इन अधिनियमों में संशोधन से निम्नलिखित बदलाव संभव हो पाएंगे:
ए) कारोबार में सुगमता को बढ़ावा मिलेगा।
बी) निवेश के इच्छुक किसी भी व्यक्ति के लिए कोयला खनन सेक्टर को खोल देने से इसका लोकतंत्रीकरण होगा।
सी) पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन लीज (पीएल-सह-एमएल) के जरिए खनन के लिए बिना तलाशे गए एवं आंशिक रूप से तलाशे गए कोयला ब्लॉकों की पेशकश की जा सकेगी।
डी) भागीदारी के लिए पाबंदी एवं पात्रता पैमाना समाप्त कर कोयला खनन सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) को बढ़ावा मिलेगा।
ई) इसकी सहयोगी कंपनी अथवा होल्डिंग कंपनी के किसी भी संयंत्र में खनन किए गए कोयले का उपयोग करने के लिए सफल बोलीदाता/आवंटी को अनुमति दी जा सकेगी।
एफ) अंतिम उपयोग से जुड़ी पाबंदी हटा देने से कोयला खनन सेक्टर में व्यापक निवेश को आकर्षित किया जा सकेगा।
संबंधित विवरण नीचे दिया गया है:
ए. कोयला मंत्रालय के संदर्भ में संशोधन
संशोधन 1: समग्र पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन लीज (पीएल-सह-एमएल) के लिए कोयला ब्लॉकों के आवंटन का प्रावधान करना
इससे पहले, कोयला/लिग्नाइट के संदर्भ में समग्र पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन लीज (पीएल-सह-एमएल) को मंजूरी देने का कोई प्रावधान नहीं था। किसी भी कोयला/लिग्नाइट ब्लॉक को या तो पीएल या एमएल के लिए आवंटित किया जा सकता था। संशोधन से समग्र पूर्वेक्षण लाइसेंस-सह-खनन लीज (पीएल-सह-एमएल) के लिए कोयला ब्लॉकों का आवंटन करना संभव हो गया है जिससे आवंटन के लिए कोयला/लिग्नाइट ब्लॉकों की विस्तृत सूची (इन्वेंट्री) को बढ़ाने में मदद मिलेगी। विशाल भौगोलिक क्षेत्र में फैले विभिन्न श्रेणियों वाले कोयला ब्लॉक अब आवंटन के लिए उपलब्ध हो जाएंगे।
इसमें सीएमएसपी अधिनियम की धारा 4(2), 5(1), 8(4), 8(8), 8(9) एवं 31(2)(बी) और एमएमडीआर अधिनियम की धारा 11ए एवं 13(2) शामिल हैं।
संशोधन 2: आवंटन के उद्देश्य को निर्दिष्ट करने संबंधी केंद्र सरकार के अधिकार को स्पष्ट करना और यह बताना कि कोई भी कंपनी इसमें हिस्सा ले सकती है
इससे पहले इन अधिनियमों के प्रावधानों की भाषा में स्पष्टता का अभाव था जिससे नीलामी के तहत पात्रता से संबंधित शर्तों की प्रतिबंधात्मक व्याख्या हुआ करती थी। अब यह स्पष्ट किया गया है कि नीलामी/आवंटन के जरिए चयनित कोई भी कंपनी स्वयं की खपत, बिक्री अथवा किसी भी अन्य उद्देश्य, जैसा कि केंद्र सरकार निर्दिष्ट कर सकती है, की पूर्ति के लिए कोयला खनन से जुड़ा काम कर सकती है। इससे अब नीलामी में व्यापक भागीदारी और प्रतिस्पर्धा संभव हो पाएगी।
अत: ऐसी कंपनियां भी अब कोयला/लिग्नाइट ब्लॉकों की नीलामी में भाग ले सकती हैं जिनके पास भारत में कोयला खनन से जुड़ा अनुभव भले ही पहले से न हो, लेकिन वे वित्तीय दृष्टि से मजबूत हों और / अथवा उन्हें अन्य खनिजों अथवा अन्य देशों में खनन का अनुभव हो। इससे भी कोयले की बिक्री के लिए स्वत: मंजूरी रूट के जरिए 100 प्रतिशत एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) पर अमल संभव हो पाएगा।
इसमें एमएमडीआर अधिनियम की धारा 11ए और सीएमएसपी अधिनियम की धारा 4(2) एवं धारा 5(1) शामिल हैं।
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