भाजपा शासन काल में अधिकारियों और ठेकेदारों ने की मनमानी, योजनाओं की उड़ाई धज्जियां
दैनिक अयोध्या टाइम(म.प्र.)@नितेश शर्मा।
आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग ने पंप ऊर्जीकरण योजना में किया करोड़ो का घफला , फिर भी जिम्मेदार खामोश।
एक तरफ जहां मध्य प्रदेश सरकार द्वारा किसानों के हित में कई योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है किसानों के हित के लिए कई तरह की योजनाओं को सरकार जमीन से जोड़ने के हर संभव प्रयास कर रही है और कई हद तक यह संभव भी हो रहा है ।। मध्य प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी यानी शिवराज सरकार के कार्यकाल में इतने बड़े जमीनी घोटाले को अंजाम दिया गया अधिकारियों को भाजपा सरकार में किसी बात का डर नहीं था और ना ही इन अधिकारियों और ठेकेदारों पर जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों ने कोई ठोस कार्यवाही की इस ट्रांसफार्मर घोटाले की अगर निष्पक्ष जांच की जाए तो इसमें कई बड़े अधिकारी और ठेकेदार ब्लैक लिस्ट हो सकते हैं भाजपा सरकार पर कांग्रेस भ्रष्टाचार के आरोप विपक्ष में रहकर लगाती थी और वही आरोप आगर मालवा में कहीं ना कहीं सिद्ध होते हुए नजर आ रहे हैं जी हाँ
आगर मालवा में दूसरी ओर विभाग के ठेकेदार और कर्मचारी अधिकारी उन्हीं योजनाओं पर पलीता लगाते नजर आ रहे हैं ऐसी एक योजना आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग की है जिसमें विभाग के अधिकारियों और ठेकेदारों की मिलीभगत से किसानों के नाम पर फर्जी बिल भुगतान कर राशि निकाली गई। आगर मालवा जिले में आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग द्वारा पम्प ऊर्जीकरण योजना में वर्ष 2013-14 व 2014-15 में किसानो के नाम पर लाखो रुपये की राशि निकाली गई। जिसमे बिजली विभाग व ठेकेदार और आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग के अधिकारी शामिल है। आगर मालवा जिले में कई ऐसे गाँव है, जिसमे आदिम जाति तथा अनुसूचित जाति कल्याण विभाग की योजना द्वारा किसानो के यहाँ ट्रांसफार्मर तो लगाया गया है, किंतु जिस किसान के नाम से ट्रांसफार्मर स्वीकृत हुआ था उस किसान के नाम से तो ट्रांसफार्मर लगा ही नहीं और बिल भुगतान हो गया हो गया बहुत से किसान के यहा तो काम कम और बिल ज्यादा करवाया गया। जहा 2 लाख का काम था वहा 5 लाख का बिल भुकतान हो गया। ऐसे कई किसानो के नाम से लाखो रूपये के फर्जी बिल भुगतान किया है। इतना बड़ा घोटाला हो जाता है और जिम्मेदार अधिकारी का कोई ध्यान नही है। और इस पूरे मामले की जांच कलेक्टर अजय गुप्ता के द्वारा करवाई गई थी। जिसमें जांच प्रतिवेदन में लिखा हुआ है कि सामग्री सभी को प्राप्त हुई। कागजी कार्रवाई में तो सामान सभी किसानों को मिला लेकिन धरातल में स्थिति कुछ और निर्मित होती है पूरी पंप उर्जीकरण योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई है किसानों को पता ही नहीं और उनके नाम से लाखों रुपए की राशि सरकारी खजाने में से अधिकारियों और ठेकेदारों के द्वारा डकार ली गई है भ्रष्ट अधिकारी और ठेकेदार पर अभी तक जिम्मेदारों ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं दिखाइए है
क्या कहते हैं नियम।
नियम
1 पौल लगाने मे सीमेंट क्रांकीट होना चाहिए था जो नही किया गया।
2 नियम के हिसाब से 80 से 85 मीटर की दुरी पर पौल लगना चाहिए पर ठैकेदार के द्वारा 50 से 60 मीटर की दुरी पर ही लगा दिया पोल।
3 किसी भी ट्रांसफार्मर पर डेंजर बोर्ड लगना चाहिए था पर नही लगा। जबकि नियमानुसार हर ट्रांसफार्मर पर बोर्ड लगाना जरूरी है। पर किसी भी ट्रांसफार्मर पर बोर्ड नहीं लगाया गया
4 प्रत्येक ट्रांसफार्मर पर लोहे की सामग्री पर कलर होना चाहिए पर किसी भी सामग्री पर नही हुआ कलर।
5 प्रत्येक ट्रांसफार्मर पर 3 अर्थ केबल लगायी जाती है। पर ठैकेदार के द्वारा एक ही अर्थ केबल लगाई गई।
6 वही स्टीमेट के आधार पर कार्य नही हुआ घटिया सामग्री का उपयोग किया गया।
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