अपराध के प्रति ‘शून्य सहनशीलता’ की भारत सरकार की नीति को आगे बढ़ाते हुए तथा शीघ्र न्याय दिलाने के प्रयास के तहत, गृह मंत्रालय ने आपराधिक मामलों में अंतर्राष्ट्रीय परस्पर वैधानिक सहायता की प्रक्रिया में तेजी लाने तथा सुसंगत बनाने की दिशा में कदम उठाए हैं। गृह मंत्रालय ने दिसंबर, 2019 में आपराधिक मामलों में परस्पर वैधानिक सहायता के लिए संशोधित दिशानिर्देश जारी किए हैं। संशोधित दिशानिर्देश पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें –
साक्ष्य हेतु प्रार्थना पत्र/परस्पर वैधानिक सहायता हेतु प्रार्थना पत्र तथा सूचना की सेवा, सूचना एवं अन्य न्यायिक कागजात का मसौदा तैयार करने तथा उसकी प्रक्रिया आगे बढ़ाने हेतु जांच एजेंसियों के लिए क्रमबद्ध मार्गनिर्देश इन संशोधित दिशानिर्देशों में शामिल हैं। इसमें हाल के वर्षों में विभिन्न वैधानिक एवं प्रौद्योगिकीय बदलावों को लागू किया गया है और दस्तावेजों को संक्षिप्त एवं केन्द्रित रखने के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय आवश्यकताओं के अनुकूल बनाने का लक्ष्य रखा गया है।
दिशानिर्देशों में विदेश में रहने वाले लोगों के बारे में कागजात संबंधी सेवा में शीघ्रता एवं समयानुसार प्रत्युत्तर हेतु विभिन्न न्यायालयों द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं को भी ध्यान में रखा गया है। एक पहल के रूप में, इस संशोधित मार्गनिर्देश में महिलाओं एवं बच्चों के विरूद्ध आपराधिक मामलों के संदर्भ में अनुरोध की प्राप्ति के बाद 10 दिनों के भीतर विदेश के अधिकारियों पर कागजात संबंधी सेवा के लिए प्रावधान शामिल हैं।
जांचकर्ताओं, अभियोजन पक्षों तथा न्यायिक अधिकारियों के लिए आपराधिक मामलों में परस्पर वैधानिक सहायता के क्षेत्र में प्रशिक्षण को भी शामिल किया गया है।
एक देश से दूसरे देश में होने वाले अपराधों और डिजिटल प्रसार के कारण आपराधिक गतिविधियों के लिए भौगोलिक सीमाएं मिट गई हैं। देशों के सार्वभौमिक क्षेत्राधिकार के बाहर साक्ष्य एवं अपराधियों की मौजूदगी के कारण पारम्परिक जांच की संभावना एवं प्रकृति में बदलाव की अनिवार्यता हो गई है।
भारत ने 42 देशों के साथ परस्पर वैधानिक सहायता संधि/समझौते किए हैं तथा यूएनसीएसी, यूएनटीओसी आदि जैसे अनेक अंतर्राष्ट्रीय संधियों पर हस्ताक्षर किए हैं। भारत के लिए गृह मंत्रालय एक निर्धारित ‘केन्द्रीय प्राधिकरण’ है। सामान्य तौर पर, विदेश में रहने वाले लोगों के बारे में परस्पर वैधानिक सहायता अनुरोध/साक्ष्य हेतु प्रार्थना पत्र और सूचना सेवा/सूचनाओं/न्यायिक दस्तावेजों के रूप में सहायता मांगी जाती है तथा प्राप्त की जाती है।
इस प्रकार की सहायता देने अथवा पाने की प्रक्रिया को सुसंगत बनाने के क्रम में, गृह मंत्रालय ने 2007 में विदेश में जांच करने तथा साक्ष्य हेतु अनुरोध पत्र जारी करने तथा 2009 में विदेश में रहने वाले लोगों के बारे में सूचना सेवा/सूचना/न्यायिक प्रक्रिया के बारे में दिशानिर्देश जारी किए थे।
इस दशक के दौरान, भारत सहित पूरे विश्व में नये विधानों, नियमनों एवं संधियों तथा प्रक्रियात्मक कानूनों में संशोधन के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय सहयोग में काफी बदलाव हुए हैं। इन बदलावों को ध्यान में रखते हुए मौजूदा दिशानिर्देशों की व्यापक समीक्षा करना अनिवार्य हो गया था।
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