक उपाय करने की आवश्यकता है। इस वायरस के लक्षणों के बारे में यात्रियों को जागरूक करने और उन्हें "हेल्प यू टू हेल्प अस’ से लैसे करने की जरूरत है। कॉल सेंटर/हेल्पलाइन नंबर को टीवी, रेडियो, प्रेस विज्ञप्ति, सोशल मीडिया और अन्य चैनलों के माध्यम से लोकप्रिय बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी राज्यों को हर प्रकार की मदद देने का आश्वासन दिया।
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