Monday, October 21, 2019

कलयुगी वन्दना

हे प्रभो आनन्द दाता बस यह उपकार हम पे कीजिए।
सिर्फ मैं जीता रहूँ और मार सबको दीजिए।।
भक्त हूँ मैं आपका अर्जी प्रभो ले लीजिए।
और जितनी अर्जियां हो फाड़ उनको दीजिए।।
पुष्प चन्दन और तुलसी की माला आप सब ले लीजिए।
सौ सौ के नये नोट बस मेरी जेब में भर दीजिए।।
आपके भंडार में प्रभो धन की कोई सीमा नहीं।
किन्तु मेरे लिए भेजा कभी कोई बीमा नहीं।।
मुझको अगले जन्म में प्रभो बेटा बनाना लाट का।
या प्रभो खटमल बनाना सेठ जी के खाट का।।
एक झण्डा चार गुण्डा आठ मोटर कार दे।
बस मेरी यही इक प्रार्थना स्वीकारिए।।
हे प्रभो आनन्द दाता ज्ञान हमको दीजिए।
शीघ्र सारे सद्गुणों को दूर हमसे कीजिए।।
दब दबा मेरा रहे काॅलेज और स्कूल पर।
कूद कर मैं बैठ जाऊँ प्रिन्सिपल की मेज पर।।
सिर्फ मैं चमकूँ प्रभो अखबार के हर पेज पर।
आराम से लेटा रहूँ बस मखमली सी सेज पर।
श्रीमती जी आपका चरणामृत लेती रहे।
चाय और सिगरेट पीने को मुझको देती रहे।
दो मुझे आशीष पूरे सौ वर्ष जीता रहूँ।
भक्त बनकर रक्त जनता का सदा पीता रहूँ।
ब्लैक रिश्वत की कृपा से ऐश भी करता रहूँ।
नोट देकर वोट लेकर चोट भी करता रहूँ।
और मेरा कौन है सब कुछ हमारे आप है।
आप हमारे बाप के भी बाप के भी बाप हैं।
जिसको चाहूँ काट खाऊँ यह अधिकार हमको दीजिए।
हे प्रभो आनन्द दाता बस यह उपकार हम पे कीजिए। 


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