नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा, मंत्रालय की वर्षांत समीक्षा
जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते के तहत भारत की ओर से व्यक्त की गई प्रतिबद्धताओं के रूप में, भारत ने 2030 तक देश में स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता का 40 प्रतिशत गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से प्राप्त करने और 2030 तक उत्सर्जन की जीडीपी तीव्रता क्षमता को 2005 के स्तर से 33-35 प्रतिशत तक कम करने का संकल्प लिया है। आर्थिक विकास, बढ़ती समृद्धि, तेजी से बढ़ते शहरीकरण और प्रति व्यक्ति ऊर्जा खपत में वृद्धि ने देश की ऊर्जा मांग में बढ़ोतरी की है।
उपरोक्त संकल्पों और कम कार्बन उत्सर्जन वाली अर्थव्यस्था के साथ धरती के पर्यावरण को सहेजन की अपनी प्रतिबद्धता को ध्यान में रखते हुए, हमने 2015 में फैसला किया था कि वर्ष 2022 तक 175 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता स्थापित कर ली जाएगी। इसमें सौर ऊर्जा का हिस्सा 100 गीगावॉट, पवन ऊर्जा का 60 गीगावॉट, बायोमास का 10 गीगावाट और पन बिजली का 5 गीगावाट होगा। नवीकरणीय ऊर्जा का उच्च क्षमता लक्ष्य बड़े स्तर पर ऊर्जा सुरक्षा, बेहतर ऊर्जा उपलब्धता तथा रोजगार के बढ़ते अवसर सुनिश्चित करेगा। ये लक्ष्य हासिल करने के साथ ही भारत,कई विकासशील देशों को पछाड़ते हुए हरित ऊर्जा उत्पादन क्षेत्र में दुनिया का एक सबसे बड़ा देश बन जाएगा
प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने पर्यावरण कार्यसमिति को संबोधित करते हुए कहा था कि “भारत की नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता को 175 गीगावॉट से भी अधिक किया जाएगा और फिर इसे आगे और बढ़ाकर 450 गीगा वॉट तक ले जाया जाएगा।”.
नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में विस्तार के उद्धेश्य के अनुरूप 2019 में कई महत्वपूर्ण पहल की गई।
नीवकरणीय ऊर्जा क्षमता तेजी से बढ़ रही है। 17.12.2019 तक नवीकरणीय ऊर्जा से जुड़ी परियोजनाओं की स्थिति नीचे तालिका में दी गई हैं :-
क्षेत्र | स्थापित क्षमता (गीगावॉट) | क्रियान्वयन के चरण में (गीगावॉट) | अनुबंधित (गीगावॉट) | कुल स्थापित पाइपलाइन (गीगावॉट) |
सौर ऊर्जा | 32.53 | 25.05 | 25.78 | 83.36 |
पवन ऊर्जा | 37.28 | 9.64 | 2.20 | 49.12 |
जैव ईंधन | 9.94 | 0.00 | 0.00 | 9.94 |
लघु पन बिजली परियोजना | 4.65 | 0.55 | 0.00 | 5.20 |
पवन और सौर ऊर्जा हाइब्रिड | 0 | 1.44 | 0.00 | 1.44 |
24 घंटे आरटीसी बिजली | 0 | 0.00 | 1.60 | 1.60 |
कुल | 84.40 | 36.68 | 29.58 | 150.66 |
वर्ष 2019 के दौरान शुरू की गई महत्वपूर्ण पहलें
- किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम)
अन्नदाता को ऊर्जादाता बनाने की दिशा में एक बड़ी पहल के तहत 8 मार्च 2019 को पीएम-कुसुम योजना को मंजूरी दी गई और इसके कार्यान्वयन के लिए दिशानिर्देश 22.07.2019 को जारी किए गए। पहले वर्ष के लिए क्षमताओं का राज्यवार आवंटन 13.8.2019 को किया गया। इस योजना में ग्रिड से जुड़े आरई बिजली संयंत्र (0.5 - 2 मेगावाट) / सौर जल पंप / ग्रिड से जुड़े कृषि पंप शामिल हैं। इसके तीन घटक हैं:
घटक क : किसानों द्वारा मुख्य रूप से बंजर / गैर-इस्तेमाल वाली परती जमीन पर उप-स्टेशन से 5 किमी की दूरी के भीतर 10,000 मेगावाट की विकेन्द्रीकृत ग्राउंड माउंटेड ग्रिड से जुड़े 500 किलोवाट से 2 मेगावाट क्षमता वाले नवीकरणीय ऊर्जा सयंत्र की स्थापना। बिजली आपूर्ति कंपनियां – डिस्कॉम इन सयंत्रों से पूर्व निर्धारित दरों पर बिजली खरीदेंगी जिसके लिए उन्हें 0.40 रूपये प्रति यूनिट की दर से पांच साल की अवधि में प्रति मेगावॉट 33 लाख रूपये मिलेंगे।
घटक ख : खेती के लिए सौर ऊर्जा चलित 17.50 लाख पंप लगाया जाना। पंपों पर होने वाले खर्च का 30 प्रतिशत हिस्सा केन्द्रीय सरकार वहन करेगी और इतना ही राज्य सरकारों को वहन करना होगा। बाकी खर्च की राशि लाभार्थी किसानों को मिलकर देनी होगी। (पूर्वोत्तर तथा पर्वतीय क्षेत्र वाले राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के लिए सौर ऊर्जा पंपों के लिए केन्द्र की ओर से वहन की जाने वाली राशि 50 प्रतिशत होगी।
घटक ग: ग्रिड से जुड़े 10 लाख मौजूदा कृषि पंपों को सौर ऊर्जा चलित बनाने के लिए केन्द्र सरकार कुल लागत का 30 प्रतिशत तक वित्तीय सहायता के रूप में देगी। राज्यों को भी कुल 30 प्रतिशत देना होगा। शेष राशि लाभार्थी किसानों द्वारा साझा की जाएगी। (पूर्वोत्तर और पर्वतीय क्षेत्रों वाले राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों के लिए केन्द्रीय सरकार कुल लागत का 50% तक वहन करेगी)
लक्ष्य: 2022 तक 25,750 मेगावाट अतिरिक्त सौर क्षमता की स्थापना।
कार्यान्वयन की रूपरेखा: एमएनआरई द्वारा जारी कार्यान्वयन दिशानिर्देशों के अनुसार, संबंधित राज्यों में तीन घटकों के लिए राज्यों द्वारा नामित एजेंसियों द्वारा योजना लागू की जाएगी। घटक-बी के लिए केंद्रीकृत निविदा की व्यवस्था की गई है। ईईएसएल (ऊर्जा दक्षता सेवा लिमिटेड) द्वारा पूरे किए गए। 1.75 लाख सौर ऊर्जा पंपों के लिए नामित एजेंसियों द्वारा केन्द्रीकृत निविदा की व्यवस्था की गई है। राज्यों ने कंपोनेंट-बी का कार्यान्वयन शुरू कर दिया है। घटक-ए और सी के लिए राज्यों को दिशानिर्देशों के अनुसार प्रक्रिया शुरू करनी होगी।
2. निविदा के लिए मानक दिशा निर्देश
मंत्रालय ने ग्रिड से जुड़ी पवन और सौर ऊर्जा परियोजनाओं से बिजली की खरीद के लिए शुल्क आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं। इसका उद्देश्य बोली के एक पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से सौर और पवन ऊर्जा की खरीद के लिए एक रूपरेखा तय करना है। इसमें प्रक्रियाओं के मानक तय किए जाने के साथ ही विभिन्न हितधारकों की भूमिकाएं और जिम्मेदारियां परिभाषित करना है।
बिजली खरीद अनुबंध के तहत बिजली उत्पादन और बिजली खरीदने वाली कंपनियों के बीच संविदात्मक प्रावधानों को मजबूत बनाने तथा सौर ऊर्जा परियोजनाओं को स्थापित करने की सुविधा के लिए, सरकार ने नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की ओर से 22.10.2019 को जारी की अधिसूचना रद्द कर उसमें ग्रिड से जुड़े सौर ऊर्जा पीवी पावर परियोजनाओं से बिजली की खरीद के लिए 'दिशानिर्देशों के आधार पर शुल्क आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के लिए प्रमुख संशोधन' किए हैं:
(i). सौर ऊर्जा उत्पादकों को पीपीए की पूर्ण अवधि के लिए आवश्यक भूमि के 100% (सौ प्रतिशत) का उपयोग करने के लिए कब्जे / अधिकार स्थापित करने के लिए अधुसूचित तिथि पर या उससे पहले दस्तावेज / पट्टे समझौते प्रस्तुत करने की अनुमति दी गई है।पर यह अनुमति पूर्ण अवधि से कम की अवधि होने की स्थिति में नहीं मिलेगी
(ii) प्राकृतिक और गैर प्राकृतिक आपदाओं की स्थिति में प्रभावित पक्षों के लिए समय सीमा बढ़ाए जाने की स्पष्ट और व्यापक व्यवस्था कुछ आवश्यक शर्तों के साथ की गई है।
(iii) बैक डाउन के लिए मुआवजे की राशि 50 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दी गई है। लेकिन इसके लिए बैक डाउन और उसके भुगतान के बारे में लिखित निर्देश होने चाहिएं
(iv) वित्तीय लेखा जोखा की प्रक्रिया बंद करने तथा कमीशन की तिथि के लिए समय सीमा बढ़ाए जाने की मंजूरी देने का प्रावधान है लेकिन ऐसा तभी संभव है जब संबंधित विद्युत नियामक आयोग द्वारा आवेदन दिए जानके 60 दिनों के बाद भी शुल्क तय करने में देरी की जा रही हो। ऐसी समयावधि की छूट की यह व्यवस्था पवन ऊर्जा से जुड़ी परियोजनाओं के लिए लगाई जाने वाली बोली प्रक्रिया के लिए भी है।
3. नवीकरणीय ऊर्जा के अल्ट्रा मेगा पार्क विकसित करना (यूएमआरईपीपीएस)
मंत्रालय ने सौर ऊर्जा पार्क विकसित करने की मौजूदा योजना के तहत नवीकरणीय ऊर्जा के अल्ट्रा मेगा पार्क स्थापति करने का काम हाथ में लिया है। इसका उद्देश्य परियोजना डेवलपरों को जमीन दिलाना तथा जरूरत पड़ने पर सौर/पवन/हाइब्रिड आधारित नवीकरणीय ऊर्जा वाली यूएमपपीएस को पारेषण के लिए आवश्यक ढांचागत सुविधाएं हासिल करने में मदद करना है। ऐसी योजनाओं का क्रियान्वयन किसी ऐसे एसपीवी द्वारा किए जाने की व्यवस्था है जो केन्द्र या राज्य सरकारों के किसी सार्वजनिक उपक्रम,या फिर राज्य सरकार के किसी सार्वजनिक उपक्रम या फिर राज्यों की किसी यूटिलिटी एजेंसी द्वारा बनाई गई हो। एनटीपीसी,एसईसीआई,एनएचपीसी, टीएचडीसी, एनईईपीसीओ, एसजेवीएनएल, डीवीसी, एनएलसी और पीएफसी ने विभिन्न राज्यों में कुल 42 हजार मेगावॉट क्षमता वाले नवीकरणीय ऊर्जा के अल्ट्रा मेगा पार्क विकसित करने का प्रस्ताव दिया है।
4. ग्रिड से जुड़ा रूफ टॉप सोलर कार्यक्रम(आरटीएस)
ग्रिड से जुड़े रूफटॉप सौर कार्यक्रम के दूसरे चरण को फरवरी 2019 में वर्ष 2022 तक रूफटॉप सोलर (आरटीएस) परियोजनाओं से 40,000 मेगावाट की संचयी क्षमता प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ मंजूरी दी गई थी। इस कार्यक्रम के लिए आवासीय क्षेत्र को दी जाने वाली वित्तीय सहायता की व्यवस्थाओं को कुछ बदलावों के साथ नए सिरे से तय किया गया है।
आरटीएस के दूसरे चरण- II की महत्वपूर्ण विशेषताएं इस प्रकार हैं: -
- बिजली आपूर्ति करने वाली कंपनियां इसे लागू करने वाली एजेंसी होंगी
- इसके तहत केन्द्र की ओर वित्तीय मदद/सब्सिडी केवल आवासीय क्षेत्र को मिलेगी
- आवासीय श्रेणी के लिए केन्द्र की ओर से वित्तीय मदद 4000 मेगावॉट क्षमता के लिए दी जाएगी। यह निर्धारित लागत या फिर निविदा लागत में से जो भी कम होगा उसपर तय होगी।
- छतों पर लगाए जाने वाले सौर ऊर्जा पैनलों के लिए तीन किलोवॉट की क्षमता तक केन्द्र की ओर से 40 प्रतिशत की सब्सिडी मिलेगी। तीन किलोवॉट से 10 किलोवॉट की क्षमता के लिए पहले तीन किलोवॉट के लिए यह 40 प्रतिशत तथा बाकी के लिए 20 प्रतिशत होगा। दस किलोवॉट से अधिक की क्षमता के लिए पहले तीन किलोवॉट पर सब्सिडी 40 प्रतिशत और बाकी 7 किलोवाट पर सब्सिडी 20 प्रतिशत की दर से मिलेगी। दस किलावॉट से अधिक की क्षमता पर किसी तरह की कोई सब्सिडी नहीं मिलेगी।
- ग्रुप हाउसिंग सोसाइटियों,रेसिडेंशियन वेलफयर ऐसोसिएशनों के लिए छतों पर लगाए जाने वाले सौर ऊर्जा संयंत्रों के लिए केन्द्रीय मदद 20 प्रतिशत पर सीमित रखी गई है। सीएचएस और आरडब्लयू के लिए आरटीएस की कुल क्षमता 500 किलोवॉट निर्धारित की गई है जो प्रति घर 10 किलोवॉट तय की गई है।
- आवासीय उपभोक्ताओं/ ग्रुव हाउसिंग सोसाइटियों और रेसिडेंशियल वेलफेयर एसोसिएशनों को आरटीए लगाने वाले वेंडरों को केन्द्रीय सब्सिडी के तौर पर मिलने वाली राशि काट कर बाकी राशि का ही भुगतान करना होगा।
- केन्द्रीय मदद प्राप्त करने के लिए आरटीएस के वास्ते केवल स्वेदश निर्मित पीवी मॉड्यूल और सेल का ही इस्तेमाल करना होगा।
- बिजली आपूर्ति कंपनियों को एक वित्त वर्ष में हासिल आरटीएस क्षमता के प्रदर्शन के आधार पर ही प्रोत्साहन दिया जाएगा।
5. सौर पीवी विनिर्माण
स्वेदश निर्मित एसपीवी सेलों और मॉड्यूल्स के इस्तेमाल वाले सौर पीवी ऊर्जा संयंत्र लगाने के लिए सरकारी मदद
सरकार ने केन्द्र सरकार/राज्य सरकारों या फिर केन्द्र या राज्य सरकारों के सार्वजनिक उपक्रमों द्वारा पीवी सौर ऊर्जा संयंत्र लगाने के की एक योजना को मंजूरी दी है।यह मंजूरी विश्व व्यापार संगठन की ओर से तय दिशानिर्देशों के अनुरुप है।
ऊर्जा संयंत्रों के लिए सौर पीवी विनिर्माण से जुड़े बिजली खरीद समझौते
सौर पीवी निर्माण के लिए सौर ऊर्जा संयंत्रों के साथ बिजली खरीद समझौते के लिए निविदाओं को अंतिम रूप दिया गया। एसईसीआई ने इसके लिए एक दौर की बोली प्रक्रिया पूरी कर चुका है। इसके तहत 2-3 गीगावॉट क्षमता वाले सौर पीवी सेलों और मॉड्यूलों की निर्माण क्षमता को 8-12 गीगा वॉट क्षमता के सौर ऊर्जा संयंत्रों के साथ जोड़ने का काम किया जाना है।
6. पवन-सौर हाइब्रिड प्रणाली
राष्ट्रीय पवन-सौर हाइब्रिड नीति का मुख्य उद्देश्य पवन और सौर संसाधनों, पारेषण बुनियादी ढांचे और भूमि के इष्टतम और कुशल उपयोग के लिए बड़े ग्रिड से जुड़े विंड-सोलर पीवी हाइब्रिड सिस्टम को बढ़ावा देने के लिए एक रूपरेखा प्रदान करना है। पवन - सौर पीवी हाइब्रिड सिस्टम अक्षय ऊर्जा उत्पादन में परिवर्तनशीलता को कम करने और बेहतर ग्रिड स्थिरता प्राप्त करने में मदद करेंगे। इस नीति का उद्देश्य नई प्रौद्योगिकियों, तरीकों और तरीके को प्रोत्साहित करना है जिसमें पवन और सौर पीवी संयंत्रों के संयुक्त संचालन को शामिल किया गया है। अब तक, एसईसीआई ने ई-रिवर्स नीलामी के बाद 1440 मेगावाट क्षमता की पवन सौर हाइब्रिड परियोजनाओं को मूर्त रूप दिया है। इसके अलावा, हीरो फ्यूचर एनर्जीज ने रायचूर जिले, कर्नाटक में मौजूदा 50 मेगावाट पवन परियोजना (कुल 78.8 मेगावाट हाइब्रिड परियोजना) में 28.8 मेगावाट सौर परियोजना को जोड़कर पवन-सौर हाइब्रिड परियोजना शुरू की है।.
7. भारत में अपतटीय पवन ऊर्जा
राष्ट्रीय अपतटीय पवन ऊर्जा नीति को अक्टूबर 2015 में अधिसूचित किया गया था, जिसका उद्देश्य 7600 किलोमीटर की भारतीय तट रेखा के साथ भारतीय विशेष आर्थिक क्षेत्र में अपतटीय पवन ऊर्जा विकसित करना था। गुजरात और तमिलनाडु में आठ क्षेत्रों की पहचान की गई है जहां 70 गीगावॉट की संचयी अपतटीय पवन ऊर्जा क्षमता है। पहली एक गीगावॉट क्षमता वाली अपतटीय पवन परियोजना के लिए इच्छा पत्र , 2018 में मंगाए गए थे। देश में अपतटीय पवन ऊर्जा उत्पादकों / विनिर्माता के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय अपतटीय पवन डेवलपर्स समेत 35 से अधिक प्रतिभागियों ने इसमें हिस्सा लिया था। बोली के दस्तावेज तैयार करते समय प्रतिभागियों से प्राप्त सुझावों को ध्यान में रखा गया है।
8. अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) दूसरा चरण (66.5 गीगावॉट नवीकरणीय ऊर्जा जोन)
तमिलनाडु,आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान और मध्य प्रदेश के राज्यों में संभावित नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र (कुल 66.5गीगावॉट - सौर ऊर्जा 50 गीगावॉट और पवन ऊर्जा 16.5 गीगावॉट ) की पहचान की गई है और इन नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्रों को एकीकृत करते हुए एक व्यापक पारेषण योजना विकसित की गई है।
यह योजना या तो शुल्क आधारित प्रतिस्पर्धी बोली के माध्यम से या पीजीसीआईएल द्वारा विनियमित शुल्क तकनीक के माध्यम से कार्यान्वित की जा रही है। पीबीसी और आरईसी द्वारा टीबीसीबी की बोली लगाई जा रही है। टीबीसीबी या आरटीएम में कार्यों का आवंटन विद्युत मंत्रालय द्वारा गठित ट्रांसमिशन की समितियों द्वारा किया जाता है।
इनमें से पहले चरण की परियोजना के लिए बोली लगाई जा चुकी है और अनुबंध जारी हो चुके है तथा इनपर काम भी हो रहा है। दूसरे चरण की परियोजना के लिए मंत्रालय की ओर से अक्टूबर/नवंबर 2019 में मंजूरी दी गई थी और पीजीसीआईएल/पीएफसी की ओर से बोली लगाई गई थी। तीसरे चरण की परियोजना राष्ट्रीय पारेषण समिति की ओर से मंजूरी की प्रक्रिया में है।
9. भुगतान प्रक्रिया
सभी बिजली आपूर्ति कंपनियों द्वारा बैंक से साख पत्र प्राप्त करना तथा सभी उत्पादों के वितरण के लिए लाइसेंस हासिल करना
ऊर्जा मंत्रालय ने एक आदेश जारी कर सभी बिजली आपूर्ति कंपनियों ये कहा है कि वह बिजली खरीद भुगतान प्रक्रिया को सुरक्षित बनाने के लिए साख पत्र प्राप्त करें। इसके अलावा मंत्रालय ने पावर सिस्टम ऑपरेशन कार्पोरेशन लिमिटेड को निर्देश दिया है कि वह बिजली पारेषण कंपनियों को बिजली की आपूर्ति लिए निर्धारित प्रक्रिया के तहत तभी बिजली की आपूर्ति करे जब संबधित लोड डिस्पैच सेंटर को लिखित में यह सूचना दी जाए कि इसके लिए बिजली आपूर्ति कंपनी की ओर से जरूरी साख पत्र हासिल किया जा चुका है।
नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादकों के बकाया भुगतान के लिए डिस्काम को लघु अवधि के कर्ज की व्यवस्था
मंत्रालय ने पीएफसी/आरईसी/आईआरईडीए से अनुरोध किया है कि वह नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन करने वालीं कंपनियों के बकाया भुगतान के लिए डिस्कॉम को लघु अवधि के रिण उपलब्ध कराए।
10. ऊर्जा संचय
एसईसीआई की ओर से बैटरी स्टोरेज सिस्टम के लिए दो निविदाएं जारी की गई हैं: -
- 1200 मेगावॉट के लिए निविदा। जिसके तहत बैटरी स्टोरेज सिस्टम के साथ सुबह/शाम(छह घंटे) सर्वाधिक मांग के समय बिजली की आपूर्ति
- बैटरी स्टोरेज सिस्टम के साथ 400 मेगवॉट चौबीसों घंटे नवीकरणीय ऊर्जा आपूर्ति क्षमता ।
11. अंतरराष्ट्रीय सौर सगंठन का दूसरा सम्मेलन
मंत्रालय ने 30 और 31 अक्टूबर 2019 को नई दिल्ली में अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन (आईएसए) की दूसरे सम्मेलन की मेजबानी की। 30 अक्टूबर 2019 को, आईएसए कार्यक्रमों और पहलों के विभिन्न पहलुओं पर समन्वय और परामर्श बैठकें आयोजित की गईं।
31 अक्टूबर 2019 को सम्मेलन के सत्र की अध्यक्षता माननीय मंत्री श्री आर.के. सिंह, तथा आईएसए के पदेन अध्यक्ष ने की। बैठक में 78 देशों के प्रतिनिधिमंडलों ने भाग लिया जिसमें 29 मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल शामिल थे। बैठक में आईएसए की गतिविधियों और आईएसए के सदस्य देशों में सौर ऊर्जा के विकास और नयी योजनाओं के प्रस्तावों, अनुमोदित नियमों और प्रक्रियाओं, आईएसए की नियामवली, कार्यक्रम और 2020 के बजट के लिए नए प्रस्तावों पर विचार-विमर्श किया गया।
12. महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती के उपलक्ष्य में वैश्विक सौर कार्यक्रम का आयोजन
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय ने पर्यावरण के अनुकूल जीवन जीने के महात्मा गांधी के सिद्धांत का प्रचार करने के लिए उनकी 150 वीं जयंती के के उपलक्ष्य में आईआईटी बंबई के साथ मिलकर ग्लोबल स्टूडेंट्स सोलर एनर्जी एसेम्बली का आयोजन किया। इस आयोजन में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के 6800 छात्रों ने नयी दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम में एक साथ रिकार्ड नबंर के सौर ऊर्जा लैंप जलाकर गिनिज बुक में अपना नाम दर्ज किया। पर्यावरण अनुकूल जीवन जीने का संदेश देने के लिए एक ही स्थान पर इतनी बड़ी संख्या में लोगों के इकठ्ठा होने ने भी नया विश्व रिकार्ड बनाया ।
13. विवाद निबटारा प्रणाली
परियोजना अवधि के लिए मंत्रालय द्वारा सौर/पवन ऊर्जा परियोजनाओं के लिए एसईसीआई और एनटीपीसी या फिर सौर / पवन ऊर्जा उत्पादक कंपनियों के साथ किसी तरह के विवाद के निबटान के लिए विवाद निबटारा प्रणाली की व्यवस्था की है। यह विवाद निबटारा प्रणाली अनुबंध की शर्तों से इतर के विवादों के लिए है। इससे परियोंजनाओं से जुड़े अनावश्यक विवादों को तुंरत निबटाते हुए उन्हें आसानी से लागू करने में मदद मिलेगी। .
14. ऑफ ग्रिड सौर ऊर्जा पीवी एप्लिकेशन प्रोगाम का तीसरा चरण
सरकार सोलर स्ट्रीट लाइट्स, सोलर स्टडी लैम्प्स और सोलर पावर पैक्स के लिए ऑफ-ग्रिड सोलर पीवी एप्लीकेशन प्रोग्राम के फेज -3 को लागू कर रही है। सौर स्ट्रीट लाइट और सौर अध्ययन लैंप की मांग के आधार पर राज्यों को स्वीकृति जारी की गई है; ईईएसएल ने सौर स्ट्रीट लाइट और सौर अध्ययन लैंप के लिए केंद्रीकृत निविदा पूरी की है।
पूर्वोत्तर तथा पर्वतीय क्षेत्र वाले राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों और केन्द्र शासित द्वीपीय प्रदेशों के लिए केन्द्र की ओर से योजना के लिए बेंचमार्क लागत के 90 प्रतिशत तक की वित्तीय सहायता के लिए प्रावधान किया गया है। जबकि अन्य राज्यों के लिए यह मदद बेंचमार्क लागत का 30 प्रतिशत तय किया गया है। छात्रों के लिए सौर अध्ययन लैंप केंद्र सरकार की ओर से 85 प्रतिशत की वित्तीय सहायता के साथ पूर्वोत्तर राज्यों और वाम उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में प्रदान किए जाएंगे।
लक्ष्य : 2018-19 तक 118 ऑफ ग्रिड सौर ऊर्जा प्रणाली स्थापित करना।
कार्यान्वयन ढ़ांचा: परियोजना राज्य की नोडल एजेंसियों द्वारा अपने राज्यों में लागू की जाएंगी। सौर ऊर्जा चलित स्ट्रीट लाइटों और सौर ऊर्जा वाले लैंपों के लिए एकीकृत निविदा जारी की जाएगी।
15. अटल ज्योति योजना(एजेएवाई) दूसरा चरण
आवेदन : सौर ऊर्जा चलित स्ट्रीट लाइट
वित्तीय मदद: कुल लागत का 75 प्रतिशत मंत्रालय द्वारा और बाकी सांसद निधि से दिया जाएगा।
लक्ष्य : निम्निलिख राज्यों/क्षेत्रों में कुल 3,04,500 सौर स्ट्रीट लाइटें लगाई जाएंगी :
- योजना के पहले चरण के तहत उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, ओडिशा और असम में काम किया जाएगा क्योंकि इन राज्यों की ओर से अतिरिक्त मांग है।
- पर्वतीय राज्य/ केन्द्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड।
- सिक्किम सहित पूर्वोतर के राज्य।
- अंडमान निकाबार द्वीप समूह तथा लक्षद्वीप। .
- उपरोक्त पहले और तीसरे भाग में आने वाले राज्यों को छोड़कर अन्य राज्यों के 48 आकांक्षी जिलों में।
कार्यान्वयन ढांचा: परियोजना को ईईएसएल द्वारा कार्यान्वित किया जाना प्रस्तावित है। संबंधित संसदीय क्षेत्रों के माननीय सांसद इसके लिए प्रस्तावित स्थान के साथ सहमति पत्र प्रदान करेंगे। सांसद कोष से इसके लिए राशि की मंजूरी संबंधित क्षेत्र के जिलाधिकारी द्वारा की जाएगी।
उपलब्धियां: इस योजना के प्रथम चरण के दौरान, 96 संसदीय क्षेत्रों के लिए सांसद निधि से धन के आवंटन की मंजूरी। स्वीकृत 1.45 लाख सौर स्ट्रीट लाइट में से 1.34 लाख लगाए गए हैं।
वर्तमान स्थिति: योजना के दूसरे चरण पर काम हो रहा है। कुल 120 सांसदों की ओर सवे 131586 सौर ऊर्जा चलित स्ट्रीट लाइन लगाए जाने की सहमति मिली है। जिसके आधार पर जिलाधिकरियों की ओर से 31426 ऐसी लाइटें लगाए जाने की मंजूरी दी गई है। अबतक ऐसे 13583 लाइटें लगाई जा चुकी हैं।
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