तीन साधू अलग-अलग जाति के होते हैं। एक हिन्दू, एक मुस्लमान, एक ईसाई होता है। एक दिन तीनों साथ में टहलते हैं। उनको टहलते-टहलते रात हो जाती है। तो तीनों साधू एक गरीब परिवार में जातें हैं और रात भर रूकेने का निवेदन करते हैं। उस घर में केवल एक ही आदमी था। जो उन तीनों साधुओं को रूकने के लिए एक कमरा दे देता है। तो वे तीनों साधु अपने भोजन के लिए आग्रह करते हैं। तो वह आदमी उनके लिए खीर बना कर लाता है। तीनों के मन में एक विचार आता है। वे कहते हैं कि रात में जो अच्छा स्वप्न देखेगा, वही इस खीर को खाएगा। रात में तीनों को नींद तो आती नहीं है और तीनों अपने मन में अच्छे-अच्छे स्वप्न के बारे में सोचते हैं। तो थोड़ी ही देर बाद मुसलमान और ईसाई को नींद आ जाती है। परन्तु हिन्दू उन दोनों के सो जाने का लाभ उठात है। वह उठकर सारी खीर खा जाता है। और सुबह तीनों हाथ-मुँह धोकर बैठते हैं। और अपने स्वप्न के बारे में बताने लगते हैं।
मुसलमान:- रात में हमारे अल्लाह जी आए थे और उन्होंने हमें बहुत सा पैसा दिया और प्यार भी किया।
ईसाई:- रात में हमारे ईसा-मसीह जी आए थे, उन्होंने हमें बहुत सा धन दिया और उन्होंने हमें गोद में बिठा कर अच्छी-अच्छी बाते बतायीं। अब हिन्दू की बारी आयी!
हिन्दू:- हमारे हनुमान जी तो हकीकत में आए थे।
दोनों साधु:- वे तुम्हारे लिए क्या कर गए?
हिन्दू:- आए और हमें अपने गदे से मार-मार कर सारी खीर-लिखा गए।
दोनों:- क्या तुम हकीकत में सारी-खीर खा गए?
हिन्दु:- जब हनुमान जी हकीकत में आए थे तो हमें मार-मार कर सारी खीर भी हकीकत में लिखा गए।
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