बलिदानियों का गांव चित्रकूट जिले का सरधुआ गांव यह गांव सैनिकों का गांव कहलाता है इस गांव के सपूत स्वर्गीय कर्नल दिनेश सिंह की मेहनत से इस गांव का भाग्योदय हुआ इस गांव के प्रत्येक के वर्ग परिवार से एक सैनिक है इस गांव से 350 से अधिक सैनिक कई कर्नल मेजर सूबेदार कैप्टन हवलदार शहीद सेना के कई पदों पर आसीन होकर देश सेवा कर रहे हैं उत्तर प्रदेश का पहला गांव में जिस में सबसे अधिक युवा सेना में है कई सैनिकों ने राष्ट्रहित में अपने को बलिदान किया है चित्रकूट जिले का ग्राम सरधुआ जो मंदाकिनी के तट पर जमुना के नजदीक तिराहर का सिरमौर है इस गांव की खूबसूरती देखने लायक है इस गांव में तीन इंटर कॉलेज 10 जूनियर हाई स्कूल कई प्राथमिक विद्यालय है 99% जनसंख्या इस गांव की शिक्षित है चित्रकूट के राजापुर के नजदीक गांव बसा है इस गांव के बाहर खड़े हो जाएं तो ऐसा लगता है कि आप फिल्म देख रहे हैं इस गांव की मिट्टी में जन्मे वीर सपूत गांव के भाग बता विधाता जिन्हें गांव के युवा वर्ग अपना आदर्श मानते हैं कर्नल दिनेश सिंह ने इस गरीब पिछड़े गांव के बेरोजगार युवकों को तैयार करा कर फौज में भर्ती कराया गांव के सेवानिवृत्त हवलदार जगत नारायण पांडे बताते हैं वे हमारे लिए देवता से कम नहीं थे उन्होंने गांव के हर जाति हर परिवार से बेरोजगार युवा को सेना में भर्ती कराया सैनिक बलदेव विश्वकर्मा सैनिक मेहताब खा सैनिक लोकनाथ नाई सैनिक शिवपूजन सिंह सैनिक श्याम नारायण पंडित सैनिक इन नारायण पंडित ऐ सी परिवार के सैनिक किस्मत सैनिक रफ जस सैनिक दिनेश नाइ भैया लाल धोबी रामदयाल प्रजापति सैनिक मुन्ना लाल यादव सहित अनेकों नाम है कर्नल दिनेश सिंह के बड़े भाई श्याम सिंह गांव के युवकों को सेना की भर्ती के लिए तैयार करते थे जिन्हें दौड़ सीना लंबाई की ट्रेनिंग निशुल्क देते थे |
गांव के युवा विकास पांडे तथा युवा शिवदीप सिंह बताते हैं कि स्वर्गीय दिनेश सिंह की वजह से इस गांव का नाम पूरे प्रदेश में हुआ और यह गांव फौजियों का गांव कहलाता है इसी गांव में जन्मे बांदा चित्रकूट जिले की कोपरेटिव बैंक के पूर्व चेयरमैन स्वर्गीय उदय भान पांडे के पुत्र प्रवीण पांडे बताते हैं कि कर्नल दिनेश सिंह सरधुवा के सैनिकों से एक बटालियन बनाना चाहते थे यह गांव ही नहीं जब बांदा चित्रकूट एक जिला था तब क्षेत्र का कोई भी युवा जो फौज में जाना चाहता कर्नल दिनेश सिंह निस्वार्थ भाव से उसकी मदद करते थे क्षेत्र के सैकड़ों युवाओं को कर्नल दिनेश सिंह जी की वजह से फौज में नौकरी मिली बांदा जनपद के प्रसिद्ध समाजसेवी श्री अर्जुन सिंह परिहार बताते हैं कि कर्नल दिनेश सिंह जी को अपनी जन्मभूमि से इतना लगाव था कि वह किसी भी जाति धर्म मजहब का जब भी नौजवान बेरोजगार लड़का देखते थे उसे तुरंत फौज में भर्ती होने की सलाह देते थे सलाही ही नहीं देते थे बल्कि मदद करते थे निस्वार्थ भाव से श्री अर्जुन सिंह जी बताते हैं कि हमारी रिश्तेदारी होने के कारण मेरा इस गांव में आना-जाना रहा है यह गांव भाग्यशाली है कि इस मिट्टी मैं कर्नल महेंद्र सिंह कर्नल गुल्ला सिंह कर्नल हनुमंत सिंह जैसे सेना के बड़े अधिकारियों ने जन्म लिया कर्नल हनुमंत सिंह के तीनों बेटे वर्तमान में कर्नल है तथा एक बेटा पायलट है इस गांव में जन्मे सैनिकों तथा अधिकारियों ने भारत पाक युद्ध भारत चाइना युद्ध में युद्ध लड़ा नेतृत्व किया देश के दुश्मनों को मारा कई वीरता पदक प्राप्त किया इसी गांव के वीर बलिदानी कल्लू यादव है कर्नल दिनेश के बेटे सेना के उच्च पद पर हैं धन्य है बे माता पिता जिन की कोख से ऐसे वीर पुरुष ने जन्म लिया जिसे अपनी जन्मभूमि से लगाव था मातृभूमि की सेवा के लिए सैनिक तैयार किए मैं सर्वोदय ही कार्य करता हूं विनोबा जी का चेला हूं घूमता रहता हूं बबेरू से राजापुर जाते समय रास्ते में यह गांव दिखा अचानक जानकारी की जिज्ञासा हुई युवाओं ने जब इस गांव की गौरवशाली इतिहास को बताया लगा कि इस गांव के बहादुरी के किस्से इस वीर की जीवन गाथा को बताना चाहिए कर्नल दिनेश सिंह जी ने जो करके दिखाया उससे जिले के गांव में जन्मे अन्य गांव के उन व्यक्तियों को अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों को प्रेरणा लेनी चाहिए जो कुछ करने में सक्षम है ईश्वर ने उन्हें शक्ति दी है अपनी मातृभूमि का कर्ज चुका सकते हैं आज कर्नल दिनेश सिंह भले ही ना प्रत्यक्ष रूप से इस लोक में हो लेकिन उनका पुरुषार्थ उनको सदैव जीवित रखेगा और यह गांव सरधुआ जब तक रहेगा कर्नल दिनेश सिंह जी तब तक जीवित रहेंगे यदि सूचना में गलती हो कुछ तो क्षमा करें अच्छा हो तो आगे चर्चा करें जय जवान जय जगत अच्छी सूचना है युवा पीढ़ी जाने यदि तू चाहता है कि तेरे जाने के बाद भी नाम रहे इस जमीन पर तुम ऐसे नेक काम कर काम देखकर याद किया जाता रहे जमीन पर वंदे मातरम
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