Sunday, July 21, 2019

नई तकनीक से चुनौतियों के हल खोजने वाले उद्यमियों को पुरस्कार

उमाशंकर मिश्र
नई दिल्ली, 18 जुलाई (इंडिया साइंस वायर): किसी दिव्यांग को ऐसा कृत्रिम अंग मिल जाए
जो दिमाग के संकेतों से संचालित हो तो इसे तकनीक पर आधारित एक महत्वपूर्ण सामाजिक
योगदान माना जाएगा। बिट्स पिलानी के कंप्यूटर साइंस के दो छात्रों उज्ज्वल कुमार झा और
सिद्धांत डांगी ने ऐसे ही बायोनिक हाथ का नमूना पेश किया है, जो दिमाग के संकेतों से
संचालित होता है। इस बायोनिक हाथ के प्रोटोटाइप को इंडिया इनोवेशन ग्रोथ प्रोग्राम 2.0 के
तहत राष्ट्रीय स्तर पर आयोजित यूनिवर्सिटी चैलेंज प्रतियोगिता में 10 लाख रुपये का पुरस्कार
मिला है। इन दोनों छात्रों ने बताया कि उनका प्रोटोटाइप फिलहाल विकास के दूसरे चरण में है
और इस पुरस्कार राशि की मदद से वे इसे अधिक बेहतर बना सकेंगे।
सामाजिक एवं औद्योगिक समस्याओं के समाधान के लिए विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी आधारित ऐसे
नवाचारों के लिए इस वर्ष इंडिया इनोवेशन ग्रोथ प्रोग्राम के तहत ओपन इनोवेशन चैलेंज में 16
स्टार्ट-अप कंपनियों और यूनिवर्सिटी चैलेंज के अंतर्गत 20 अकादमिक संस्थानों की टीमों को
क्रमशः 25 लाख रुपये और 10 लाख रुपये का पुरस्कार दिया गया है। इन विजेताओं को 2400
आवेदकों द्वारा प्रस्तुत किए गए नवाचारों में से चुना गया है।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने बुधवार को ये पुरस्कार नई
दिल्ली में प्रदान किए हैं। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, लाइफ साइंसेज, संचार, बायोटेक्नोलॉजी,
स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, रोबोटिक्स, कचरा प्रबंधन, जल प्रबंधन और अंतरिक्ष जैसे क्षेत्रों के
नवाचार इनमें मुख्य रूप से शामिल हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए प्रोफेसर आशुतोष शर्मा ने कहा कि "स्टार्टअप का विस्तार और उन्हें
एक स्थापित कारोबारी मॉडल के रूप में स्थापित करना प्रमुख चुनौती है। उद्योग जगत सफल
स्टार्टअप में अगर किसी निर्धारित राशि का निवेश करता है तो विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग
भी ऐसे स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए समान राशि का निवेश करने का फैसला जल्दी ही ले
सकता है।"
पुरस्कृत नवाचारों में आईआईटी-बॉम्बे के शोधकर्ता आदर्श के. द्वारा बनाया गया स्मार्ट
स्टेथेस्कोप, आईआईटी-कानपुर के छात्र नचिकेता देशमुख द्वारा विकसित बिजली ट्रांसफार्मर को


अधिक टिकाऊ बनाने की तकनीक, नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट के छात्र रवि प्रकाश द्वारा
दूध उत्पादकों द्वारा दूध सप्लाई करने के लिए बनायी गई स्मार्ट बाल्टी और कानपुर फ्लावरिंग
स्टार्टअप के नचिकेत कुंतला द्वारा मंदिरों से फेंके जाने वाले अपशिष्ट फूलों से अगरबत्ती बनाने
की तकनीक शामिल हैं।


विजेताओं को पुरस्कार प्रदान करते हुए प्रोफेसर आशुतोष शर्मा


यह पुरस्कार विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग, अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन और टाटा ट्रस्ट
की पहल पर आधारित है। इसका उद्देश्य भारत में नवाचारों के लिए अनुकूल वातावरण
विकसित करना है। इसके तहत, ओपन इनोवेशन चैलेंज और यूनिवर्सिटी चैलेंज नामक दो
प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं। इसके अलावा, चयनित उद्यमियों को उद्योग जगत के
साथ मिलकर काम करने का अवसर भी मिलता है। इस वर्ष चयनित स्टार्टअप विजेताओं में से
तीन कंपनियों के साथ लॉकहीड मार्टिन ने कारोबारी करार किया है।
प्रोफेसर शर्मा ने बताया कि “सरकार देश में स्टार्टअप केंद्र स्थापित करने जा रही है। करीब 150
करोड़ रुपये की लागत से स्थापित किए जाने इन केंद्रों से स्टार्टअप कंपनियों को संसाधन एवं


सहयोग मिल सकेगा। भविष्य में इस तरह के कुल 20 केंद्र स्थापित किए जाने हैं। इस वर्ष ऐसे
तीन केंद्र शुरू हो जाएंगे और फिर हर साल 3-4 केंद्र स्थापित किए जाने की योजना है।”



इंडिया इनोवेशन ग्रोथ प्रोग्राम के यूनिवर्सिटी चैलेंज में पुरस्कृत बिट्स पिलानी के छात्रों द्वारा विकसित प्रोटोटाइप
ओपन इनोवेशन चैलेंज के विजेताओं में एस्ट्रोसेज लैब्स, आयु डिवाइसेज, बीएबल हेल्थ,
बायोलमेड इनोवेशन्स, बीएनजी स्प्रे सॉल्यूशन्स, सी इलेक्ट्रिक ऑटोमोटिव ड्राइव्स, कॉग्निएबल,
सिका ऑन्कोसॉल्यूशन्स, कानपुर फ्लावरसाइक्लिंग, न्यूबवेल नेटवर्क्स, ओसस
बायोरिन्यूएबल्स, टैन90 थर्मल सॉल्यूशन्स, टेरेरो मोबिलिटी, अनबॉक्स लैब्स, वार्ता लैब्स और
विडकेयर इनोवेशन्स शामिल हैं।
यूनिवर्सिटी चैलेंज के अंतर्गत पुरस्कृत विजेताओं में सिद्धांत डांगी और उज्जवल झा के अलावा,
आईआईटी-मद्रास के आयुष पारसभाई मनियर एवं ध्यानेश्वरन सेनगोत्तुवेल, आईआईटी-कानपुर
के अयन चक्रबर्ती, अखिल बी. कृष्णा एवं पर्वराज पचोरे, शेरे कश्मीर यूनिवर्सिटी ऑफ
एग्रीकल्चर साइंसेज ऐंड टेक्नोलॉजी और आईआईटी-खड़गपुर के शंखा कर्माकर शामिल थे।
(इंडिया साइंस वायर)


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