रहना है सबके बीच तो मुस्कुराइए,
वाणी में अपनी मधु, थोड़ा मिलाइए।
फलों सा बनिए कोमल, गरमाइए नहीं,
दुनिया में बन कर खुशबू फैल जाइए।
झगड़ा लड़ाई, ईष्र्या द्वेष सब बेकार है,
हर क्षण गीत प्रेम के, आप गुनगुनाइए।
सुख दुख तो धूप छाँव है, चिंता न कीजिए,
कर दर किनार इन बातों को, सबको हंसाइए।
कह कर गए हैं बुजुर्ग, अगर स्वस्थ रहना हो तो,
सुबह-सुबह प्रतिदिन, थोड़ा घूम आइए।
जीवन में आगे बढ़ना है, हिम्मत न हारिए,
मेहनत से आप अपना रास्ता बनाइए।
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