Friday, January 10, 2020

किसान विज्ञान कांग्रेस में किसानों के नवाचार के महत्व को रेखांकित किया गया

भारतीय विज्ञान कांग्रेस के 107 वर्षों के इतिहास में पहली बार किसान विज्ञान कांग्रेस का आयोजन किया गया। इस दौरान किसानों के नवाचार और उनकी वैज्ञानिक प्रमाणिकता के महत्व को रेखांकित किया गया।



किसान विज्ञान कांग्रेस का आज नई दिल्ली में उद्घाटन करते हुए कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव तथा भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने कहा कि भारतीय विज्ञान कांग्रेस के इतिहास में पहली बार किसान केन्द्रित कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है, जिससे किसान समुदाय को बहुत प्रोत्साहन मिलेगा। डॉ. महापात्रा ने कहा कि उत्पादन और पोषण सुरक्षा सहित 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का उद्देश्य निर्धारित किया गया है, जो प्रधानमंत्री के विजन के अनुरूप है। उन्होंने कहा कि यह कांग्रेस ऐसा मंच है, जहां किसानों के नवाचारों को बल मिलेगा। उन्होंने स्कूली छात्रों का आह्वान किया कि वे किसान विज्ञान कांग्रेस में शिरकत करें, ताकि कृषि के प्रति दिलचस्पी स्कूल स्तर से ही पैदा की जा सके। उन्होंने कहा, ‘भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने एकीकृत कृषि के लिए 56 मॉडल विकसित किए हैं, जिन्हें ग्रामीण विकास कार्यक्रमों से जोड़कर नाबार्ड प्रोत्साहित करेगा।’


डॉ. महापात्रा ने कहा कि प्रगतिशील किसानों के नवाचारों को प्रोत्साहित करने के लिए किसान नवाचार निधि और नवाचार केन्द्रों की स्थापना की जाएगी। महत्वपूर्ण क्षेत्रों में जैविक खेती को विकसित करने के लिए 45 प्रकार के जैविक खेती प्रणालियां तैयार की गई हैं।


कर्नाटक कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष श्री हनुमानगौड़ा बेलागुर्की ने कृषि क्षेत्र की चुनौतियों के हवाले से कहा कि कृषि विश्वविद्यालयों में कृषि विज्ञान अंग के रूप में अर्थव्यवस्था और सामाजिक विज्ञान की पढ़ाई शुरू की जानी चाहिए।


उल्लेखनीय है कि 107वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अंग के रूप में किसान विज्ञान कांग्रेस का आयोजन बेंगलुरू के कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय में किया जा रहा है। इस कांग्रेस में देश के लगभग 120 नवाचारी किसान हिस्सा ले रहे हैं और अपने उत्पादों को पेश कर रहे हैं। इसके अलावा इस आयोजन में विभिन्न कृषि विशेषज्ञ भी हिस्सा ले रहे हैं। इस दौरान किसानों की आय दोगुना करने, जलवायु परिवर्तन, जैव विविधता, किसान सशक्तिकरण, कृषि पर दबाव, ग्रामीण जैव-उद्यमिता जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई।




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