तुम्हारे हुस्न के मोतीझील में फंसकर
तेरे इश्क में परेड किये जाता है😜
दिल धड़कता था कभी घंटाघर सा
अब यादों का भैरवघाट बना जाता है😜
तुम लगती हो जैसे गिलौरी चौरसिया की
यहाँ ठग्गू के लड्डू सा मुंह हुआ जाता है🤣
तेरी सूरत के इस्काँन मंदिर को देख कर
मेरा मन भी ब्लूवर्ड सा मचल जाता है🤣
चहकती हो तुम मालरोड की शाम सी
मेरा प्यार यहाँ कबाड़ी मार्केट सा हुआ जाता हैं😝
तेरी पतली कमर है जैसे गलियाँ चमनगंज की
उस पर मेरा दिल अफीमकोठी के जाम सा रुक जाता है😂
बदन है खूबसूरत तुम्हारा फूलबाग सा
और ये आशिक नौबस्ता की धूल में नहाये जाता है।
नहीं खुलती सोमवार को जब गुमटी
तेरी ग़ुस्से से मेरा मन बर्रा जाता है।
हर शाम जब होता है दर्शनपुर्वा तेरा
मन मेरा 80 फ़िट रोड जितना हो जाता है।
ओर जब देख लेता है तेरा बाप कर्नल गंज मुझे
लाठी से उसकी मेरा कल्यानपुर हो जाता है!
मेरे कनपुरिया दोस्तों बस तुम्हारे लिये लिखा है,, हो सके तो आगे भी भेज देना🤩🤩🤩🤩🤩🤩
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