देश का जब संविधान लिखा जा रहा था तो जवाहरलाल नेहरू को नींद नहीं आ रही थी क्योंकि संविधान को एक अछूत बाबा साहब अम्बेडकर लिख रहे थे।
नेहरू रात में ही गाँधी के पास गया, गांधी सो रहा था,नेहरू ने गाँधी को जगाया । नेहरू ने गांधी से कहा-बापू आप सो रहे हैं और मुझे नींद नहीं आ रही है क्योंकि अम्बेडकर संविधान लिख रहा है न जाने अपने लोगों के लिए क्या-क्या लिख देगा। गांधी ने मुस्करा कर कहा - अरे पंडित क्यों चिंता करता है, लागू तो तुझे ही करना है ।
बाबा साहब अम्बेडकर ने संविधान में दलित व पिछड़ों के लिए आरक्षण की व्यवस्था की। संविधान लागू हो गया। आजाद भारत में प्रथम आम चुनाव हो गया था पूरे देश में कांग्रेस की सरकार बनी। सभी राज्यों में कांग्रेस के मुख्यमंत्री बने। सरकारी कर्मचारियों की भर्ती होनी थी। नेहरू ने गांधी से पूछा कि - बापू आरक्षण का क्या करना है? तब गांधी ने एक छोटी सी पर्ची पर गुप्त तरीके से लिख कर दिया कि- "पंडित वेकेंसी निकालो और भर्ती की पूरी प्रक्रिया पूरी करो लेकिन दलित व पिछड़ों को नहीं लेना है और उनकी खाली वेकेंसी के सामने लिखना है कि-कोई योग्य अभ्यर्थी नहीं मिला " यह सुन कर नेहरू खुश हो गया और बोला कि बापू मैं समझ गया।
पूरे देश में कर्मचारियों की भर्ती निकाली,प्रक्रिया पूरी की गयी लेकिन पूरे देश के मुख्यमंत्रियों पर वह गांधी की पाती गुप-चुप पहुंचायी गयी। दलित पिछड़ों को भर्ती नहीं किया गया । उनकी वेकेंसी के सामने लिख दिया गया कि " कोई योग्य अभ्यर्थी नहीं मिला " यह देख कर बाबा साहब अम्बेडकर बहुत दुखी हुए तब उन्होंने कहा कि - " शिक्षित बनो "
आज वही गांधी की पाती सरकार द्वारा फिर अमल में लायी जा रही है। 61 फीसदी वेकेंसी के लिए योग्य अभ्यर्थी नहीं मिला कह कर वेकेंसी खाली छोड़ दी गयीं हैं।
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