Thursday, August 22, 2019

ग़जल

 

 

साथ में तुम मुस्कुराना सीख लो।

गीत कोई भी गुनगुनाना सीख लो।

 

रूठ जाए जो कभी ये जिंदगी,

जिंदगी को तुम मनाना सीख लो।

 

चाहते पाना किसी को तुम अगर।

दीप खुशियों के जलाना सीख लो।

 

याद तुमको भी करेगी ये जहां,

दर्द में गुलज़ार लिखना सीख लो।

 

हम कहीं फिर आ मिलेंगे मोड़ पर ,

आज मुझको खूब पढ़ना सीख लो।

 

जो सजा पायें न महफिल फिर कभी,

महफ़िलें अब तुम सजाना सीख लो।

 

- ऋषिकान्त राव शिखरे©®

अम्बेडकर नगर, उत्तर प्रदेश।

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