डॉ. जितेन्द्र सिंह ने बताया कि मिशन के लिए चुने गए चारों अंतरिक्ष यात्रियों को 11 महीने का प्रशिक्षण दिया जाएगा। सभी अंतरिक्ष यात्री पुरूष हैं, लेकिन उनकी पहचान नहीं बताई जा सकती। रूस में 11 महीने के प्रशिक्षण के बाद अंतरिक्ष यात्रियों को भारत में मॉडयूल विशिष्ट प्रशिक्षण दिया जाएगा। उसमें उन्हें चालक दल और इसरो द्वारा डिजाइन किये गये सेवा मॉडयूल, उसके परिचालन, उसके आसपास के कार्य के बारे में बताया जाएगा। इसरो सूत्रों के अनुसार भारत का सबसे भारी प्रक्षेपण यान ‘बाहुबली’ जीएसएलवी मार्क-III अंतरिक्ष यात्रियों को ले जाएगा।
गगनयान परियोजना के लिए केन्द्रीय मंत्रिमंडल पहले ही 10 हजार करोड़ रुपये की मंजूरी दे चुका है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पिछले वर्ष स्वाधीनता दिवस पर घोषणा की थी कि गगनयान का प्रक्षेपण भारत की आजादी के 75वें वर्ष में किया जाएगा।
हालांकि, पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा 1984 में अंतरिक्ष में गए थे, लेकिन जिस अंतरिक्ष यान में वह गए थे, वह भारतीय नहीं था। अत: गगनयान पहला मानवयुक्त मिशन होगा, जिसे प्रधानमंत्री के ‘मेक इन इंडिया’ संकल्प के रूप में भारत में विकसित किया गया है।
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