कानपुर, शहर के प्रसिद्ध सिद्धनाथ मंदिर में शिवलिंग अरघा, हनुमान जी की मूर्ति के साथ ही तांबे का त्रिशूल का रंगा काला होता जा रहा है। रोजाना सफाई और सिंदूर का लेप लगाने के कुछ देर तक सब सही रहता है मगर, कुछ घंटे में ही हनुमानजी का रंग बदलकर काला हो जाता है। इस घटना को लेकर भक्तों में तरह तरह की भ्रांतियां जन्म लेने लगी हैं।
मंदिर में अचानक मूर्तियां काली पडऩे से भक्तों में रोष
शहर के जाजमऊ में सिद्धनाथ मंदिर विशेष आस्था का केंद्र है। यहां शहर ही नहीं आसपास के ग्रामीण क्षेत्रों से भक्त दर्शन पूजन के लिए आते हैं। गंगा नदी के किनारे बने इस मंदिर की विशेष मान्यता है। यहां पर शिवलिंग, हनुमानजी की मूर्ति स्थापित है और दर्शन के लिए रोजाना सैकड़ों भक्तों की भीड़ जुटती है। बीते कुछ महीनों से शिवलिंग का चांदी का अरघा काला पड़ गया है।
द्वार पर लगी हनुमानजी की मूर्ति भी काले रंग की हो गई है और तांबे का त्रिशूल का भी रंग बदलकर काला हो रहा है। यहां तक की मंदिर की दीवारों का भी रंग बदल रहा है। रोजाना मंदिर की साफ सफाई की जाती है और हनुमान जी को लाल बंदन का सिंदूर लेप चढ़ाया जाता है। कुछ देर तक रंग लाल रहता है लेकिन बाद में हनुमानजी की मूति काले रंग की हो जाती है। इस घटना के बाद से तरह तरह की भ्रांतियों के जन्म लेने के साथ लोगों में रोष भी पनप रहा है।
ये मानी जा रही वजह
मंदिर मूर्ति और अरघा काला पडऩे से भक्तों में बेहद रोष है। इसके पीछे गंगा घाट के किनारे नाले में जमा जहरीला सीवरेज के प्रदूषण को कारण माना जा रहा है। बुढिय़ाघाट और वाजिदपुर में नाला जल निगम ने टैप किया था। वाजिदपुर नाला की टैङ्क्षपग की बोरियां हटने से केमिकलयुक्त सीवरेज बहकर सिद्धनाथ घाट के आगे तक पहुंच गया है। इससे घाट किनारे एक बड़े नाले की शक्ल ले ली है। यहां एक माह से अधिक समय से नाले का सीवरेज जमा है, जिससे अत्यधिक दुर्गंध व गैस उठती है। सीवरेज का रंग भी लाल, हरा व काला हो गया है। माना जा रहा है इस जहरीली गैस के प्रभाव से सिद्धनाथ मंदिर में शिवङ्क्षलग का अरघा, हनुमानजी की मूर्ति और त्रिशूल काला पड़ रहा है। हैंडपंप से आने वाला पानी भी दूषित हो चुका है। यहां आने वाली महिलाओं की पायल व अंगूठियां भी काली पड़ रही हैं।
No comments:
Post a Comment