युवा पीढ़ी जाने हमारे बांदा चित्रकूट के किसानों के पैदा कपास से बने धागे से भारत नहीं एशिया की पहली कपड़ा मिल 1862 मे चली थी बांदा गैजेट ईयर 1902 तथा 1972 के अनुसार बांदा कर्वी कपास की बहुत बड़ी मंडी थी कलकत्ता, जबलपुर, पटना, कानपुर की बड़े व्यापारी यहां की मंडियों से कपास खरीदते थे तिंदवारी पैलानी, बबेरू, मऊ, राजापुर, मानिकपुर, कालिंजर, क्षेत्र के किसानों द्वारा बड़ी मात्रा में कपास पैदा किया जाता था। यह कहा जाए कि कपास यहां के किसानों की मुख्य फसल थी। एशिया की पहली कपड़ा मिल 1862 में एलियन मिल के नाम से कानपुर में स्थापित हुई थी ब्रिटिश इंडिया कॉरपोरेशन वी आई सी ने इस मिल का संचालन शुरू किया था इंडिया यूनाइटेड मिल, लाल इमली, कानपुर कॉटन मिल, अर्थ टन स्वदेशी कॉटन मिल, जेके कॉटन मिल, जैसी विश्व प्रसिद्ध कपड़ा मिलें कानपुर में स्थापित इन मिलों प्रतिदिन 1100000 (11लाख) मीटर कपड़ा बनता था कई लाख मजदूर काम करते थे। जेके कॉटन मिल के मालिक कमलापति सिंघानिया जी ने कर्वी शहर के शंकर नगर में कपास रखने के लिए एक बहुत बड़ा गोदाम बनवाया था। जो आज भी देखा जा सकता है बांदा शहर के खुटला मोहल्ले में कपास की बहुत बड़ी मंडी थी जिसे आज भी देख सकते हैं इस संबंध में चित्रकूट कर्वी श्री दीनदयाल मिश्र, बांदा के श्री बाबूलाल गुप्ता जी, के पास इस संबंध में काफी जानकारी उपलब्ध है। बांदा चित्रकूट के किसानों का सबसे अधिक कपास कमलापति सिंघानिया जी के कॉटन मिल में 1924 से खरीदा जाने लगा था। उनका लगाव बांदा और चित्रकूट के किसानों से था इसी वजह से उन्होंने अपने गोदाम कर्वी क्षेत्र में बनवाए थे। उच्च क्वालिटी का शुद्ध सूती कपड़ा बांदा और चित्रकूट के कपास के धागे से बनता था जो उस समय के 21 देशों को कपड़ा जाता था। उस समय कपास की खेती महाराष्ट्र, गुजरात में कम थी और कपड़ा मिले भी स्थापित नहीं हुई थी। कानपुर को भारत का मैनचेस्टर कहा जाता था। 1980 तक कपास की खेती बांदा और चित्रकूट के किसान करते थे। प्राकृतिक आपदा सरकारों का सहयोग न मिलने के कारण कपास उद्योग यहां से पूरी तरीके से खत्म हो गया। कपास ना होने के कारण कानपुर की मिले भी लगभग बंद जैसी स्थिति में है।
सर्वोदय कार्यकर्ता होने के नाते मुझे अपनी क्षेत्र पर गर्व है और उन लोगों को बताना चाहता हूं जो कहते हैं कि बुंदेलखंड बहुत गरीब है बुंदेलखंड का खाएंगे, बुंदेलखंड में रहेंगे, बुंदेलखंड से लेंगे, और बुंदेलखंड को गरीब बताएंगे। युवा पीढ़ी अपने वैभवशाली इतिहास को जानने और इसे पुनः संभालने के लिए कुछ प्रयास करें जय जगत।
umakant pandey
banda
No comments:
Post a Comment