श्री उत्तम गुप्ता के 13 जनवरी, 2020 के फाइनेंशियल एक्सप्रेस में प्रकाशित लेख में यूरिया के आयात के संबंध में उठाए गए मुद्दे का खंडन इस प्रकार हैः-
प्रस्तावना
भारत में दो प्रमुख कृषि सीजन हैं – 1 अप्रैल से 30 सितंबर तक ’खरीफ’ सीजन और 1 अक्टूबर से 31 मार्च तक ‘रबी’ सीजन। एक सीजन के लिए यूरिया सहित सभी प्रकार के उर्वरकों की मांग का निर्धारण सीजन की शुरुआत और उवर्रक विभाग को सूचित करने से पहले राज्यों/केन्द्रशासित प्रदेशों के कृषि विभागों के प्रतिनिधियों के साथ परामर्श करके डीएसी एंड एफडब्ल्यू द्वारा किया जाता है।
प्रत्येक कृषि सीजन की शुरुआत से पहले, उवर्रक विभाग के सचिव की अध्क्षता में सचिवों की संचालन समिति डीएसी एंड एफडब्ल्यू द्वारा निर्धारित सीजन के लिए यूरिया की मांग पर विचार करती है। इस समिति में रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष, वाणिज्य सचिव, कृषि सचिव, नौवहन सचिव सदस्य हैं। उवर्रक विभाग के एएस एंड एफए इस समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य होते हैं। यह समिति संभावित स्वदेशी उत्पादन और अपेक्षित यूओटीए आयात पर भी विचार करती है। इसके विश्लेषण के आधार पर एक सीजन में सरकारी खाते में आयात किए जाने वाले आवश्यक यूरिया की कुल मात्रा का निर्धारण करती है और जहां भी आवश्यक हो देश में यूरिया की पर्याप्त उपलब्धता भी सुनिश्चित कराती है।
उवर्रक विभाग की जिम्मेदारी
उवर्रक विभाग पूरे देश में उर्वरकों की पर्याप्त और समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है। डीएसी एंड एफडब्ल्यू तथा यूरिया के स्वदेशी उत्पादन और ओएमआईएफसीओ के साथ भारत सरकार के यूरिया ऑफ्टेक एग्रीमेंट (यूओटीए) के तहत आयातों को शामिल करके एक कृषि सीजन में यूरिया की आकलन की गई जरूरतों के बीच अंतर को पाटने के लिए उर्वरक विभाग यूरिया का आयात करता है। वर्तमान में डीजीएफटी विदेश व्यापार नीति के अनुसार, कृषि उद्देश्यों के लिए यूरिया का आयात एक सारणीबद्ध वस्तु है और इसका आयात समय-समय पर डीजीएफटी द्वारा यथा अधिसूचित स्टेट ट्रेडिंग एंटरप्राइजेज (एसटीई) के माध्यम से ही किया जा सकता है। वर्तमान में एमएमटीसी, एसटीसी और आरसीएफ अधिसूचित एसटीई हैं।
यूरिया आयात की प्रक्रिया
उर्वरक विभाग की जिम्मेदारी उर्वरकों की पर्याप्त और समय पर उपलब्धता सुनिश्चित कराने की है। इसलिए उर्वरक की आवश्यकता और यूरिया का स्वदेशी उत्पादन तथा ओएमआईएफसीओ के साथ भारत सरकार के यूरिया ऑफटेक एग्रीमेंट (यूओटीए) के तहत आयातों को शामिल करके आए अंतर को पाटने के लिए उर्वरक विभाग सरकारी खाते में यूरिया का आयात करता है। संबंधित एसटीई को प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के माध्यम से उर्वरक विभाग के लिए आयातित यूरिया खरीदने के लिए रोटेशन आधार पर प्राधिकृत किया गया है।
वर्तमान संदर्भ में एसटीई सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम हैं, इसलिए इन्हें अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धी बोली और प्रतिस्पर्धी मूल्य सुनिश्चित करने के लिए टेंडर निकालने और खरीददारी करने के बारे में भारत सरकार के सभी अन्य दिशा-निर्देशों का अनुपालन करना होता है।
उर्वरक विभाग अपनी मर्जी से यूरिया का आयात नहीं करता है। किसी भी आयात/लाट्स के प्रस्तावों की अच्छी तरह जांच की जाती है। उर्वरक विभाग के अधिकारियों पर दोषारोपण इन अधिकारियों द्वारा कृषक समुदाय के लिए समय पर उर्वरकों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के प्रयासों की सराहना में कमी को दर्शाता है।
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