एमएमडीआर अधिनियम 1957 और सीएमएसपी अधिनियम 2015 में हाल के संशोधनों के बाद कोयला मंत्रालय इस दिशा में आगे बढ़ते हुए कोयले की बिक्री हेतु कोयला खदानों की नीलामी के लिए प्रक्रिया शुरू कर रहा है। इसका आयोजन कई चरणों में किया जाना है। पहले चरण का शुभारंभ चालू वित्त वर्ष में किया जाना प्रस्तावित है। केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि यह ‘कारोबार में सुगमता’ और कोयला एवं खनन सेक्टरों के लोकतंत्रीकरण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
कोयले की बिक्री हेतु कोयला खदानों की नीलामी पर परिचर्चा पत्र को on https://www.coal.nic.in/ और https://www.coal.nic.in/content/nominated-authority पर अपलोड कर दिया गया है। इस परिचर्चा पत्र में कोयला खदानों की नीलामी के लिए विशिष्ट क्रियाविधि का मसौदा और बोली से जुड़ी महत्वपूर्ण नियम-शर्तें शामिल हैं।
कोयला खदानों की संभावित सूची के साथ-साथ खदान-विशिष्ट विवरण को भी https://coalblock-is.cmpdi.co.in/pages/dashboard.php पर उपलब्ध कराया जाता है।
कोयला मंत्रालय ने इच्छुक हितधारकों से इस परिचर्चा पत्र एवं खदान विशिष्ट विवरण पर गौर करने और अपने विचार/सुझाव पेश करने का अनुरोध किया है और इसके साथ ही उन खदानों से जुड़ी अपनी-अपनी प्राथमिकताओं के बारे में बताने को कहा है जिन पर परिचर्चा पत्र में उल्लिखित दिशा-निर्देशों के अनुसार प्रथम चरण के तहत नीलामी के लिए विचार किया जाना है।
पिछले सप्ताह जारी अध्यादेश के जरिए एमएमडीआर अधिनियम 1957 और सीएमएसपी अधिनियम 2015 में संशोधन किया गया है जिसके तहत कोयला खनन के लिए पूर्व अनुभव से जुड़ी पाबंदी हटा ली गई है। इससे कोयला खदानों की नीलामी में व्यापक भागीदारी का मार्ग प्रशस्त हो गया है। यही नहीं, अध्यादेश से पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन लीज (पीएल-सह-एमएल) के जरिए खनन के लिए ‘बिना तलाशे गए’ एवं ‘आंशिक रूप से तलाशे गए’ कोयला ब्लॉकों की नीलामी भी संभव हो गई है। इन कदमों से घरेलू कंपनियों के साथ-साथ वैश्विक कंपनियों द्वारा भी कोयले के वाणिज्यिक खनन के लिए कोयला सेक्टर के पूरी तरह खुल जाने की आशा है। इससे आर्थिक विकास एवं रोजगार सृजन को और भी अधिक बढ़ावा मिलेगा।
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