कोई मंदिर-मस्जिद जाकर फूल चढ़ाता है,
कोई चर्च-शिवालय जाकर प्रभु के भजन सुनाता है।
मातृभूमि का मंदिर ऊँचा गिरजाघर-गुरुद्वारों से,
इस मंदिर का प्रेम पुजारी अपना शीष चढ़ाता है।
शीश चढ़ाने वालों का अब हर सपना साकार करो,
सबसे बड़ी है देश की पूजा, अपने वतन से प्यार करो।
खोई वसुधा की पीड़ा है गीता के उपदेशों में।
करूणंा का सागर लहराता गौतम के संदेशों में।
गीता, राम, मोहम्मद सबको भारत माँ का प्यार मिला।
इसीलिये यह देश बड़ा है दुनिया भर के देशों में।
महावीर, नानक की वाणी का मिलकर सत्कार करो।
सबसे बड़ी है देश की पूजा .....
श्वेत रंग अनुयायी है, गांधी बाबा की राहों का।
केसरिया वीर शिवाजी का रंग, हरा बहादुर शाहों का।
मंगल पाण्डे का जोश भरा, ऊधम की वीर जवानी है।
दीवानी झांसी की रानी, नेता सुभाष बलिदानी है।
इसके रगों में मिली-जुली, रणवीरों की कुर्बानी है।
आपस में शामिल सिन्धु, व्यास, गंगा, सतलज का पानी है।
हमने अपना शीश कटाकर, देश का ऊँचा नाम किया।
लहु का चोखा रंग मिलाकर, रंग झण्डे का लाल किया।
सरहद पर खड़े सिपाही का, सीना चैड़ा हो जाता है।
जब लाल किले पर लोकतन्त्र का, प्रहरी बन लहराता है।
भारत माता का मान बढ़े, आओ कुछ ऐसे काम करें।
झण्डे की शीतल छाया में, ये सारा जग विश्राम करे।
साँसों में बसा तिरंगा है, इसका नूतन श्रृंगार करो।
सबसे बड़ी है देश की पूजा, अपने वतन से प्यार करो।
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