सालों साल बीतते गए! नेता बनते गए, फिर मंत्री संत्री भी हो गए पर नहीं बदले तो इनके हालात! हैं कौन ये आखिर जिनकी कहने बताने को अफसर अधिकारी भी झिझकता बचता है! कानपुर की वो जगह जिसमे कभी कच्ची बस्ती होती है, तो कभी बन्द हो चुकने का दम्भ भरने वाली पन्नी (plastic) की!
नंगे-नंगे घूमते ये बच्चे कैमरा नाम की चीज देखकर ही अचंभित हो जाते हैं ये सोंचकर "कि क्या वो भी टीवी नाम की बला पर दिखाए जाएंगे"! अमीरों की कही जाने वाली इस सरकार में गरीबों की में कुसुम भी परेशान है और मुन्नी भी!
कानपुर के विजयनगर डबल पुलिया में कच्ची बस्ती के कई -कई पीढ़ियों से रहने वाले ये बाशिंदे इंटरस्टेट हो चुके वाली जिंदगी जी रहे हैं! मौजूदा समय भाजपा से अब एमपी हो चुके सांसद सत्यदेव पचौरी ने अगस्त 2019 के महीने में इनमें से 40 लोगों के लिए शहर के सनिगवां में मकान उपलब्ध करवाने की बाबत डीएम विजय विस्वास पंत को लिखित आदेश किया था! बाद में स्थानीय लोगों की डिमांड पर इन्हें पनकी में 40 मकान उपलब्ध कराने की कहा गया और उन 40 लोगों की लिस्ट भी जारी कर दी जा चुकी है!
बस्ती में रहने वाले जवान बच्चे बूढ़ों में रोष है कि खत्म होने का नाम नहीं लेता! पीढ़ियों से चली आ रही उनकी इस समस्या का समाधान आजतक सिर्फ आदेशों में ही सिमटता आ रहा है! हंसने लगते हैं ये लोग कैमरा रिपोटर नाम की व्यवस्था को देख-जानकर कहते हैं" सरकारें बदल जाती हैं लोग आकर विधायक, सांसद, मंत्री लोग हो जाते हैं! फिर हमें भूल जाते हैं!
यहीं के निवासी संजय कुमार के मुताबिक बस्ती गिराए जाने के बाद बरसात के सीजन में वो लोग बाल-बच्चों सहित पानी में भीगते हुए डीएम ऑफिस गए थे, किसी तरह घण्टों बाद आये साहब ने अस्वासन देकर इन्हें वापस भेज दिया! वोट किसे किया था के सवाल पर बचपन से रहकर पचपन की हो चुकी दुलारी देवी कहती है कि "उन सबने वोट कमल वाले बटन पर दिया था, वही की सरकार है, फिर भी न जाने क्यों 56 की छाती वाले प्रधानमंत्री के दिल मे इनके लेशमात्र भी जगह नहीं है"!
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