वर्षों से अवहेलना झेल रहा दबी कुचली जिंदगी जी रहा झोला आज बहुत खुश है। झोला आखिर खुश क्यों ना हो, स्टोर रूम के एक कोने में पुराने कपड़ो और सामानों के बीच या नीचे दबे हुए दम घुटते हुए माहौल से आज आजादी जो मिल गई। जिस पॉलीथिन बैग ने उसके सारे अधिकार उसका सम्मान छीन लिया था। आज सब उसे मिल जाएगा। जिस शान से वो हमारे दादा और पिता के साथ साइकिल के हैंडल पर शान से लटकता हुआ राशन का सामान बाजार से घर तक लाता था, परिवार के छोटे बच्चों के लिए फल मिठाई समेटे जब घर पहुचता तो बच्चों से झोले को जो प्यार मिलता था आज फिर से वही शान और शौकत वही प्यार फिर से उसे हासिल होने वाला है। जिस पॉलीथिन बैग रूपी राक्षस ने उसके सारे अधिकार छीने थे, पर्यावरण को नुकसान पहुँचाया और ना जाने कितने पशुओं की हत्या का कारण बना उसका अंत होने वाला है। दशहरे से पूर्व असत्य पर सत्य की जीत है। वक्त बुरा भी हो तब भी संयम रखना चहिये अच्छे दिन फिर लौटकर आते है। आज झोला हम सबके बीच अपना बुरा समय बिताकर एक नए जीवन की शुरुआत करने वाला है।
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