दैनिक अयोध्या टाइम्स संवाददाता,रामपुर-अनुसूचित जाति (एससी) के लोगों की जमीन बिना अनुमति के खरीदने के मामले में राजस्व बोर्ड से जौहर ट्रस्ट को झटका लगा है। राजस्व बोर्ड की सदस्य न्यायिक भावना श्रीवास्तव ने अधीनस्थ अपीलीय न्यायालय और एसडीएम, टांडा के आदेश को खंडित करने संबंधी आदेश जारी किया है। बोर्ड के आदेश के बाद जौहर ट्रस्ट की 100 बीघा जमीन सरकार को वापस होगी। भाजपा लघु उद्योग प्रकोष्ठ के क्षेत्रीय संयोजक आकाश सक्सेना ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत की थी कि पूर्व कैबिनेट मंत्री आजम खां ने सपा सरकार में अपनी रसूख का इस्तेमाल कर अनुसूचित जाति के व्यक्तियों की जमीन को नियमों की अनदेखी कर जौहर ट्रस्ट के नाम करवा लिया है। सक्सेना ने कहा था कि तहसील सदर के सींगनखेड़ा में 2007 में कुछ अनुसूचित जाति के लोग सीलिंग पट्टेदार के रुप में अंकित थे, जो कि राजस्व अभिलेखों में संक्रमणीय भूमिधर घोषित नहीं हुए थे। भूमि की बिक्री करते समय गलत विधि और प्रक्रिया अपनाई गई और नियमों का पालन नहीं किया गया। अनुसूचित जाति के व्यक्ति के नाम पट्टा होने के कारण एक सामान्य श्रेणी के जौहर ट्रस्ट को भूमि का विक्रय नहीं किया जा सकता था। भूमि विक्रय करने की अनुमति भी प्राप्त नहीं की गई थी। इस मामले में उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि व्यवस्था अधिनियम 1950 का उल्लंघन हुआ है। इस प्रकरण में जांच के बाद तत्कालीन जिलाधिकारी ने राजस्व बोर्ड में छह मार्च 2018 को दस वाद दायर किए थे। जिसमें शिकायकर्ता आकाश सक्सेना को दसों वादों की पैरवी के लिए निगरानीकर्ता बनाया गया था। इस मामले में राजस्व बोर्ड की सदस्य (न्यायिक) भावना श्रीवास्तव ने अपने अंतिम निर्णय में विक्रय पत्र को पूर्णत: शून्य करार देते हुए अधीनस्थ अपीलीय न्यायालय द्वारा 7 नवंबर 2013 को और एसडीएम टांडा द्वारा 17 जुलाई 2013 को पारित आदेश को खंडित कर दिया है। साथ ही कहा है कि इस निगरानी के लंबनकाल में इस न्यायालय द्वारा यदि कोई अंतरिम आदेश निर्गत किया गया है तो उसे भी समाप्त किया जाता है।
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