Tuesday, October 29, 2019

क्या है आई.टी.आई.

आप लोग कम्प्यूटर पर कई गेम्स खेलते होगे और कागज का राॅकेट भी बनाने होंगे। लेकिन क्या आप खुद कम्प्यूटर बनाना चाहते हैं?
चलिए, आपको भारत के इंजीनियरिंग के सबसे बड़े स्कूल आई आई टी (इंडियन इंस्ट्टियूट) आॅफ टेक्नोलाॅजी को आई. आई. टी. के नाम से जाना जाता है। भारत में इस समय रगत शहरों में आई. आई. टी. है। आई आई टी कानपुर, दिल्ली, चेन्नई, मुम्बई, खड़गपुर, रूड़की और गुवाहाटी।
 इंजीनियर बनने के लिए आपको 12 वीं मंे साईस (फिजिक्स, कैमिसट्री, मैथ्स) की पढ़ाई करनी होगी। बी.ए., बी. काम डिग्री-कोर्स तीन साल का है। लेकिन इंजीनियर का ग्रेजुएट प्रोग्राम अमूमन चार साल को होता है। इन साल आई आई टी में बी. टेक, बी काॅम, बी. आक, में एडमिशन लेने के लिए लगभग ढाई लाख बच्चे हर साल परीक्षा देते हैं। इनमें से सिर्फ पाँच हजार बच्चों को ही प्रवेश मिल पाता है।
 जो भी बी. टेक. या फिर, बी.एस. सी. के लिए आई आई टी में एडमिशन लेना चाहता हैं, उसे सबसे पहले जे. ई. ई. (ज्वांइट एंटेªए एग्जाम) देना पड़ता है। स्श्रोता आई आई टी और देश के एक-दो और अच्छे-अच्छे इंजीनियरिग कालेज में प्रवेश के लिए एंटेªस टेस्ट होता है। लेकिन हर आई आई टी में अलग-अलग एंटेªस टेस्ट न होकर ही टेस्ट होता है। और इस ही कहते है, जे. ई. ई.।
 मान लीजिए कि आप इंजीनियर बनना चाहते हैं। और आई आई टी कानपुर या आई आई टी गुवाहाटी में एडमिशन लेना चाहते हैं। तो आप, दिल्ली में ही जे. ई. ई. एग्जाम दे सकते हैं। यानि कि आपको इन स्श्रतों आई-आई टी में अलग-अलग फार्म भरकर टेस्ट देने की जरूरत नहीं है। एक ही टेस्ट के बाद उतने ही ऊपर आपका रैंक होगा, उतने ही आप इंजीनियर बनने के एक कदम नजदीक आते जाएंगे और अपने मनपंसद आई आई टी में पढ़ पाएंगे।
 इंजीनियरिंग के कई तरह के कोर्स होते हैं। जैसे-ऐरोस्पेस, बोया टेक्नोलाजी, केमिकल, सिविल, कम्प्यूटर साइंस, इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रानिक्स, इनफार्मेशन टेक्नोलाॅजी आदि।
 इसके अलावा आप पाँच साल के इंटीग्रेटेड एम. टेक. प्रोगाम में भी एडमिशन ले सकते हैं। आई आई टी के विभिन्न संस्थानो में अब मैनेजमेट की भी पढ़ाई करवायी जाती है। जैसे कि एम. बी. ए., इन टेक्नोलाजी मैनजमेंट, एम. बी. ए., इन मैनेजमेट सिस्टम और एम. बी. ए. इन टेलीकाॅम सिस्टम मैनेजमेट और है। आई आई टी से आप पी. एच. डी. की डिग्री भी हासिल कर सकते हैं।
आई आई टी का इतिहास
 हमारे देश में आजादी से पहले कोई भी ऐसा कालेज नहीं था जहाँ टेक्नोलाजी की पढ़ाई होती है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद वायसराय की कार्य कारी समिति ने एक टेक्नोलाजी इंस्टिट्यूट बनाने की सलाह दी। फिर पं. बंगाल के मुख्यमंत्री डाॅ. बी. सी. राॅय ने एक कमेटी बनाई, जिसने कहा कि हमारे देश में टेक्नोलाजी की जरूरत को समझते हुए उत्तर दक्षिण और पूर्व-पश्चिम में एक-एक इंस्ट्टियूट बनाना चाहिए। इसके बाद पहला आई. आई. टी. 1950 में खड़गपुर, में बनाया गया। फिर 1958  में मुंबई, 1959 में कानपुर और चेन्नई तथा 1961 में दिल्ली में आई आई टी की शुरूआत हुई। फिर 1994 में असम और 2001 में पहले से ही चल रही यूनिवर्सिटी आॅफ रूडकी को आई. आई. टी. रूडकी में बदला गया। 


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