इस अवसर पर श्री पहलाद सिंह पटेल ने कहा कि इस प्रदर्शनी में दर्शकों को हैम्पी के सामाजिक-सांस्कृतिक जीवन और परंपराओं की पुनर्स्थापना, अनेक महत्वपूर्ण ढांचों का वास्तुशिल्पीय और स्थापत्य पुनर्गठन तथा भित्ति चित्रों के रहस्योद्घाटन का अनुभव प्राप्त होगा। यह एक अच्छी पहल है। विरासत में प्रौद्योगिकी का उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है लेकिन यह केवल शोध तक ही सीमित नहीं रहना चाहिए, यह जनता तक इस तरह पहुंचनी चाहिए कि वे विरासत स्थलों के अनदेखे पहलुओं को जानने और समझने का अवसर प्राप्त कर सकें।
श्री पटेल ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री हमेशा यह कहते हैं कि हमारे पास विश्व स्तरीय विरासत मौजूद है और दुनियाभर के लोगों को हमारी समृद्ध, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत को देखने के लिए भारत की यात्रा करनी चाहिए। इस स्थिति में, हमें प्रौद्योगिकी के उपयोग के माध्यम से इन विरासतों के इतिहास और विशेषताओं को बेहतर तरीके से पेश करना चाहिए। संग्रहालय में आने वाले व्यक्ति को प्रौद्योगिकी के उपयोग द्वारा जानकारी दी जानी चाहिए ताकि इससे उसकी यात्रा का अनुभव अधिक समृद्ध हो सके।
इस विशेष प्रदर्शनी में देश के सांस्कृतिक विरासत क्षेत्र में भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की भारतीय डिजिटल विरासत (आईडीएच) पहल के तहत विकसित प्रौद्योगिकियों के अनुकूलन और सम्मिश्रण का प्रदर्शन किया गया है। इस प्रदर्शनी में दो प्रमुख परियोजनाओं के परिणामों का प्रदर्शन किया गया है। यह परियोजनाएं हैं - स्मारकों के वस्तुगत मॉडलों के साथ हैम्पी और संवर्धित वास्तविकता आधारित पारस्परिक प्रभाव का वैभव दिखाने के लिए एक डिजिटल मिनी-स्पेक्टकल; इन्हें डीएसटी के परामर्श वाली पहल डिजिटल स्पेस में भारतीय विरासत (आईएचडीएस) के तहत पूरा किया गया है। इन दोनों परियोजनाओं का भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, दिल्ली, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मुंबई, नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ़ डिज़ाइन बेंगलुरु, सीएसआईआर-सीबीआरआई रुड़की, कर्नाटक राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद और महिला-नेतृत्व वाले आईडीएच स्टार्ट-अप विज़ारा टेक्नोलॉजीज, नई दिल्ली की बहु-विषयक टीमों द्वारा निष्पादन किया गया है। इन परियोजनाओं का लक्ष्य 3 डी लेजर स्कैन डेटा, एआर, होलोग्राफिक प्रोजेक्शन और 3 डी फैब्रिकेशन का उपयोग करके डिजिटल स्थापना का सृजन करना है ताकि हैम्पी और पांच भारतीय स्मारकों काशी विश्वनाथ मंदिर, वाराणसी; ताज महल आगरा; सूर्य मंदिर, कोणार्क; रामचंद्र मंदिर, हम्पी; और रानीकीवाव, पाटन के वैभव का सजीव और व्यापक अनुभव उपलब्ध कराना है।
यह प्रदर्शनी भारत की अपनी तरह की पहली प्रदर्शनी है जिसमें सांस्कृतिक धरोहर क्षेत्र में नवीनतम हस्तक्षेपों के प्रदर्शन पर विशेष ध्यान दिया गया है। इन्हें 3 डी फैब्रिकेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, संवर्धन, परोक्ष और मिश्रित वास्तविकता, होलोग्राफिक प्रोजेक्शंस और प्रोजेक्शन मैपिंग आदि जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों द्वारा संचालित किया जा रहा है। ‘विरासत’ नामक एक विशेष इंस्टॉलेशन, जो 3 डी प्रतिकृति से युक्त है, दर्शकों को चुनिंदा स्मारकों के मिले-जुले वास्तविक अनुभव उपलब्ध कराएगा। इसमें लेजर-स्कैनिंग, 3 डी मॉडलिंग और रेंडरिंग, 3 डी प्रिंटिंग, कंप्यूटर विजन और स्थानिक ए.आर का उपयोग किया जाएगा।
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