Saturday, January 18, 2020

श्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कहा कि विशेष रूप से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे चरण के तहत सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम राष्ट्रीय प्राथमिकता है

 


केंद्र सरकार राज्य सरकारों के साथ मिलकर भारतीय सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए अनेक उपाय कर रही है। समस्या की जटिलता और गंभीरता को देखते हुए, इस मुद्दे पर संज्ञान लेने तथा सड़क सुरक्षा को एक सामाजिक आंदोलन बनाने में मिलकर काम करने के लिए समाज की भागीदारी की जरूरत है। हितधारकों को इस ठोस कार्रवाई में भाग लेने का अवसर प्रदान करने के लिए देश में हर साल "राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह" का आयोजन किया जाता है। इस उद्देश्य के अनुसार, "युवाओं के माध्यम से परिवर्तन लाना" विषय पर सड़क सुरक्षा सप्ताह का 11 जनवरी से 17 जनवरी 2020 तक आयोजन किया जा रहा है।


ग्रामीण विकास विभाग सड़क सुरक्षा सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है क्योंकि भारत की 70.23% सड़कें ग्रामीण भारत से होकर गुजर रही हैं और संपर्क स्‍थापित कर रही हैं। ग्रामीण सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए ग्रामीण विकास विभाग ने राज्य सरकारों और अन्य हितधारकों के साथ 'सड़क सुरक्षा' पर एक कार्यशाला का आयोजन किया, ताकि राज्यों से प्राप्‍त होने वाली सर्वोत्तम प्रक्रियाओं को सुनिश्चित रूप से अन्‍य राज्यों द्वारा भी अपनाया जा सके तथा सड़क सुरक्षा में किस  प्रकार सुधार लाया जाये इस बारे में ग्रामीण भारत में अधिक से अधिक जागरूकता पैदा की जा सके। इस कार्यशाला का आयोजन राज्यों में सूचना का प्रसार तथा जागरूकता बढ़ाने के लिए किया गया था ताकि अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाया जा सके और जीवन तथा संपत्ति की हानि को कम किया जा सके क्‍योंकि इसका सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पर पर्याप्त प्रभाव पड़ता है।


सम्मेलन के दौरान जिन मुख्य विषयों पर चर्चा और विचार-विमर्श किया गया है, वे इस प्रकार हैं -


1.       बेहतर गुणवत्ता वाली सड़कें हों ताकि गतिशीलता में सुधार हो और क्षति को कम किया जा सके।


2.       आदर्श सड़क ज्‍यामिति सहित चक्‍करदार एस-आकार की सड़कों के निर्माण में कमी और अधिक से अधिक सीधी सड़कों के निर्माण द्वारा बेहतर दृश्‍यता उपलब्‍ध कराना।


3.       सड़क के दोनों ओर दीवारें, बाड़, सड़क स्टड, सड़कों के किनारे पर स्पीड बम्प और रिफ्लेक्टर और अनेक सुरक्षा उपकरण जैसे रोड फर्नीचर।


4.       चालकों के साथ-साथ पद यात्रियों को सड़क और इसके ढांचों जैसे रिफ्लेटिव शीटिंग साइन बोर्ड, थर्मोप्लास्टिक रोड मार्किंग-बीम क्रैश बैरियर, ओवर-हेड बोर्ड आदि के बारे में प्रभावी रूप से जानकारी देने के लिए बेहतर चेतावनी संकेतक।


सड़क सुरक्षा पर आयोजित कार्यशाला में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री श्री नरेंद्र सिंह तोमर के एक विशेष संदेश के साथ एक छोटी वीडियो क्लिप भी दिखाई गई। इसमें श्री तोमर ने यह संदेश दिया है कि देश में दुर्घटनाएं गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं और देश को हर साल लाखों लोगों की क्षति झेलनी पड़ रही है। इन दुर्घटनाओं में अधिकतर युवा शिकार होते हैं। श्री तोमर ने जोर देकर कहा कि सड़क दुर्घटनाओं को रोकना राष्ट्रीय प्राथमिकता है और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तीसरे चरण के तहत, केंद्र सरकार इस दिशा में निरंतर प्रयास करेगी। इस उद्देश्य को अर्जित करने की दिशा में इंजीनियरों का योगदान भी अपेक्षित है।


श्री तोमर ने कहा कि सड़कों का निर्माण इस समझ के साथ किया जाना चाहिए कि सड़कों का उपयोग करने वाले मनुष्‍य हैं जो गलतियाँ कर सकते हैं। इसलिए, सड़कें छोटी गलतियों को बड़ी दुर्घटनाओं में परिवर्तित होने से रोकने में सक्षम होनी चाहिए। उन्‍होंने कहा कि आजकल दुनियाभर में ‘क्षमाशील सड़कों’ की अवधारणा व्‍याप्‍त है और इस उद्देश्य के लिए इंजीनियरों और ठेकेदारों की क्षमता निर्माण पर जोर दिया जाएगा।


विशेष रूप से पीएमजीएसवाई-III के तहत दुर्घटना की रोकथाम एक राष्ट्रीय प्राथमिकता है। दुर्घटना की रोकथाम में प्रतिपालन, बैठक और जागरूकता अभियानों के माध्यम से सभी राज्यों में समुदाय की भागीदारी की स्‍वाभाविक जरूरत है। इसके लिए इंजीनियरों को सड़क सुरक्षा ऑडिटर्स के रूप में प्रशिक्षित करने के लिए एक प्रशिक्षण कार्यक्रम की जरूरत है। जिसे एआईटीडी और आईएएचई के समन्वय में आयोजित किया जायेगा।



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