इस सम्मेलन में, देश के सभी राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस प्रमुख सहित आपदा राहत से जुड़े एजेंसियों के प्रमुखों ने भाग लिया I इस दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए श्री राय ने कहा कि DCPW द्वारा किया गया यह प्रयास देश में संचार व्यवस्था के क्षेत्र में विशेष रूप से हमारे जवानों के लिए आहम साबित होगा I
DCPW के POLNET 2.0 (पुलिस नेटवर्क 2.0) का उद्घाटन करते हुए गृह राज्य मंत्री ने कहा कि POLNET 2.0 के परिचालन से CCTNS की मज़बूती बढ़ेगी तथा देश में आपराधिक प्रवृत्तियों सहित आपदा के दौरान वास्तविक और सटीक जानकारी प्राप्त करना काफी सुगम हो जाएगा I इस दौरान देश के विभिन्न राज्यों से वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से संपर्क स्थापित कर, इस संचार नेटवर्क गुणवत्ता की जांच करते हुए श्री राय ने कहा कि यह उल्लेखनीय कार्य हमारे जवानों को अपने दूरदराज़ क्षेत्रों में तैनाती के दौरान भी अपने परिवारजनों से निरंतर संपर्क में रहने की सुविधा प्रदान करेगाI POLNET के उन्नत वर्जन को अपनाए जाने तथा देश के विभिन्न पुलिस महकमे में इसे स्थापित किए जाने पर गृह राज्य मंत्री ने DCPW के निदेशक तथा इस कार्य से जुड़े सभी अधिकारियों को धन्यवाद दियाI
श्री राय ने कहा की, आज का यह सम्मलेन बहुत महत्वपूर्ण है, जो की आपदा संगठनों अवं पुलिस संचार को मज़बूत करने के लिए बहुत उपयोगी होगा| उन्होंने आगे कहा की यह संचार सुविधा NDRF के लिए भी बहुत उपयोगी साबित होगी| मंत्री जी ने यह भी कहा की आधुनिक पुलिस संचार प्रणाली हमारी सीमा सुरक्षा के लिए बहुत उपयोगी होगी|
सम्मेलन के उद्घाटन सत्र में सभागार में उपस्थित सभी वरिष्ठ अधिकारियों को संबोधित करते हुए गृह सचिव तथा अपर सचिव (पुलिस आधुनिकीकरण) ने DCPW द्वारा किए गए इस प्रयास की सराहना करते हुए कहा कि POLNET 2.0 के सफल संचालन से ना सिर्फ आपदा राहत प्रबंधन में मदद मिलेगी बल्कि देश में आपराधिक प्रवृत्तियों पर लगाम लगाने के लिए यह कदम मील का पत्थर साबित होगा I
इस दौरान DCPW द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय संचार मानक पुस्तिका का विमोचन भी किया गया I देश में अपनी तरह के पहले प्रयास में संपूर्ण देश के लिए एक राष्ट्रीय संचार मानक तैयार किया गया है ताकि विभिन्न राज्यों में पुलिस बलों सहित आपदा राहत एजेंसियों में उपयोग किए जा रहे संचार उपकरणों में एकरूपता बनी रहे तथा संचार की दिशा में नई उपलब्ध प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए स्वदेशी उपकरणों को अधिक से अधिक अपनाया जा सके I
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