Thursday, January 16, 2020

उपराष्ट्रपति ने मकर संक्रांति और पोंगल के पावन अवसर पर राष्ट्र को बधाई दी

उपराष्ट्रपति श्री एम.वेंकैया नायडू ने मकर संक्रांति और पोंगल के पावन अवसर पर राष्ट्र को बधाई दी।


अपने संदेश में उपराष्ट्रपति ने अथक मेहनत करने के लिए किसानों का आभार व्यक्त किया और कहा, ‘हम अपनी जड़ों की तरफ लौटने तथा अपने गौरवशाली संस्कृति, परम्पराओं, रिवाजों, कलाओं और उत्सवों को सुरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध हों।’


      उनके संदेश का मूलपाठ इस प्रकार है-


      ‘मैं मकर संक्रांति और पोंगल के पावन अवसर पर अपने देशवासियों को हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं देता हूं।


      फसल कटाई का उत्सव उत्तरायण के आरम्भ का द्योतक है और वह सूर्य भगवान के प्रति समर्पित है। सूर्य को अलौकिकता और ज्ञान का प्रतीक माना जाता है।


      देश भर में लोग भारी उत्साह के साथ यह त्योहार मनाते हैं। देश के विभिन्न भागों में विभिन्न नामों से इसे मनाया जाता है। दक्षिण भारत में इसे ‘पोंगल’ और ‘मकर संक्रांति’, केरल में ‘विशू’, पंजाब और हरियाणा में ‘लोहड़ी’, असम में ‘बिहू’ और बिहार में ‘खिचड़ी’ कहा जाता है।


      विभिन्न नामों से पुकारे जाने वाले इस त्योहार से नये ऋतु की शुरूआत होती है और हजारों लोग पवित्र नदियों में डुबकी लगाते हैं। बुनियादी तौर पर यह उत्सव प्राकृतिक सम्पदा का उत्सव है और जीवन को पोषण देने के लिए प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का प्रतीक है।


      पोंगल त्योहार कृषि और फसलों की कटाई से संबंधित है। इस अवसर पर सूर्य देव की उपासना की जाती है तथा बैलों, हलों और हंसिया को सजाया जाता है। त्योहार के पहले दिन विशेष पूजा की जाती है और खेती के औजारों की पूजा करने के बाद उनसे धान की नई फसल काटी जाती है।


      त्योहार हमारी महान सभ्यता का अभिन्न अंग हैं और वे प्रकृति के साथ गहराई से जुड़े हैं। त्योहार एकजुटता, प्रेम और भाईचारे का संदेश देते हैं। त्योहारों के अवसर पर परिवार के लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर इनका आनंद उठाते हैं।


      इस पावन अवसर पर हम अपनी जड़ों की तरफ लौटने तथा अपने गौरवशाली संस्कृति, परम्पराओं, रिवाजों, कलाओं और उत्सवों को सुरक्षित करने के लिए प्रतिबद्ध हों। मैं कामना करता हूं कि इस त्योहार से हमारे देश में समृद्धि, शांति और आनंद की वृद्धि हो!’



No comments:

Post a Comment